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Road Safety With Jagran: ब्लैक स्पाट कर रहे जिंदगी में 'अंधेरा', जागने को तैयार नहीं तंत्र

Road Safety With Jagran देहरादून जिले में जिंदगी की रफ्तार पर 49 ब्लैक स्पाट ब्रेक लगा रहे हैं। वहीं 58 दुर्घटना संभावित क्षेत्र भी हादसों को न्योता दे रहे है। सड़क सुरक्षा समिति की बैठकें रस्मअदायगी तक सीमित हैं।

By Suman semwalEdited By: Sunil NegiUpdated: Mon, 21 Nov 2022 09:40 PM (IST)
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हमारी मशीनरी सड़क दुर्घटनाओं के प्रति कितनी गंभीर है, इसका उदाहरण है बल्लीवाला फ्लाईओवर।
सुमन सेमवाल, देहरादून। हमारी मशीनरी सड़क दुर्घटनाओं के प्रति कितनी गंभीर है, इसका उदाहरण है बल्लीवाला फ्लाईओवर। जुलाई 2016 में अस्तित्व में आए इस फ्लाईओवर पर निर्माण के तीन साल के भीतर ही 15 युवाओं की जान चली गई। फिर भी इस खूनी फ्लाईओवर को ब्लैक स्पाट में शामिल नहीं किया गया है। इसके चलते फ्लाईओवर में सुधार के तमाम प्रस्तावित कार्य भी अधर में लटके हैं।

दैनिक जागरण के सड़क सुरक्षा के महाअभियान के तहत जब हमने विशेषज्ञों के साथ जिले की 434 किलोमीटर सड़कों का सर्वे किया तो पता चला कि सड़क सुरक्षा की दिशा में ब्लैक स्पाट व दुर्घटना संभावित स्थलों पर अब तक अपेक्षित काम नहीं हो पाया है। जिले में अब भी 49 ब्लैक स्पाट और 58 दुर्घटना संभावित क्षेत्र जस के तस बने हैं।

यह स्थिति तब है, जब सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की समिति सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय समेत सभी राज्यों के मुख्य सचिव को दिशा-निर्देश जारी कर चुकी है। समिति के पत्र में जिला स्तर पर सड़क सुरक्षा समिति बनाने का भी उल्लेख किया गया है। जिससे जिला स्तर पर सड़क सुरक्षा की दिशा में प्रभावी कार्यों को लेकर समिति काम कर सके।

देहरादून में समिति की निरंतर बैठकें तो होती हैं, लेकिन इसमें पारंपरिक दिशा-निर्देशों के अलावा कुछ ठोस प्रयास नजर नहीं आते। यही कारण है कि जिले में छोटे अंतराल में सबसे अधिक जान लेने वाला स्थल बल्लीवाला फ्लाईओवर ब्लैक स्पाट में शामिल नहीं है।

ब्लैक स्पाट ऐसा, जो इंजीनियरों की देन

सामान्यतः ब्लैक स्पाट या दुर्घटना संभावित क्षेत्र प्राकृतिक रूप से (विषम भूगोल वाले) मौजूद होते हैं। ऐसे स्थलों पर सड़कों का मोड़ या ढाल यातायात के लिहाज से आदर्श नहीं होता। सड़क निर्माण से जुड़ी एजेंसियां अपनी इंजीनियरिंग दक्षता के बूते इनमें सुधार करती रहती है। दूसरी तरफ, राजधानी दून में बल्लीवाला फ्लाईओवर ऐसा ब्लैक स्पाट है, जिसे इंजीनियरों ने ही तैयार किया है।

क्योंकि, यह न सिर्फ यातायात के दबाव के लिहाज से संकरा (महज डबल लेन) है, बल्कि इसमें तीव्र मोड़ भी है। निर्माण के नाम पर मजाक यह भी है कि डबल लेन फ्लाईओवर फोरलेन सड़क पर बनाया गया है। इंजीनियरों ने इसी राजमार्ग के दूसरे हिस्से पर आइएसबीटी स्थित फोरलेन फ्लाईओवर को भी अपनी कारगुजारी से डेंजर जोन बना दिया है। इस फोरलेन फ्लाईओवर पर एक डबल लेन फ्लाईओवर को जोड़ा गया है और जोड़ वाले हिस्से पर पुराने फ्लाईओवर की डबल लेन को भी दो हिस्सों में बांटकर सिंगल लेन बना दिया गया है।

हाई कोर्ट के आदेश, विशेषज्ञों की चिंता और सरकार के निर्देश भी हवा

बल्लीवाला फ्लाईओवर पर निरंतर होने वाली दुर्घटनाओं को देखते हुए हाई कोर्ट ने मई 2018 में सरकार को फ्लाईओवर की चौड़ाई बढ़ाने या बगल में एक और डबल लेन फ्लाईओवर बनाने की संभावना तलाश करने को कहा था। इससे पहले एडीबी और राष्ट्रीय राजमार्ग के विशेषज्ञों ने पुल की चौड़ाई व मोड़ को लेकर वर्ष 2017 में सर्वे के बाद चिंता जताई थी। लगातार हो रही दुर्घटनाओं को देखते हुए अप्रैल 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने फ्लाईओवर का निरीक्षण कर इसमें सुधार के निर्देश दिए थे। जिस पुल पर सुरक्षा को लेकर इतनी कसरत की गई, उसी स्थल को ब्लैक स्पाट से बाहर रखना अपने आप मे बड़ा सवाल है।

जिले में ब्लैक स्पाट व दुर्घटना संभावित स्थलों की संख्या (थानावार)

  • थाना, ब्लैक स्पाट, दुर्घटना संभावित क्षेत्र
  • रायवाला, 04, 04
  • ऋषिकेश, 05, 07
  • मसूरी, 03, 02
  • सहसपुर, 04, 04
  • नेहरू कालोनी, 04, 01
  • विकासनगर, 06. 06
  • राजपुर, 06, 04
  • डोईवाला, 05, 06
  • कैंट, 03, 03
  • प्रेमनगर, 03, 02
  • पटेलनगर, 06, 04
  • कालसी, 00, 06
  • रानीपोखरी, 00, 04
  • वसंत विहार, 00, 01
  • रायपुर, 00, 02
  • क्लेमेनटाउन, 00, 01

110 करोड़ के आगे जिंदगी की कीमत छोटी

लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) ने बल्लीवाला फ्लाईओवर के बगल में एक और डबल लेन फ्लाईओवर निर्माण के लिए फिजिबिलिटी सर्वे कराया था। जमीन अधिग्रहण के साथ इस काम पर 110 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। हालांकि, तत्कालीन मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने लागत को अधिक बताकर प्रस्ताव को डंप कर दिया था।

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