मुफ्त की बिजली फूंकने पर आरटीआइ क्लब का प्रहार, पढ़िए पूरी खबर
हाईकोर्ट के आदेश के बाद ऊर्जा निगम ने कार्मिकों की बिजली दरों में 50 फीसद की बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव तैयार किया है। ऐसा न होता अगर आरटीआइ क्लब याचिका न दायर करता।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 28 Nov 2019 06:20 PM (IST)
देहरादून, सुमन सेमवाल। शायद ही किसी ने कभी सोचा होगा कि 65 से 425 रुपये महीना देकर मनमाने तरीके से बिजली फूंकने वाले ऊर्जा निगम के कार्मिकों पर भी महंगी बिजली की मार पड़ेगी। क्योंकि अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद ऊर्जा निगम ने कार्मिकों की बिजली दरों में 50 फीसद की बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव तैयार किया है। हालांकि, यह सब इतना आसान भी नहीं होता, अगर आरटीआइ क्लब हाईकोर्ट में याचिका न दायर करता। क्लब भी कोर्ट में याचिका दाखिल करने को इसलिए विवश हुआ, क्योंकि निगम घाटे के दलदल में समा रहा है और उसकी भरपाई उपभोक्ताओं से करने के लिए हर साल बिजली के दाम बढ़ा दिए जाते हैं।
याचिका आरटीआइ क्लब के महासचिव एएस धुन्ता की ओर से दायर की गई है। एएस धुन्ता का कहना है कि उनका क्लब हमेशा जनता के हितों की रक्षा के लिए खड़ा रहता है। इस दफा भी जब उन्हें लगा कि ऊर्जा निगम के कार्मिक आमजन से अलग विशेष ट्रीटमेंट हासिल कर रहे हैं तो इस मनमर्जी के खिलाफ सितंबर में याचिका दाखिल की गई।
याचिका के लिए आरटीआइ से जानकारी जुटाई गई। कार्मिकों की संख्या के आंकड़े लिए गए और इसकी पड़ताल की गई कि किस तरह बिना मीटर के ही ऊर्जा निगम कार्मिक बिजली खर्च कर रहे हैैं। इसके साथ ही कोर्ट को बताया गया कि हिमाचल प्रदेश में ऊर्जा निगम के कार्मिकों को सिर्फ 125 यूनिट बिजली मुफ्त में दी जाती है और यह लाभ भी वर्ष 2011 से पहले तैनात कार्मिकों को दिया जाता है।
इसी तरह हरियाणा में 150 यूनिट बिजली फ्री है और राजस्थान में 150 रुपये तक बिजली भत्ता कार्मिकों को दिया जाता है। कोर्ट को इन तीनों राज्यों में बिजली कार्मिकों को मिल रही सुविधा के दस्तावेज दिए गए और बताया गया कि उत्तराखंड में रैंक के हिसाब से अधिकतम 425 रुपये महीने देकर कितनी भी बिजली फूंकी जाती है। कौन कार्मिक कितनी बिजली फूंक रहा है, निगम के पास इसका हिसाब तक नहीं है। यह इसलिए कि बड़ी संख्या में कार्यरत और रिटायर कार्मिकों के परिसर में मीटर ही नहीं लगे मिले।
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हालांकि, अब इस याचिका के बाद ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा को आदेश जारी करना पड़ा कि नवंबर का वेतन या पेंशन तब जारी किया जाएगा, जब संबंधित कार्मिक बिजली का मीटर लगा लेंगे। आरटीआइ क्लब के महासचिव धुन्ता का कहना है कि यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और उनकी निगाह अब दो दिसंबर को होने वाली सुनवाई पर टिकी है। इस सुनवाई में ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक को व्यक्तिगत रूप से तलब किया गया है। हो सकता है कि मुफ्त की बिजली फूंकने पर कोर्ट कोई ऐतिहासिक निर्णय सुना दे।
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