Road Safety With Jagran: वैज्ञानिक विश्लेषण से सामने आएंगे दुर्घटनाओं के ठोस तथ्य
Road Safety With Jagran वैज्ञानिक विश्लेषण से दुर्घटनाओं के ठोस तथ्य सामने आएंगे। फौरी जांच में तेज रफ्तार और मानवीय चूक ही कारण बताए जाते हैं। रोड इंजीनियरिंग व डिजाइन के साथ ही वाहन की तकनीकी जांच भी आवश्यक है।
By Vikas gusainEdited By: Sunil NegiUpdated: Mon, 21 Nov 2022 07:09 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून: सड़क दुर्घटनाओं को न्यून करने के लिए जरूरी है कि इनके कारणों का वैज्ञानिक ढंग से विश्लेषण हो। फिर इसके आधार पर रोकथाम को कदम उठाए जाएं, लेकिन उत्तराखंड में आज भी दुर्घटनाओं की जांच फौरी तौर पर ही होती है।
वह भी तब, जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर राज्य में गठित सड़क सुरक्षा समिति ने भी दुर्घटनाओं की जांच पड़ताल वैज्ञानिक तरीके से कराने पर जोर दिया है। अभी तक इसकी पहल नहीं हो पाई है। इतना जरूर है कि ऐसी जांच के मद्देनजर प्रशिक्षण की कवायद शुरू की जा रही है।
सड़क सुरक्षा समिति के दिशा-निर्देशों के अनुरूप उत्तराखंड में राज्य से लेकर जिला स्तर तक समितियां गठित हो चुकी हैं। इनका दायित्व सड़क सुरक्षा के कार्यों को धरातल पर उतारना है। यही नहीं, समिति ने गत वर्ष सितंबर में राज्य की सड़कों का आडिट किया। इस वर्ष मार्च में समिति ने अपनी संस्तुतियों समेत रिपोर्ट विभाग को सौंपी। समिति ने दुर्घटनाओं की जांच वैज्ञानिक तरीके से कराने की संस्तुति की है। रिपोर्ट के मुताबिक अक्सर यह देखा जाता है कि दुर्घटनाओं के लिए चालक या तेज रफ्तार को ही दोषी बताया जाता है। रोड इंजीनियरिंग, डिजाइन व सुरक्षा के अन्य मानकों का पालन न होना भी बड़े कारण हो सकते हैं। वैज्ञानिक जांच में ये तथ्य उभरकर सामने आएंगे। इसके लिए लोनिवि, स्वास्थ्य, पुलिस व परिवहन विभाग के अधिकारियों की टीम बनाई जानी चाहिए। साथ ही उसे इसके लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। यद्यपि, अब परिवहन विभाग का ध्यान इस ओर गया है।
समितियों की बैठकों की सुस्त रफ्तार
राज्य स्तर पर परिवहन मंत्री की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा परिषद है, जबकि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में अनुश्रवण समिति, संयुक्त परिवहन आयुक्त की अध्यक्षता में लीड एजेंसी और जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा समिति गठित की गई हैं। नियमानुसार परिषद की वर्ष में दो और जिला सड़क सुरक्षा समिति की हर माह बैठक होनी चाहिए। इनमें निरंतरता का अभाव खटकता है।
केंद्रीय समिति ने उठाए थे प्रमुख विषय
- विषय - लीड एजेंसी में स्टाफ की कमी
- स्थिति - तैनाती पूरी
- विषय- राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की सालाना दो बैठकें
- स्थिति - इस वर्ष अब तक हुई एक बैठक
- विषय - सड़क सुरक्षा कोष में चालान से मिलने वाले राजस्व के प्रतिशत में वृद्धि
- स्थिति - वर्तमान में कोष में चालान की 25 प्रतिशत राशि ही हो रही जमा
- विषय- दुर्घटनाओं का मासिक आंकड़ा तैयार कारणों का उल्लेख
- स्थिति - अभी केवल दुर्घटनाओं की संख्या का आंकड़ा हो रहा एकत्र
- विषय - सड़क दुर्घटनाओं की वैज्ञानिक तरीके से जांच
- स्थिति -परिवहन विभाग ने अब शुरू की प्रशिक्षण की श्रृंखला
- विषय - यातायात व प्रवर्तन सिपाहियों की कमी
- स्थिति - प्रवर्तन सिपाहियों की भर्ती को चल रही प्रक्रिया
- विषय -राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों पर पेट्रोलिंग यूनिट की तैनाती
- स्थिति - पेट्रोलिंग यूनिट तैनात करना प्रस्तावित, अभी इंटरसेप्टर कर रहे जांच
- विषय - वाहन चालक प्रशिक्षण केंद्रों की संख्या में वृद्धि
- स्थिति - प्रदेश में मात्र एक सरकारी संस्थान
- विषय- क्रैश बैरियर व जंक्शन का सुधारीकरण
- स्थिति- काम होना है बाकी
-एसके सिंह, संयुक्त परिवहन आयु व अध्यक्ष सड़क सुरक्षा लीड एजेंसीयह भी पढ़ें: Road Safety With Jagran: 'अनाड़ी' हाथों में स्टेयरिंग, असुरक्षित सफर, चालकों के प्रशिक्षण को इंतजाम नाकाफी
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