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Sanskaarshala: डा. रितु पाठक बोली- हमें इंटरनेट मीडिया को लेकर तय करनी होगी जवाबदेही

Sanskaarshala देहरादून स्थित वेल्हम गर्ल्स स्कूल में अध्यापिका डा रितु पाठक का कहना है कि हमें इंटरनेट मीडिया का उपयोग जिम्मेदारी सूझबूझ और अनुशासन से करना चाहिए। साथ ही हमें इंटरनेट मीडिया को लेकर भी जवाबदेही तय करनी होगी।

By JagranEdited By: Sunil NegiUpdated: Fri, 23 Sep 2022 05:45 PM (IST)
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डा रितु पाठक अध्यापिका वेल्हम गर्ल्स स्कूल देहरादून। जागरण
देहरादून। पिछले एक दशक से दुनियाभर के लोग के लिए इंटरनेट मीडिया बड़ा प्लेटफार्म बन चुका है। आज के युग में शायद ही कोई ऐसा होगा, जो इंटरनेट मीडिया की गिरफ्त में न हो।

खासतौर पर युवा पीढ़ी इसकी आदी हो चुकी है। वाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, ट्विटर और टेलीग्राम पर भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के लोग व्यस्त चल रहे हैं। यह सही है कि मौजूदा समय में इंटरनेट मीडिया सूचना के आदान-प्रदान करने का सबसे बड़ा साधन बन चुका है।

यह एक बहुत बड़ा नेटवर्क है, जो पूरी दुनिया को एक-दूसरे से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह एक वर्चुअल दुनिया है, जिसकी अनेकों विशेषताएं हैं। जैसे कि सूचनाओं का आदान-प्रदान, मनोरंजन और मुख्य रूप से देखा जन समुदाय को शिक्षित करना।

यह शिक्षा के लिए एक अच्छा माध्यम साबित हो रहा है। साथ ही यह कई सामाजिक मुद्दों पर जागरुकता पैदा कर रहा है। इसके माध्यम से आनलाइन जानकारी तेजी से भेजी जा सकती है, जिसकी मदद से सूचना तत्काल प्राप्त हो जाती है।

इसलिए इसको सूचना का एक सुगम माध्यम भी माना जाता रहा है। इसके जरिए हम दुनियाभर का ज्ञान रख सकते हैं, लेकिन इसके दुष्परिणाम भी सामने हैं। यदि हम इसके दूसरे पहलू का गहनता से अध्ययन करें तो साइबर क्राइम जैसे अपराध भी इसके माध्यम से होते हैं।

हमें इंटरनेट मीडिया का उपयोग जिम्मेदारी, सूझबूझ व अनुशासन से करना चाहिए। हमारा यह भी दायित्व बनता है कि लोग को इंचमीडिया के सही उपयोग की जानकारी दें। दूसरी ओर अभिभावकों का यह भी कर्तव्य बनता है कि कम उम्र के बच्चों को मोबाइल फोन से दूर ही रखें।

बच्चे इसका गलत उपयोग भी कर सकते हैं और इसके दूरगामी दुष्परिणाम सामने आते हैं। हमें इंटरनेट मीडिया पर उपयोगी जानकारी का ही आदान-प्रदान करना चाहिए। दरअसल, इंटरनेट मीडिया के भी दो पहलू हैं। एक अच्छा और दूसरा बुरा।

हमें जिम्मेदारी से इसका उपयोग करने की जरूरत है। क्योंकि इंटरनेट मीडिया से कई तरह के साइबर क्राइम के अवसर मिलते हैं। समस्या यह है कि इनमें से ऐसे लोग की संख्या बहुत बड़ी है जो धार्मिक मान्यताओं व सांप्रदायिक विचारधाराओं से अपने निजी स्वार्थ के लिए नफरत फैलाने के इरादे से फर्जी सूचनाएं फैलाते हैं।

हालांकि फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने के मकसद से केंद्र सरकार ने यू-ट्यूब आदि पर चलने वाले निजी चैनलों पर निगरानी रखने की कार्य योजना तैयार की थी, लेकिन उसमें पारदर्शिता न होने के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि केवल सत्ता के विरोध में आवाज उठाने वाले लोग पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता।

अदालत ने कहा था कि इसके बढ़ते दुष्प्रभाव को लेकर जवाबदेही भी तय करनी होगी। कुछ वर्षों से इंटरनेट मीडिया के मंचों पर जिस तरह से निराशा दिखाई देने लगी है, वह वास्तव में चिंता का विषय है।

क्योंकि इंटरनेट मीडिया के मंच पर अपना खाता बनाने या व्यक्तिगत समाचार चैनल चलाने के लिए किसी तरह के लाइसेंस या किसी भी कानूनी प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती।

हालांकि इंटरनेट मीडिया जोखिमों के बावजूद, बच्चों के कौशल को विकसित करने और एक अच्छा डिजिटल मंच बनाने के लिए मूल्यवान अवसर प्रदान करता है। कुछ लोग का मानना तो यह भी है कि यदि आप डिजिटल रूप में उपस्थित नहीं हैं तो आपका कोई अस्तित्व ही नहीं है।

डा. रितु पाठक, शिक्षक हिंदी विभाग वेल्हम गर्ल्स

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