Road Safety With Jagran: दून की सड़कों की अजब कहानी, अनफिट सड़कें, डिजाइन में खामी, फिटनेस पर गंभीर सवाल
Road Safety With Jagran दैनिक जागरण के महाअभियान के तहत हमारे रिपोर्टर विशेषज्ञों के साथ सड़कों पर निकल पड़े। हमने राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर राज्य राजमार्ग शहर की आंतरिक व अन्य अहम सड़कों (मुख्य जिला मार्ग अन्य जिला मार्ग) का बारीकी से सर्वे किया।
By Jagran NewsEdited By: Sumit KumarUpdated: Thu, 17 Nov 2022 12:00 AM (IST)
सुमन सेमवाल, देहरादूनः Road Safety With Jagran जिले की सड़कों की कहानी बयां करने से पहले इनकी अहमियत बताना जरूरी है। देहरादून की सड़कें न सिर्फ प्रदेश व देश के विभिन्न हिस्सों को उत्तराखंड की राजधानी से जोड़ती हैं, बल्कि प्रदेश के विकास की कहानी को प्रदेश के तमाम जिलों व दूसरे राज्यों तक भी पहुंचाती हैं। इस लिहाज से देहरादून की सड़कों को आदर्श स्थिति में होना चाहिए।
इसी सच्चाई को धरातल पर परखने के लिए 'दैनिक जागरण' के महाअभियान के तहत हमारे रिपोर्टर विशेषज्ञों के साथ सड़कों पर निकल पड़े। हमने राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर राज्य राजमार्ग, शहर की आंतरिक व अन्य अहम सड़कों (मुख्य जिला मार्ग, अन्य जिला मार्ग) का बारीकी से सर्वे किया।
जिले की एक भी सड़क ऐसी नहीं जो आदर्श स्थिति में हो
जिले में कुल 434 किलोमीटर सड़कों की फिटनेस की पड़ताल की। देखा कि दैनिक जागरण के महाअभियान के तहत इन दौड़ती भागती सड़कों पर 'निर्माण, सुविधा और सुरक्षा' की स्थिति कैसी है।सर्वे में जिले की एक भी सड़क ऐसी नहीं पाई गई, जो आदर्श स्थिति में हो। राष्ट्रीय राजमार्गों में सुगम यातायात के लिए बनाए गए फ्लाईओवर के डिजाइन/निर्माण में खामी पाई गई और यह आए दिन दुर्घटना का कारण बन रहे हैं।
उपचार की बाट जोह रहे हैं भूस्खलन जोन
उच्च घनत्व वाले राज्य राजमार्ग 24 घंटे में 10 हजार से अधिक पीसीएयू (पैसेंजर कार यूनिट) का दबाव झेलने के बाद में पर्याप्त रूप से चौड़े नहीं हैं। इसके अलावा सालों से यात्रियों की जान को सांसत में डालने वाले भूस्खलन जोन उपचार की बाट जोह रहे हैं।इन सड़कों दुर्घटना जानलेवा साबित हो रहे वाले ब्लैकस्पाट/दुर्घटना संवेदनशील क्षेत्रों की भरमार है। दूसरी तरफ यातायात के दबाव में पहले ही हांफ रही शहर की सड़कें गड्डों से भरी हैं और संकरे चौराहे, खुले/बेतरतीब कट दुर्घटना को न्योता दे रहे हैं।
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हरिद्वार-देहरादून-दिल्ली राजमार्ग पर स्थित देहरादून आइएसबीटी फ्लाईओवर यूं तो फोरलेन है। निर्माण के समय यह ठीक था, लेकिन इसकी दशा तब खराब हुई जब इस बार हरिद्वार की तरफ से आते हुए एक सिंगल डबल लेन फ्लाईओवर को बीचोंबीच जोड़ा गया।जहां पर इस भाग को जोड़ा गया गया है, वहां पर पूर्व के फ्लाईओवर की एक लेन को फाइबर वाले डिवाइडर से दो भागों में बांट दिया गया है। अब दोनों फ्लाईओवर का यातायात एक छोटी दूरी में ही अचानक से एक ही लेन में मिल जाता है। इसके चलते यहां पर वाहनों की टक्कर की हमेशा आशंका बनी रहती है।एक दर्जन से अधिक युवाओं की जान ले चुका तीव्र मोड़
यह स्थिति इसलिए होती है, क्योंकि पहले वाले फ्लाईओवर की डबल लेन व बाद वाले फ्लाईओवर के डबल लेन यानी चार लेन का यातायात अचानक से महज डबल लेन में शिफ्ट हो जाता है। यह एक तरह का मानवजनित बाटलनेक ही है। इसी तरह पांवटा साहिब रोड पर जीएमएस रोड स्थित बल्लीवाला फ्लाईओवर भारी यातायात दबाव के बाद भी महज डबल लेन चौड़ाई के चलते अपनी प्रसंगिगता खो चुका है। वहीं, इस पर तीव्र मोड़ अब तक एक दर्जन से अधिक युवाओं की जान ले चुका है।मसूरी रोड की राइडिंग क्वालिटी खराब, भूस्खलन जोन बना खतरा
