Road Safety With Jagran: जान पर भारी रफ्तार का जुनून, पकड़ नहीं पा रहा 'कानून', ओवरस्पीड से 78 प्रतिशत दुर्घटना
Road Safety With Jagran देहरादून जिले की 434 किलोमीटर सड़कों पर किए गए धरातलीय निरीक्षण में हमने पाया कि वाहनों की गति पर नियंत्रण के जो मानक भारत सरकार ने तय किए हैं उनका पालन कराने की मुख्य जिम्मेदारी सड़कों पर लगे मूक स्लोगन ही अधिक निभा रहे हैं।
By Jagran NewsEdited By: Sumit KumarUpdated: Sat, 19 Nov 2022 09:41 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादूनः Road Safety With Jagran दुर्घटना से देर भली। स्पीड थ्रिलर्स बट किल्स। तमाम सड़कों पर इस तरह के स्लोगन लिखे मिल जाएंगे। पर क्या इतने भर से रफ्तार के जानलेवा जुनून पर अंकुश लगाया जा सकता है। बेशक नहीं। तो फिर कैसे वाहन चालकों की एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ की प्रवृत्ति पर ब्रेक लगाए जा सकते हैं।
मशीनरी का रटा-रटाया जवाब
इसका बेहतर जवाब पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारी दे सकते हैं। लेकिन, हमारी मशीनरी का रटा-रटाया जवाब होता है कि चालान किए जा रहे हैं। हालांकि, चालान की स्थिति देखी जाए तो इसे रिकार्ड दुरुस्त करने से अधिक कुछ और नहीं कहा जा सकता। क्योंकि, जब मशीनरी की कागजी कार्रवाई की पड़ताल हमारे रिपोर्टरों ने विशेषज्ञों के साथ सड़कों पर की तो सड़कों पर रफ्तार का जुनून हर कहीं हावी दिखा और 'कानून' पिछड़ता दिखा।
सड़कों पर रफ्तार के नियंत्रण की हर तरह की चुनौती
देहरादून जिले की 434 किलोमीटर सड़कों पर किए गए धरातलीय निरीक्षण में हमने पाया कि वाहनों की गति पर नियंत्रण के जो मानक भारत सरकार ने तय किए हैं, उनका पालन कराने की मुख्य जिम्मेदारी सड़कों पर लगे मूक स्लोगन ही अधिक निभा रहे हैं। जाहिर है अधूरी व्यव्यस्था में इसका क्या हश्र हो रहा होगा। देहरादून में एक तरफ मैदानी सड़कों का जाल है तो दूरी तरफ मसूरी, कालसी, चकराता जैसे पर्वतीय क्षेत्रों की सड़कों का लंबा भाग भी है। यानी सड़कों पर रफ्तार के नियंत्रण की हर तरह की चुनौती खड़ी है। दूसरी तरफ इसी चुनौती से निपटने के लिए पुलिस व परिवहन विभाग की मशीनरी की सक्रियता सिर्फ जाम से भरी सड़कों के इर्द-दर्द की नजर आती है।गति पर निगरानी के लिए छह कैमरे, सभी शहर के आसपास
वाहनों की गति सीमा पर निगरानी और उल्लंघन पर कार्रवाई के लिए सिर्फ छह स्पीड वायलेशन डिटेटक्शन कैमरे लगाए गए हैं। सभी कैमरे दून शहर की परिधि में ही लगे हैं। डोईवाला, ऋषिकेश, विकासनगर, मसूरी व चकराता जैसे दूरस्थ व दुर्घटना संवेदनशील क्षेत्रों में इस तरह के कोई उपाय नहीं किए गए हैं।
78 प्रतिशत दुर्घटनाओं का कारण ओवरस्पीड
देहरादून में वर्ष 2022 में 363 सड़क दुर्घटनाएं रिकार्ड की गई हैं। इनमें चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि 260 दुर्घटनाएं (78.51 प्रतिशत) का कारण ओवरस्पीड रही। इन हादसों में 139 व्यक्तियों की जान चली गई, जबकि 285 व्यक्ति घायल हो गए।कंट्रोल रूम में किस बात की निगरानी और क्या कर रहे 732 कैमरे
जब सड़क दुर्घटनाओं में 78 प्रतिशत का कारण ओवरस्पीड है तो फिर क्यों मशीनरी का ध्यान तेज रफ्तार पर अंकुश की तरफ मुख्य रूप से नहीं रहता। क्योंकि, भीड़भाड़ वाली सड़कों पर भी रफ्तार का जुनून दिखाने वाले वाहन चालक दिख जाएंगे। विशेषकर राजपुर रोड, जीएमएस रोड, हरिद्वार बाईपास रोड, प्रेमनगर रोड, रायपुर रोड, सहस्रधारा रोड पर तय सीमा से अधिक गति से वाहनों का संचालन दिखना आम बात हो गया है। यातायात प्रबंधन के लिए पुलिस व स्मार्ट सिटी ने 732 सीसीटीवी कैमरों के जाम भी बिछाया है। इनकी रियलटाइम निगरानी के लिए करीब 290 करोड़ रुपये की लागत से इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर भी बनाया गया है। इसके बाद भी तेज रफ्तार वाहनों पर प्रभावी अंकुश नहीं दिख रहा। या यूं कहें कि हमारी मशीनरी का ध्यान ही इस तरफ अपेक्षित रूप से नहीं है।
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ओवरस्पीड पर पुलिस ने वर्ष 2022 में 1829 चालान किए हैं। जिस तरह से सड़कों पर तेज रफ्तार वाहनों की रेलपेल रहती है, उसके मुताबिक यह कार्रवाई सिर्फ खानापूर्ति नजर आती है। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि तेज रफ्तार वाहनों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को और तेज होना पड़ेगा और इस काम मे अधिक मेहनत की जरूरत भी होती है। जबकि चालान के लिए पुलिस को सबसे आसान टारगेट नो-पार्किंग, बिना हेलमेट वाहन चलाने, दुपहिया पर तीन सवारी बैठाने व अन्य नियमों की अनदेखी के रूप में नजर आते हैं।रफ्तार पर लगाम के इंतजाम का सच
- राष्ट्रीय राजमार्ग (194 किलोमीटर)
- सिर्फ शहर के इर्दगिर्द 10 स्थल पर पुलिस व परिवहन विभाग की सक्रियता
- राज्य राजमार्ग (51 किलोमीटर)
- दो स्थलों पर निगरानी की व्यवस्था
- शहर की आंतरिक व अन्य अहम सड़कें (189 किलोमीटर)
- गति पर नियंत्रण को 12 स्थानों पर सक्रियता