उत्तराखंड में अब टीकाकरण में शामिल होगी रोटा वायरस वैक्सीन
प्रदेश में जल्द रोटा वायरस वैक्सीन को नियमित टीकाकरण में सम्मिलित किया जाएगा। विशेषज्ञों द्वारा राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रशिक्षण दिए जाने का कार्य प्रारंभ हो चुका है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 03 Jul 2019 03:56 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में जल्द रोटा वायरस वैक्सीन को नियमित टीकाकरण में सम्मिलित किया जाएगा। भारत सरकार के विशेषज्ञों द्वारा मंगलवार से राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रशिक्षण दिए जाने का कार्य प्रारंभ हो चुका है।
गंभीर डायरिया से सुरक्षा के लिए रोटा वायरस वैक्सीन को अभी तक देश के 11 राज्यों में दिया जा रहा है। अब उत्तराखंड में भी यह वैक्सीन नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत दी जाएगी। 2-3 जुलाई को गढ़वाल मंडल और 3-4 जुलाई को कुमाउं मंडल के स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित हो रहा है। महानिदेशालय परिसर में आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बताया कि डायरिया से होने वाली शिशु मृत्यु दर दो प्रतिशत है और प्रतिवर्ष देश के एक लाख बच्चों की मृत्यु का कारण डायरिया है। डायरिया होने के अलग-अलग कारण हैं, लेकिन रोटा वायरस से होने वाला डायरिया अत्यंत गंभीर है जिससे बचाव के लिए रोटा वायरस वैक्सीन का टीका दिया जाना एक मात्र उपाय है।
एनएचएम की निदेशक डॉ. अंजलि नौटियाल ने बताया कि वैक्सीन एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों को 6, 10 एवं 14 सप्ताह पर पेंटावैलेंट वैक्सीन के साथ दी जाएगी। यह वैक्सीन पोलियो ड्रॉप की तरह मुंह द्वारा दी जाएगी और एक खुराक में 5 ड्रॉप वैक्सीन पिलाई जाएगी। यह वैक्सीन वर्तमान में केवल निजी चिकित्सालयों/क्लीनिक पर दी जा रही है। सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से यह वैक्सीन निश्शुल्क प्रदान की जाएगी और नियमित टीकाकरण दिवसों के दौरान ही इस वैक्सीन को दिया जाएगा।
राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. सरोज नैथानी ने बताया कि रोटा वायरस वैक्सीन के कारण शिशु में होने वाले रुग्णता एवं मृत्यु को 74 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। इसलिए यह वैक्सीन शिशु स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण पहल है। बताया कि देश में लगभग 50 प्रतिशत बच्चे अपने जन्म के प्रथम वर्ष में रोटा वायरस के कारण मर रहे हैं। जबकि 75 प्रतिशत बच्चे अपने जन्म के दूसरे वर्ष में इस वायरस से ग्रसित हो रहे हैं। कार्यशाला में डॉ. सईद कादरी, फैजान, डॉ. विकास शर्मा, डा अजितेंद्र कुमार आदि मौजूद रहे।
22 जुलाई से सघन डायरिया नियंत्रण अभियान
पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में डायरिया से बचाव और नियंत्रण के लिए राज्य सरकार आगामी 22 जुलाई से सघन डायरिया नियंत्रण अभियान शुरू करने जा रही है। इस दौरान 12 लाख बच्चों को ओआरएस दिया जाएगा और डायरिया से ग्रसित बच्चों को 14 दिनों के लिए जिंक की गोलियां निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाएंगी। डायरिया नियंत्रण अभियान के संचालन के लिए मुख्य सचिव कार्यालय सभागार में संबंधित विभागों के साथ राज्य स्तरीय समन्वय समिति की बैठक हुई। अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत ने कहा कि जन स्वास्थ्य के दो महत्वपूर्ण सूचकांक शिशु और मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए राज्य सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके परिणाम स्वरूप प्रदेश की शिशु मृत्यु दर 38 प्रति हजार जीवित जन्म के सापेक्ष 32 प्रति हजार जीवित जन्म के स्तर पर आ गई है। मिशन निदेशक ने कहा कि जन स्वास्थ्य के सभी पहलुओं पर तभी सफलता प्राप्त की जा सकती है, जबकि सहयोग करने वाले विभागों में परस्पर अच्छा तालमेल हो।
बताया कि यह अभियान 22 जुलाई से 31 अगस्त तक चलेगा और इस अवधि में 19 लाख ओआरएस के पैकेट और 32.70 लाख जिंक की गोलियां चिकित्सालयों, स्वास्थ्य केंद्रों, निजी चिकित्सालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से वितरित की जाएंगी। मिशन निदेशक के अनुसार अभियान के दौरान 90 प्रतिशत से भी अधिक ओआरएस पैकेटों का वितरण का लक्ष्य रखा गया है, और इसकी निगरानी के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। एनएचएम निदेशक डॉ. अंजली नौटियाल ने बताया कि अभियान के दौरान ओआरएस कार्नर बनाए जाएंगे, जहां पर ओआरएस पैकेट निश्शुल्क मिलेगा और घोल बनाने की विधि व जिंक की गोली की खुराक के बारे में जानकारी दी जाएगी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कहा कि वह सभी सरकारी विद्यालयों की प्रात: कालीन प्रार्थना सभा के दौरान बच्चों को हाथ धोने एवं स्वच्छता के बारे में प्रशिक्षित कराएं।
बैठक में उपस्थित विभागों द्वारा सुझाव दिया गया कि मदरसों एवं अल्पसंख्यक समुदाय के लिए उर्दू भाषा और सरल शब्दों में डायरिया से बचाव के संदेश दिए जाएं ताकि माता पिता औक अभिभावक ओआरएस के महत्व को समझ सकें और जिंक की गोली को उपचार के दौरान लेना जान सकें। यह भी पढ़ें: अब गर्भवती महिला और बच्चे को लगेगा टीडी का टीका, जानिए इसके बारे में
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