Road Safety With Jagran: 'अनाड़ी' हाथों में स्टेयरिंग, असुरक्षित सफर, चालकों के प्रशिक्षण को इंतजाम नाकाफी
Road Safety With Jagran नियमानुसार लाइसेंस उन्हीं के बनते हैं जिन्हें वाहन चलाना आता हो अथवा वाहन चलाने का प्रशिक्षण लिया है। मगर ऐसा होता नहीं है। कारण यह कि लाइसेंस जारी करने से पहले वाहन चलाने वाले का कौशल जांचने को प्रदेश में कोई ठोस व्यवस्था नहीं है।
By Jagran NewsEdited By: Sumit KumarUpdated: Sun, 20 Nov 2022 08:32 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून: Road Safety With Jagran सड़कों पर सुरक्षित सफर के लिए जरूरी है कि ड्राइविंग सीट पर बैठा व्यक्ति वाहन चलाने में पारंगत होने के साथ ही यातायात नियमों की जानकारी से पूरी तरह विज्ञ हो। इस कसौटी पर परखें तो विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में बिना प्रशिक्षण लिए ड्राइविंग का जोखिम उठाने वाले लोग स्वयं के साथ ही दूसरों के सफर को भी असुरक्षित बना रहे हैं।
सरकारी स्तर पर प्रदेश में मात्र एक प्रशिक्षण संस्थान
अब जरा चालकों को कुशल बनाने के प्रशिक्षण व्यवस्था पर नजर डालते हैं। इसके लिए सरकारी स्तर पर प्रदेश में मात्र एक प्रशिक्षण संस्थान आइटीडीआर देहरादून में है। यद्यपि, कहने को राज्यभर में 49 निजी संस्थाएं पंजीकृत हैं, लेकिन इनमें अधिकतर प्रशिक्षण संबंधी मानकों को पूरा ही नहीं करतीं। इसके अलावा गली-मुहल्लों में अनाधिकृत रूप से चल रहे प्रशिक्षण केंद्रों की भरमार है, लेकिन ये सब अधकचरा ज्ञान ही बांट रहे हैं।
हर साल औसतन दो लाख से अधिक ड्राइविंग लाइसेंस
प्रदेश में हर साल औसतन दो लाख से अधिक ड्राइविंग लाइसेंस बनते हैं। नियमानुसार लाइसेंस उन्हीं के बनते हैं, जिन्हें वाहन चलाना आता हो अथवा वाहन चलाने का प्रशिक्षण लिया है। मगर, ऐसा होता नहीं है। कारण यह कि लाइसेंस जारी करने से पहले वाहन चलाने वाले का कौशल जांचने को प्रदेश में कोई ठोस व्यवस्था नहीं है।ड्राइविंग टेस्ट में मिलीभगत के खेल से बन जा रहे लाइसेंस
केवल आरटीओ कार्यालय देहरादून व हरिद्वार में ही लाइसेंस बनाने की परीक्षा ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रेक में हो रही है। शेष स्थानों पर कहने को तो व्यवस्था आनलाइन है, लेकिन ड्राइविंग टेस्ट में मिलीभगत के खेल से लाइसेंस बन जा रहे हैं। समझा जा सकता है कि इस तरह से लाइसेंस प्राप्त करने वाले चालकों को वाहन चलाने की कितनी जानकारी होगी। नियम कानूनों व संकेतकों की जानकारी के अभाव में ये चालक अपने साथ ही दूसरे की जान को भी जोखिम में डाल रहे हैं।
अब तक मात्र दो ड्राइविंग टेस्ट ट्रेक
