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Road Safety With Jagran: उत्‍तराखंड में मैदानी क्षेत्र दुर्घटना के लिहाज से अधिक संवेदनशील

उत्तराखंड में भले ही सर्पीली सड़कों को वाहन संचालन के हिसाब से खतरनाक माना जाता है लेकिन सच्चाई यह कि दुर्घटनाएं सीधी सड़कों पर ज्यादा हो रही हैं। इस वर्ष सबसे अधिक 318 दुर्घटनाएं राजधानी देहरादून में हुई हैं जहां सड़क सुरक्षा के लिए जिम्मेदार नीति नियंता बैठते हैं।

By Vikas gusainEdited By: Sunil NegiUpdated: Fri, 25 Nov 2022 06:51 PM (IST)
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इस वर्ष सबसे अधिक 318 दुर्घटनाएं देहरादून में हुई हैं, जहां सड़क सुरक्षा के लिए जिम्मेदार नीति नियंता बैठते हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: उत्तराखंड में भले ही सर्पीली सड़कों को वाहन संचालन के हिसाब से खतरनाक माना जाता है, लेकिन सच्चाई यह कि दुर्घटनाएं सीधी सड़कों पर ज्यादा हो रही हैं। इस वर्ष सबसे अधिक 318 दुर्घटनाएं राजधानी देहरादून में हुई हैं, जहां सड़क सुरक्षा के लिए जिम्मेदार नीति नियंता बैठते हैं।

89 प्रतिशत दुर्घटनाएं चार मैदानी जिलों में

उत्तराखंड कहने को तो पर्वतीय राज्य है, लेकिन यहां के प्रमुख और सबसे बड़े चारों जिले मैदानी हैं। इन जिलों में यातायात व सड़क सुरक्षा के लिए न तो कार्मिकों की कमी है और न ही बजट की। बावजूद इसके प्रदेश में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में 89 प्रतिशत दुर्घटनाएं इन्हीं चार मैदानी जिलों में हुई हैं। इस वर्ष सितंबर तक हुई कुल 1219 दुर्घटनाओं में से 1092 इन्हीं चार मैदानी जिलों में हुईं।

एक और बात जो देखने में आई है कि सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं शाम छह बजे से लेकर रात नौ बजे तक होती हैं। इस समय सरकारी कार्यालयों, कारखानों व निजी संस्थानों में काम करने वाले कार्मिक अपने घरों को लौट रहे होते हैं। इसे घर लौटने की जल्दबाजी से भी जोड़ कर देखा जा सकता है।

ध्यान देने योग्य है बात यह है कि शाम होते-होते शहर में यातायात व्यवस्था व नियमों का अनुपालन कराने वाले यातायात कर्मी, परिवहन के प्रवर्तन दस्ते व पुलिस प्रमुख चौराहों तथा व्यस्ततम मार्ग से हट चुकी होती है। यह स्थिति केवल राष्ट्रीय राजमार्ग ही नहीं, राज्य राजमार्ग और शहर के संपर्क मार्गों की भी है। नतीजतन, इस अवधि में दुर्घटनाओं का आंकड़ा बढ़ जाता है।

खराब सड़कें भी दुर्घटनाओं को करती हैं आमंत्रित

यातायात कर्मी व पुलिस कर्मियों की गैरमौजूदगी वाहन चालकों को नियमों का उल्लंघन करने को प्रोत्साहित भी करती है। इसके अलावा मार्गों पर पथ प्रकाश की अधूरी व्यवस्था व खराब सड़कें भी दुर्घटनाओं को आमंत्रित करती हैं। ऐसा नहीं है कि विभाग इन बातों से अनभिज्ञ है। ये आंकड़े पुलिस व परिवहन विभाग ने ही एकत्रित किए हैं। बावजूद इसके दुर्घटनाओं के इन कारकों पर लगाम लगाने के लिए अभी भी काफी कुछ किए जाने की जरूरत है।

प्रदेश में मैदानी जिलों में हुई दुर्घटनाएं

  • देहरादून - 318
  • नैनीताल- 184
  • ऊधमसिंह नगर- 306
  • हरिद्वार - 284
सड़क सुरक्षा के लिए गठित लीड एजेंसी के चेयरमैन व संयुक्त आयुक्त एसके सिंह का कहना है कि प्रदेश में अब चौबीसों घंटे जांच की व्यवस्था की जा रही है। पुलिस व परिवहन विभाग के दस्ते दिन-रात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर नकेल कसने के लिए सड़कों पर तैनात रहेंगे।

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