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वर्दी पहनने में घट रही रोडवेज कर्मियों की शान Dehradun News

रोडवेज प्रबंधन को एक सितंबर 2018 से उत्तराखंड परिवहन निगम में चालक व परिचालकों के लिए वर्दी अनिवार्य करने के हाईकोर्ट के आदेश का भी कार्मिकों पर असर नहीं पड़ रहा है।

By BhanuEdited By: Updated: Wed, 17 Jul 2019 01:52 PM (IST)
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वर्दी पहनने में घट रही रोडवेज कर्मियों की शान Dehradun News
देहरादून, अंकुर अग्रवाल। वर्दी की अहमियत क्या होती है, शायद उत्तराखंड रोडवेज के चालक व परिचालकों को नहीं मालूम। सेवा नियमावली में डयूटी के वक्त वर्दी अनिवार्य होने के बावजूद इन्हें वर्दी पहनने से गुरेज है। यही नहीं, नैनीताल हाईकोर्ट ने भी इसका संज्ञान लेकर रोडवेज प्रबंधन को एक सितंबर 2018 से उत्तराखंड परिवहन निगम में चालक व परिचालकों के लिए वर्दी अनिवार्य करने के आदेश दिए थे, लेकिन न कर्मचारियों ने इनका पालन किया न ही प्रबंधन अनुपालन करा पाया। प्रबंधन ने वर्दी न पहनने पर जुर्माने की चेतावनी दी थी, लेकिन बीते दस माह में एक भी कर्मी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई। 

सेवा नियमावली में वर्दी के साथ छाती पर नाम पट्टिका लगाना भी अनिवार्य शर्त है, लेकिन निगम में न वर्दी का उपयोग हो रहा, न ही नाम पट्टिका कहीं दिखाई देती। इस कारण यात्रियों को न केवल परेशानी होती है, बल्कि यात्रा में असुविधा होने पर चालक-परिचालक की पहचान भी नहीं हो पाती। 

दरअसल, उत्तराखंड परिवहन निगम की ओर से चालक व परिचालकों के लिए वर्दी का पहनना अनिवार्य तो किया गया है, मगर वर्दी मिलती नहीं। नियमानुसार निगम द्वारा हर वर्ष दो जोड़ी वर्दी का कपड़ा तथा हर तीसरे साल गरम वर्दी का कपड़ा दिया जाना तय है, लेकिन करोड़ों के वित्तीय घाटे से जूझ रहे रोडवेज प्रबंधन की ओर से वर्दी देना बंद कर दिया गया है। 

उत्तराखंड राज्य परिवहन निगम बने हुए 16 साल बीत चुके हैं और इस अवधि में चालक-परिचालकों को एक मर्तबा भी वर्दी के लिए कपड़ा नहीं दिया गया। वहीं, प्रबंधन द्वारा अब हाईकोर्ट के आदेश पर वर्दी भत्ता तो देना शुरू किया गया है, लेकिन चालक-परिचालक तब भी वर्दी नहीं पहन रहे। 

इनके लिए हैं वर्दी अनिवार्य

ड्यूटी के दौरान रोडवेज बस के चालक परिचालकों के लिए वर्दी पहनना अनिवार्य है। यातायात निरीक्षक, सहायक निरीक्षक व वर्कशॉप के तकनीकी कर्मचारियों को भी वर्दी पहनना आवश्यक है, लेकिन हकीकत यह है कि अधिकतर कर्मचारी बिना वर्दी में ही नजर आते हैं।

ना जुर्माना, ना कार्रवाई

रोडवेज में चालक परिचालक के अलावा अन्य कर्मचारियों के लिए ड्यूटी के दौरान वर्दी नहीं पहनने पर जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन इसका कोई असर नहीं। नियमों के मुताबिक ड्यूटी के दौरान वर्दी नहीं पहनने पर पहली बार सौ रुपए जुर्माना एवं दूसरी गलती पर सौ रुपए व चेतावनी का नियम है। तीसरी गलती पर वर्दी भत्ता बंद करने का प्रावधान है। 

