Sanskaarshala: बच्चे की मोबाइल की लत दूर करने की चाबी सिर्फ अभिभावक के पास
दैनिक जागरण के पटेलनगर कार्यालय में प्रसिद्ध क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट डा. वीणा कृष्णन ने हेलो जागरण फोरम पर आमजन के सवालों के जवाब दिए। उन्होंने अभिभावकों को अपने बच्चों को मोबाइल की लत को छुटाने के टिप्स भी दिए।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 12 Sep 2022 04:02 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून : कंप्यूटर, लेपटाप, मोबाइल जहां आज जरूरत का अहम हिस्सा बन गए हैं, वहीं इसका अति उपयोग घातक भी सिद्ध हो रहा है। खासकर बच्चों में इसकी लत व मिसयूज अभिभावकों के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है।
स्थिति यह है कि अभिभावक अपने बच्चों को इसके उपयोग से न तो दूर रख सकता है और ना ही उनके पास इतना समय मिल पाता है कि वो हर समय उनको निगरानी में रखें। ऐसे में कैसे स्क्रीन टाइम मैनेजमेंट किया जाए कि बच्चे का मानसिक व शारीरिक विकास भी निरंतर बढ़ता रहे और वह इन साधनों का दुरुपयोग भी ना कर सके, यह बेहद चुनौती का विषय है।
इस मुद्दे पर शनिवार को दैनिक जागरण के पटेलनगर कार्यालय में प्रसिद्ध क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट डा. वीणा कृष्णन ने हेलो जागरण फोरम पर आमजन के सवालों के जवाब दिए। उन्होंने अभिभावकों को अपने बच्चों को मोबाइल की लत को छुटाने के टिप्स भी दिए। कहा कि बच्चे की लत दूर करने की चाबी सिर्फ अभिभावक के पास है।
- सवाल : मेरा आठ साल का बेटा है। वह घर में ज्यादातर समय मोबाइल पर गेम खेलता रहता है। मना करने पर गुस्सा होता है और खाना नहीं खाता है। स्कूल से दिया गया गृहकार्य भी पूरा नहीं करता है। कुछ समय से वह चिड़चिड़ा भी हो गया है। शिवानी, पटेलनगर देहरादून
- जवाब: बच्चे को मोबाइल फोन देखने की आदत अभिभावकों ने ही डाली। इसलिए सबसे पहले यह स्वीकार करें कि गलती स्वयं अपनी है। अब इस आदत को छुड़वाने की जिम्मेदारी भी आपकी है। बच्चे को प्यार से समझाएं उसका ध्यान खेलने, गृहकार्य करने व घर के समीप मैदान में सैर करने के लिए खुद लेकर जाएं। माता-पिता बच्चे से अधिक से अधिक बात करें। रात को सोते समय उनके सिर पर तेल मालिश करें और मोबाइल से होने वाले नुकसान के बारे में आराम की मुद्रा में जानकारी दें।
- सवाल : अधिक समय तक मोबाइल देखने की आदत बच्चों के लिए तो नुकसानदायक बताई जाती है, लेकिन बड़ों को भी इसकी लत हो तो यह उनके लिए भी हानिकारक हो सकता है। इसका क्या समाधान है। वीना गुसाईं, विकासनगर
- जवाब : मोबाइल की लत बच्चा हो या वयस्क सभी के स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है। मोबाइल में जो एप डाले गए हैं वह कंपनी ने उपभोक्ता से पैसे कमाने के लिए डाले हैं, इसलिए सोचें कि इससे न केवल आपका मानसिक नुकसान हो रहा है बल्कि आर्थिक रूप से भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अधिक मोबाइल देखने से ब्रेन की अन्य शारीरिक गतिविधियों को कमांड करने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वयस्क मोबाइल देखने के बजाए अन्य गतिविधियां जैसे व्यायाम करना, घर का छोटा-बड़ा काम करना, किचन गार्डन में कुछ देर काम करना चाहिए।
- सवाल : मेरी करीब सात महीने पहले शादी हुई। पत्नी की अधिकतर समय टीबी पर सीरियल देखने की आदत है। मैंने परेशान होकर केबल कनेक्शन कटवा दिया, तो अब वह मोबाइल पर सीरियल देख रही हैं। जिससे में परेशान हूं। जगवीर सिंह, देहरादून