पहाड़ों की रानी मसूरी की महत्ता किसी से छिपी नहीं है। देश-विदेश के यात्रियों की बड़ी आमद के बाद भी इस करीब 35 किलोमीटर लंबे इस मार्ग को अभी तक राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा नहीं मिल पाया है। वहीं, दोनों छोर पर यह मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ता है। राज्य के सीमित संसाधनों के चलते यह मार्ग उच्च यातायात घनत्व के चलते बुरी तरह हांफ रहा है। इस पर दशकों पुराने दो सिंगल लेन पुल बाटलनेक बन गए हैं। सड़क की राइडिंग क्वालिटी खराब है और रफनेस इंडेक्स पर यह मार्ग औसत से कम क्षमता का नजर आता है। यहां गलोगी पावर हाउस के पास का सालों पुराना भूस्खलन जोन हर मानसून सीजन में यात्रियों की जान के लिए खतरा बना रहता है। इसके अलावा यहां दो नए भूस्खलन जोन भी एक्टिव होते दिख रहे हैं। इस सड़क पर विशेषज्ञ के रूप में हमारे अभियान में शामिल रहे लोनिवि के पूर्व मुख्य अभियंता सीएम पांडे प्रबल रूप से संस्तुति करते हैं कि मसूरी रोड की दशा में सुधार के लिए इसे राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा दिया जाए और यहां के दो संकरे पुलों को कम से कम डबल लेन बनाया जाए।ऋषिकेश रोड पर सात मोड़ खतरनाक
देहरादून-ऋषिकेश राजमार्ग की लंबाई आशारोड़ी से करीब 53 किलोमीटर है। यह राजमार्ग कहीं पर भी समान रूप से चौड़ा नहीं है। देहरादून से डोईवाला के बीच हरिद्वार बाईपास के रूप में बड़ा बाटलनेक है, जिसका चौड़ीकरण करीब नौ साल से घिसट रहा है। करीब साढ़े तीन किलोमीटर लंबी इस सड़क पर बेतरतीब काट खोले गए हैं। Road Safety With Jagran: पहाड़ों में मैनुअली होती है वाहन फिटनेस जांच, छह माह में काटे हैं 164 वाहनों के चालानविधानसभा तिराहे में से किसी भी जंक्शन की स्थिति आदर्श नहीं
यहां ब्राह्मणवाला, कारगी, चौक, सरस्वती विहार चौक, पुरानी बाईपास पुलिस चौकी चौक, रिस्पना पुल चौक व इससे आगे विधानसभा तिराहे में से किसी भी जंक्शन की स्थिति आदर्श नहीं है। अभियान में विशेषज्ञ के रूप में शामिल लोनिवि के पूर्व अधिशासी अभियंता देंवेंद्र शाह का कहना है कि यहां के सभी जंक्शन का सुधारीकरण जरूरी है और दो जंक्शन के बीच सिर्फ एक कट ही खुला रहना चाहिए। वहीं, डोईवाला से ऋषिकेश के बीच सड़क की अलग ही कहानी है। रानीपोखरी से यह राजमार्ग न सिर्फ डबल लेन है, बल्कि यहां सात मोड़ जैसा दुर्घटना संवेदनशील क्षेत्र भी है। इन मोड़ों का आज तक कोई उपचार नहीं किया जा सका है। वहीं, ऋषिकेश क्षेत्र में नटराज चौक के पास भूस्खलन के चलते यह सड़क खतरनाक रूप से सिंगल लेन रह गई है।- दिल्ली-यमुनोत्री राजमार्ग सालभर से धंसा, चेतावनी बोर्ड गायब
- देहरादून जिले के अंतर्गत कालसी क्षेत्र में दिल्ली-यमुनोत्री राजमार्ग काली माता मंदिर के पास सालभर से धंसा हुआ है। यहां जगह-जगह गहरी खाई के बाद भी क्रश
- बैरियर गायब हैं और यात्रियों को सचेत करने वाले चेतावनी बोर्ड भी नदारद हैं।
- 434 किलोमीटर सड़कों पर यात्री सुरक्षा का हाल
- राष्ट्रीय राजमार्ग (194 किलोमीटर)
- ब्लैकस्पाट/दुर्घटना संवेदनशील क्षेत्र, 67 जगह
- तकनीकी खामी (सड़क निर्माण व डिजाइन संबंधी), 28 जगह
- यातायात संकेतक, 50 किलोमीटर में ही दुरुस्त
- सक्रिय भूस्खलन जोन, 16
- सड़कों की स्थिति, औसत व निम्न औसत
- दुर्घटना संवेदनशील क्षेत्र/खुले कट, 12 जगह
- बाटलनेक, 04 जगह
- यातायात संकेतक, एक जगह खराब
- ट्रामा मैनेजमेंट/चिकित्सा सेवा, 16 अस्पताल/चिकित्सा सेवा
- तकनीकी खामी, डिजाइन में दोष, 14 जगह
- पैराफीट/क्रश बैरियर, 10 जगह गायब
- सड़कों की स्थिति, औसत व निम्न औसत
- फुटपाथ व पैदल मार्ग, 32 किलोमीटर में ही
- बाटलनेक, 20 जगह
- अतिक्रमण, 90 प्रतिशत सड़कों पर स्थायी व अस्थायी अतिक्रमण
- गड्ढे, 300 के करीब
- चौराहों की स्थिति, 25 चौराहों व तिराहों की चौड़ाई कम
- ब्लैकस्पाट/दुर्घटना संवेदनशील क्षेत्र, 56
- जेब्रा क्रासिंग, तीन जगह मानकों के अनुरूप