यात्रियों को होती है परेशानी

बस में चालक-परिचालक बिना वर्दी व नाम पट्टिका के होने से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। रोडवेज बसों में चालक-परिचालक की ओर से यात्रियों को टिकट नहीं देने, बदसलूकी संबंधी शिकायत के लिए कार्मिक की पहचान करना यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बनता है। 

गुजरे वर्षों में ऐसे कई उदाहरण हैं। परिचालक के विरुद्ध युवतियों से छेड़छाड़ के मामले आए तो चालकों पर शराब पीकर बदसलूकी के आरोप लगे। सभी मामलों में शिकायतकर्ता को शिकायत करने के लिए मशक्कत करनी पड़ी।

महाप्रबंधक ने बताई ये वजह 

उत्तराखंड परिवहन निगम के महाप्रबंधक दीपक जैन के अनुसार, वित्तीय घाटे की वजह से परिवहन निगम चालक और परिचालकों को वर्दी नहीं दे पा रहा है। एक सितंबर 2018 से वर्दी पहनना अनिवार्य किया गया था और वर्दी भत्ता भी दिया जा रहा। प्रबंधन सख्ती से वर्दी पहनने का नियम लागू कराएगा।

चालक-परिचालकों का प्रति किमी मानदेय बढ़ा

रोडवेज में विशेष श्रेणी व संविदा के करीब 3000 चालक-परिचालकों का प्रति किमी मानदेय बढ़ा दिया गया है। महाप्रबंधक दीपक जैन की ओर से जारी आदेश में बताया गया कि नियमित कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में तीन फीसद की वृद्धि की गई थी। इसी के तहत संविदा, विशेष श्रेणी के चालक-परिचालकों की प्रति किमी दरों में छह फीसद की वृद्धि की गई है। बढ़ी हुई दरें बीस जून से निगम में लागू मानी जाएंगी। 

नए आदेश के तहत चालकों को मैदानी मार्ग पर 2.29 रुपये प्रति किमी के बजाए 2.36 रुपये प्रति किमी जबकि पर्वतीय मार्ग पर 2.74 रुपये प्रति किमी के बजाए 2.81 रुपये प्रति किमी की दर से भुगतान मिलेगा। परिचालकों को मैदानी मार्ग 1.95 रुपये के बजाए 2.01 रुपये प्रति किमी और पर्वतीय मार्ग पर 2.32 रुपये प्रति किमी के बजाए 2.38 रुपये प्रति किमी मिलेंगे। 

महाप्रबंधक ने बताया कि जेएनएनयूआरएम की बसों के चालक-परिचालकों के लिए स्थानीय मार्गों पर पर्वतीय दरें लागू होगी, लेकिन यह तभी लागू मानी जाएगी जब दूरी 75 किलोमीटर से ज्यादा न हो। इसके अलावा चालकों व परिचालकों को इपीएफ में 12 प्रतिशत एवं इएसआइ का भुगतान भी किया जाएगा। 

वहीं, उत्तरांवल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि यूनियन लगातार मानदेय में वृद्धि कराने को लेकर संघर्षरत थी। शासन में बीते दिनों वार्ता के वक्त भी इस पर सहमति बनी थी। 

डयूटी में मिलेगा वरिष्ठता का लाभ

रोडवेज बसों में ड्यूटी आवंटन में विशेष श्रेणी चालक व परिचालकों को वरिष्ठता का लाभ दिया जाएगा। महाप्रबंधक संचालन ने इसके आदेश जारी किए। महाप्रबंधक जैन ने बताया कि मौजूदा समय में संविदा और विशेष श्रेणी चालक-परिचालकों में ड्यूटी आवंटन को लेकर विवाद की शिकायतें आ रही हैं।

उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन बनाम उत्तराखंड राज्य एवं अन्य मामले में हाइकोर्ट ने विशेष श्रेणी चालक-परिचालकों को वरिष्ठता का लाभ देने के आदेश दिए हैं। यही आदेश सभी डिपो में लागू कराने को भेज दिए गए हैं।

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