- जवाब : अपनी पत्नी के साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार बनाए रखना होगा। डांटने-फटकारने पर उन्हें बुरा लगेगा। उन्हें समझाना होगा कि तुम्हारे अधिकांश समय मोबाइल पर बिजी रहने से मैं खुद को अकेला महसूस कर रहा हूं। अपनी बीबी को आगे की पढ़ाई के प्रति प्रेरित करें। उन्हें नये कौशल विकास जैसे विषयों के बारे में जानकारी दें ताकि उनका ध्यान मोबाइल पर सीरियल देखने के बजाए अपने आगे के करियर बनने के लिए प्रेरित होगा।
- सवाल : मेरी डेढ़ वर्ष की बेटी है। उसे हमने ही यह आदत डाली कि वह मोबाइल पर गाने देखकर खेलती है, लेकिन अब मोबाइल हटाने पर वह बहुत देर तक रो रही है और चिल्ला रही है। हम डरकर उसे दोबारा मोबाइल पर गाने दिखाने शुरू कर देते हैं। बेटी की यह आदत कैसे छूटेगी। शिव कुमार, नकरौंदा, देहरादून
- जवाब : आप अपनी बेटी से मोबाइल छीन सकते हैं। उसे रोने दें। एक-दो दिन बाद उसे केवल गाना सुनाएं मोबाइल न देखने दें। माता-पिता सीसे के सामने खड़े होकर गाने के साथ ताली बजाएं और बेटी को भी हंसाएं। खुद भी बेटी के सामने मोबाइल न चलाएं।
- सवाल : आधुनिक तकनीकी युग में आज कंप्यूटर पर अधिक काम करना समय की मांग बन चुकी है। कई युवा 10 से 12 घंटे कंप्यूटर पर कार्य करते हैं। यह उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होगा। सुमन देवी पांडे, देहरादून
- जवाब : कंप्यूटर इंजीनियर 14-16 घंटे हार्डवेयर पर कार्य करते हैं। यह उनकी लत नहीं हैं। कम्प्यूटर पर पेशेवर कार्य करना कोई बुरी बात नहीं है। लेकिन घंटों कंप्यूटर व लेपटाप पर गम खेलना और फिल्मों को डाउनलोड कर देखना मानसिक अस्वस्थता को न्योता देता है। यह विकास में बाधा है। इससे कोई लाभ होने वाला नहीं हैं। ऊपर से परिवार में भी तनाव उत्पन्न होता है।
- सवाल : मेरे बच्चे अधिकतर समय मोबाइल पर या तो कार्टून देखते हैं या फिर यू-टयूब पर गाने सुनते हैं। इस लत के बाद वह बाहर खेलने कूदने भी नहीं जा रहे हैं। शोभा राम, चकराता, देहरादून जवाब : बच्चों को डांटे नहीं। उन्हें समझाएं कि मोबाइल अधिक देखने से आंखों की समस्या सहित कई तरह की बीमारियां होती हैं। बच्चों को खेलकूद व सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ जोडें और खुद भी उन्हें अधिक से अधिक समय दें। उनकी जिज्ञासा को शांत करने का प्रयास करें।
- सवाल : मेरी बेटी तीन साल की है। वह बचपन से मोबाइल देख रही है। छीनने पर चिड़चड़ी हो जाती है। कमल शर्मा, त्यागी रोड
- जवाब : अभी आपकी बेटी बहुत छोटी है। आप उसे थोड़ी सी शक्ति से नियंत्रित कर सकते हैं। मोबाइल छीनने से वह रोती भी है तो रोने दें, इसमें दो से तीन दिन का समय जरूर लगेगा। उसे अन्य गतिविधियों में व्यस्त करें।
- सवाल : मेरी बेटी छटवीं कक्षा में पढ़ती है। वह स्कूल से आने के बाद मोबाइल में गेम खेलती है। डांटने पर गुस्सा हो जाती है। बेटी की यह आदत कैसे छुड़ाएं। राहुल कुमार पटेलनगर
- जवाब : अपनी बेटी का टाइम टेबल बनाएं। शारीरिक गतिविधियों की तरफ उसका ध्यान आकर्षित करें। डांटने से काम नहीं चलेगा इससे उसके दिमाग पर बुरा असर पड़ेगा। उसे प्रकृति, चिड़िया व नदी पहाड़ों जैसे विषयों के बारे में जानकारी दें।
- सवाल : छोटे बच्चों की मोबाइल की लत कैसे छुड़ाएं। हर बच्चा दिन में पांच से सात घंटे मोबाइल पर गेम खेल रहा है। यह आज के दौर में हर घर की आम बात हो गई है। डा. लक्षमण चौहान, नवोदय विद्यालय, ननूरखेड़ा
- जवाब : बच्चे अगर चार साल से छोटे हैं तो उनसे जबरन इस लत को छुड़ाया जा सकता है, लेकिन अगर बच्चे बड़े हैं तो बातचीत के जरिये ही समाधान निकल सकता है। बच्चों को समझाएं। उनके लिए हफ्ते में एक दिन मोबाइल देखने का दिन तय करें। लेकिन उस दिन परीक्षा न हो। इससे आपके बच्चे की मोबाइल की लत से छुट सकती है।
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