भा रहा है भोजन की बर्बादी रोकने वाला ये अनचाहा 'मेहमान', जानिए इसके बारे में
गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में लैब सहायक संदीप गोयल ने एक मुहिम छेड़ रखी है। वे किसी भी शादी समारोह में घुस जाते हैं और लोगों को प्रेरित करते हैं कि वो खाने की बर्बादी न करें।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 22 Jul 2019 08:49 PM (IST)
देहरादून, सुमन सेमवाल। कितनी आसान बात है बचे हुए खाने को कूड़ेदान के हवाले कर देना। शादी-पार्टियों में एक से बढ़कर एक आइटम थाली में समेट लेना और फिर आधा खाना भी खत्म किए बिना उसे छोड़ देना। ...और सोचा जाए तो चिंतन के लिए इससे बड़ा विषय कोई हो नहीं सकता। क्योंकि हम उस देश के वासी हैं, जहां साल में जितना अन्न पैदा होता है, उसका करीब 40 फीसद हम किसी न किसी रूप में बर्बाद कर देते हैं।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में शामिल 88 देशों में हमारा स्थान 63वां है। इसके बाद भी यदि किसी शादी-पार्टी को कोई व्यक्ति हाथ में 'भोजन उतना ही लें थाली में, व्यर्थ न जाए नाली में' का बैनर लेकर खड़ा हो जाए तो हम उसे किसी अजूबे की तरह देखने लग जाएं। ऐसा हो भी रहा है, क्योंकि भोजन की बर्बादी से व्यथित एक व्यक्ति उपहास का पात्र बनने के बाद भी बेधड़क किसी भी समारोह में घुस जाता है और भोजन शुरू होते ही लोगों के सामने अपना बैनर निकालकर खड़ा हो जाता है। ऐसा करने वाले शख्स हैं संदीप गोयल, जो राजधानी दून के गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में लैब सहायक हैं और अपने पेशे के अलावा यह काम वह एक जागरूक नागरिक की भांति कर रहे हैं।
मिठाई की तरफ झपटे बच्चों ने सोचने को किया विवश
संदीप गोयल बताते हैं कि वर्ष 2016 में एक रोज वह किसी विवाह समारोह में शरीक हुए और अधिकतर लोगों की तरह अपना आधा खाना थाली में छोड़कर हाथ में मिष्ठान लिए बाहर निकल रहे थे। तभी उनकी नजर बाहर खड़े कुछ गरीब बच्चों पर पड़ी, वह मिठाई की तरफ बेहद ललचाई नजर से देख रहे थे। संदीप गोयल ने उनकी तरफ मिठाई बढ़ाई तो वह उस पर बुरी तरह झपट पड़े। कभी वह एकटक मिठाई खाने में व्यस्त बच्चों की तरफ देखते तो कभी उनके मन में वह दृश्य कौंध रहा था, जिसमें विवाह समारोह स्थल के कूड़ेदान में तमाम लोगों का फेंका खाना था। उसी दिन से संदीप गोयल ने प्रण कर लिया कि भोजन की बर्बादी रोकने के लिए कुछ पहल की जानी चाहिए। 23 जुलाई 2016 में उन्होंने इसके लिए सेवा बैंक की स्थापना की और बहुत सोच विचार के बाद 'भोजन उतना ही लें थाली में, व्यर्थ न जाए नाली में' का स्लोगन तैयार कर कई बैनर बनाए।
बैनर लेकर रहते खड़े, कूड़ेदान में भोजन देखकर बनाते हैं बड़ा सा मुंह
शुरुआत में वह अकेले ही बैनर को लेकर विवाह समारोह और पार्टियों में घुस जाते थे। वह न सिर्फ बैनर लेकर खड़े रहते, बल्कि जहां कूड़ेदान में अधिक खाना दिखता तो बड़ा सा मुहं बनाकर लोगों का ध्यान खींचने का प्रयास करते हैं। लोगों ने उनका उपहास भी उड़ाया। कई लोग उनको देखकर हंसते और कहते कि इसका कोई नट ढीला है। मगर, समाज के लिए कुछ करने की धुन लिए संदीप के इरादे डिगे नहीं और आज उनके सेवा बैंक से 400 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। जो कभी संयुक्त तो कभी अकेले ही भोजन की बर्बादी रोकने की आवाज बुलंद कर रहे हैं। रास आने लगे ऐसे अनचाहे मेहमान
अच्छी बात यह है कि सेवा बैंक से जुड़े इस तरह के अनचाहे मेहमान अब समारोह में लोगों को रास आने लगे हैं। लोग धीरे-धीरे समझ रहे हैं कि उन्हें जरूरत के मुताबिक ही भोजन थाली में लेना है। यही कारण है कि विवाह समारोह में संदीप गोयल इस बैनर के साथ नव दंपतियों व परिजनों के एक हजार से अधिक फोटो खींचकर उनका प्रण ले चुके हैं। 100 वेडिंग प्वाइंट, धार्मिक स्थलों पर लगाएंगे स्थाई बैनर
हाल ही में लोगों को जागरूक करने के लिए वह दून में तमाम प्रतिष्ठित लोगों को जोड़कर रैली निकाल चुके हैं और रक्तदान का अभियान चलाकर बता चुके हैं कि अन्न और खून के बीच बेहद गहरा संबंध है। इसे व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। निकट भविष्य में संदीप गोयल 100 वेडिंग प्वाइंट के साथ ही दून के टपकेश्वर मंदिर, लक्ष्मण सिद्ध समेत प्रमुख स्थलों पर भोजन की बर्बादी रोकने का संदेश देने वाले स्थाई बैनर लगाने की तैयारी कर रहे हैं। गोयल का मानना है कि भले ही खरीदे गए भोजन का पैसा लोगों का है, मगर संसाधन देश के हैं। इस गूढ़ बात को लोग समझ पाएंगे तो यह मुहिम स्वत: ही सफल होने लगेगी।
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