यहां चार दशक से अधूरा पड़ा है मोटर मार्ग, जानिए
चार दशक से अधूरे पड़े अटाल मीनस मोटर मार्ग का निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया। जिससे लोगों को कर्इ तरह की दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Fri, 15 Mar 2019 04:21 PM (IST)
त्यूणी(देहरादून), जेएनएन। सिस्टम की हीलाहवाली के चलते चार दशक से अधूरे पड़े अटाल-मीनस मोटर मार्ग का निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया। अंतरराज्यीय सीमा से सटे बेहद महत्वपूर्ण इस मार्ग के निर्माण कार्य पर करोड़ों का बजट खपाने के बाद भी ग्रामीण जनता को सड़क सुविधा का लाभ नहीं मिला। जिससे लोगों को मजबूरन हिमाचल के रास्ते होकर आना-जाना पड़ता है।
हिमाचल में प्रवेश करने से उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को पचास से सौ रुपए प्रति गाड़ी टैक्स चुकाना पड़ता है। लंबे समय से सड़क की परेशानी झेल रहे लोगों ने सरकार से अधूरे पड़े इस मार्ग का निर्माण कार्य जल्द पूरा कराने की गुहार लगाई है।उत्तर-प्रदेश सरकार के समय से चल रहे बॉर्डर क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों को सड़क सुविधा से जोड़ने वाले 22 किमी लंबे निर्माणाधीन मीनस-अटाल मार्ग का कार्य चार दशक से आधा-अधूरा पड़ा है। पड़ोसी राज्य हिमाचल सीमा से सटे मीनस-अटाल मार्ग से जौनसार-बवार परगने के सीमांत तहसील त्यूणी व चकराता क्षेत्र के दर्जनों गांव जुड़े हैं। इसके अलावा उत्तरकाशी के आराकोट, मोरी, पुरोला व बंगाण क्षेत्र के कई ग्रामीण इलाके भी इस मार्ग से जुड़े हैं।
हिमाचल और उत्तराखंड के बॉर्डर पर मीनसपुल के पास से अटाल-मीनस मार्ग का निर्माण कार्य चार दशक पहले शुरु हुआ था। कछुवा गति से चल रहे उक्त मार्ग के निर्माण से शुरुआती चरण में सड़क कटिंग कार्य निपट गया पर फाइनल कटिंग कार्य अबतक अधूरा पड़ा है। लोगों ने कहा सड़क कटिंग कार्य मानकों के अनुरुप नहीं होने से मार्ग काफी संकरा है। जिससे यहां सिर्फ छोटे वाहनों का संचालन जैसे-तैसे हो रहा है। युवा सामाजिक कार्यकर्ता राकेश चौहान, धन सिंह, मोहनलाल, सबल सिंह, साहब सिंह, प्रवीण वर्मा, जसवीर, पूरण सिंह चौहान व संदीप आदि ने कहा तंत्र की उदासीनता के चलते दशकों से अधूरे पड़े मीनस-अटाल मार्ग का कार्य पूरा नहीं होने से सैकड़ों ग्रामीण जनता को त्यूणी व विकासनगर पहुंचने को हिमाचल की सीमा से होकर 40 किमी घूमकर आना-जाना पड़ता है।
हिमाचल सीमा में प्रवेश करने से लोगों को मीनस पुल के पास बॉर्डर में लगे बैरियर पर प्रति गाड़ी पचास से सौ रुपए टैक्स चुकाना पड़ता है। जिससे लोगों को सालाना लाखों का टैक्स बार्डर पर चुकाने पड़ता है। इस मार्ग पर नौरा-कावाखेड़ा, बंडियारा, अनार खेड़ा, शिलाणू, झखाणू व मंजाट के पास दस से बारह किमी सड़क की हालत काफी खराब है। मार्ग पर जगह-जगह स्लीप होने से छोटे वाहनों का संचालन भी काफी समय से ठप है। जिससे लोगों को मीलों अतिरिक्त दूरी नापनी पड़ती है। लोगों ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से जल्द कार्रवाई करने की मांग की है।
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