लाइसेंस जारी करने से पहले चालकों की परीक्षा के लिए प्रदेश में 20 आटोमेटेड ड्राईविंग टेस्ट ट्रेक प्रस्तावित हैं। इनमें से अभी केवल दो जगह देहरादून और हरिद्वार में ही इनका निर्माण हो पाया है। सात स्थानों पर भूमि चिह्नित की गई है, जबकि शेष के लिए अभी जमीन ही तलाशी जा रही है।आइटीडीआर में है आधुनिक व्यवस्थाएं
वर्तमान में एक मात्र सरकारी चालक प्रशिक्षण केंद्र आइटीडीआर झाझरा, देहरादून में संचालित हो रहा है। यह परिवहन विभाग एवं मारुति का संयुक्त उपक्रम है। यहां चालकों के साथ ही व्यावसायिक लाइसेंस धारक चालकों को प्रशिक्षण दिया जाता है। यद्यपि, शहर से काफी दूर होने के कारण यहां ड्राइविंग सीखने पहुंचने वालों की संख्या कम है। इतना जरूर है कि व्यावसायिक लाइसेंस के नवीनीकरण को चालक यहां रिफ्रेशर ट्रेनिंग के लिए आते हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।हाई बीम लाइट भी दुर्घटना का कारण
प्रदेश में 40 प्रतिशत से अधिक सड़क दुर्घटनाएं अंधेरा होने के बाद, यानी रात को होती हैं। इन दुर्घटनाओं की जांच में जो कारण सामने आए हैं, उनमें एक मुख्य कारण सामने से आते वाहन की तेज लाइट आंखों में पडऩे से आगे कुछ नजर न आना भी है। इसका कारण तेज हाईबीम को बताया गया। हाईबीम का प्रयोग अमूमन हाईवे पर होता है। उसमें भी नियम यह है कि सामने से कोई वाहन आ रहा हो तो दूसरे वाहन को डिपर देना होता है, ताकि तेज रोशनी चालक की आंखों में न पड़े। अफसोस, इस नियम का गंभीरता से अनुपालन नहीं हो रहा है।निजी प्रशिक्षण केंद्रों में पूरे नहीं मानक
राज्य में 49 निजी चालक प्रशिक्षण केंद्र पंजीकृत हैं। तय मानकों के अनुसार इन प्रशिक्षण केंद्र के पास 500 गज जमीन के साथ ही सिमुलेटर, वाहन पार्ट और नियमों की जानकारी देने को एलइडी स्क्रीन की व्यवस्था होनी आवश्यक है। जिस वाहन में प्रशिक्षण दिया जाना हो, उसमें आगे दोनों तरफ एक्सीलेटर व ब्रेक होने चाहिए, जिससे प्रशिक्षक भी जरूरत पडऩे पर इनका उपयोग कर सकें। इस सबके दृष्टिगत अधिकांश केंद्रों में सुविधाएं उपलब्ध ही नहीं हैं।निजी वाहनों से दिया जा रहा प्रशिक्षण
प्रदेश में वर्तमान में जगह-जगह निजी मोटर ड्राइविंग स्कूल खुले हैं, जो निजी वाहनों से ही प्रशिक्षार्थियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। नियमानुसार इसके लिए अलग वाहन होना चाहिए। पुलिस व परिवहन विभाग की मिलीभगत के कारण इन पर कोई कार्रवाई भी नहीं होती है।तीन वर्ष में जारी ड्राइविंग लाइसेंस
वर्ष, संख्या- 2021-22 - 2.23 लाख
- 2020-21 - 2.15 लाख
- 2019-20 - 2.01 लाख
वर्ष 2021 में हुई दुर्घटनाओं के प्रकार
प्रकार - दुर्घटनाएं- मृतक- पीछे से टक्कर - 317 - 183
- सड़क से उतारना - 55 - 73
- साइड से टक्कर - 471 - 235
- हिट एंड रन - 163 - 116
- आमने-सामने की टक्कर - 311 - 173
- वाहन का पलटना - 07-01
- खड़ी वस्तु से टक्कर - 07-01
- खड़े वाहन से टक्कर - 07-06
- स्रोत: परिवहन विभाग