Uttarakhand News: अब सड़क किनारे तंबू लगाकर रह रहे परिवारों का होगा सर्वे, जानिए क्या है इसका मतलब
उत्तराखंड में सड़क किनारे रहने वाले परिवारों का महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास निदेशालय सर्वेक्षण करने जा रहा है। सर्वेक्षण का उद्देश्य इन परिवारों की स्थिति का आंकलन करना और उन्हें वापस उनके मूल राज्यों में भेजने के लिए समन्वय स्थापित करना है। सर्वेक्षण के दौरान परिवारों के सदस्यों की सूची तैयार की जाएगी और उनके रहने के कारणों का पता लगाया जाएगा।
जागरण संवाददाता, देहरादून। प्रदेश की सड़कों पर तंबू लगाकर रह रहे परिवारों का महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास निदेशालय सर्वे करने जा रहा है। प्रथम चरण में जिला देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, नैनीताल में सर्वे किया जाएगा। परिवार किस राज्य का है एवं सड़क पर रहने के पीछे की वजह क्या है। सर्वे में इसकी तह तक जाने पहली प्राथमिकता रहेगी।
परिवार को वापिस भेजने के लिए संबंधित राज्य की सरकार से समंवय स्थापित किया जाएगा। जिससे परिवार को आसानी से वापस भेजा जा चुके। सर्वे पूरा होने तक बच्चों के पठन -पाठन के लिए स्कूल में दाखिला किया जाएगा। महिला कल्याण विभाग के अंतर्गत जिला प्रोबेशन कार्यालय की अहम भूमिका रहेगी।
दरअसल, प्रदेश में तराई से लेकर, पहाड़ी जिले के सड़क किनारे परिवार बच्चों के साथ रह रहे हैं। परिवार का भरण-पोषण ठीक ढंग से न होने से माता-पिता से लेकर बच्चे भिक्षावृत्ति में शामिल हैं। बाल कल्याण समिति के पास दर्ज रिकार्ड में यह बात सामने आई है। जितने भी बच्चे अब तक भिक्षावृत्ति के दौरान रेस्क्यू किए गए हैं। वह बाहरी राज्यों के हैं।
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माता-पिता की काउंसिलिंग करने पर यह बात भी सामने आई कि भिक्षावृत्ति के पीछे परिवार का भरण-पोषण करना पहली प्राथमिकता है। अब ऐसे में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास निदेशालय आर्थिक रूप से कमजोर एवं बिना वजह सड़क किनारे तंबू लगाकर रह रहे परिवारों का सर्वे करने जा रहा है।
सर्वे के दौरान परिवार के सदस्यों की सूची तैयार की जाएगी। इसके साथ ही परिवार कब से प्रदेश में रह रहा है। इसका रिकार्ड तैयार किया जाएगा। महिला सशक्तिकरण एवं विकास निदेशक प्रशांत आर्य ने बताया विभागीय स्तर पर सभी तैयारियां शुरू की जा चुकी है।
पहली प्राथमिकता बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्त कर स्कूल में दाखिला कराना है। वहीं सड़क किनारे रह रहे परिवारों का सर्वे करना है। जिससे परिवार जिस भी राज्य का है, उसे वापिस भेजने में आसानी हो सके। बताया जिला देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, नैनीताल में सड़क किनारे रह रहे परिवारों की संख्या सबसे अधिक है। दूसरे चरण में पहाड़ी जिले का सर्वे किया जाएगा। जिन भी परिवारों का रिकार्ड दर्ज किया जाएगा। उसकी मानिटरिंग जिला स्तर पर की जाएगी। जिससे वापिस जाने के डर से परिवार राज्य के अन्य जिले में प्रवेश न कर सके।
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आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।विभागीय सर्वे के प्रमुख बिंदु
- सड़क किनारे रहने वाले परिवारों का नाम पता का संपूर्ण विवरण किया जाएगा तैयार
- संबंधित राज्य को छोेड़कर उत्तराखंड में रहने के पीछे की वजह
- परिवार के भरण -पोषण के पीछे आर्थिकी का जरिया
- सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं, तो कैसे
- बच्चे स्कूल जा रहे हैं, तो कौन से विद्यालय में दाखिला लिया है
- बच्चों को स्कूल न भेजने के पीछे की वजह
- स्वास्थ्य संबंधित लाभ किस तरह से ले रहे
- यदि लोकतंत्र में मतदाता की भूमिका निभा रहे हैं, तो कैसे
- स्थानीय पहचान पत्र बना है, तो कौन से दस्तावेज शामिल किए
- बिजली, पानी के कनेक्शन किस आधार पर लिए गए