Move to Jagran APP

Sanskaarshala : बच्चों को बताएं क्या गलत है, दोस्तों के साथ आमने-सामने की बातचीत के लिए करें प्रोत्साहित

sanskaarshala दून इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य दिनेश बर्त्वाल कहा कहना है कि हम बच्चों को इंटरनेट मीडिया के सही उपयोग करने को प्रोत्साहित करें। बच्चों को बताएं क्या गलत है दोस्तों के साथ आमने-सामने की बातचीत को प्रोत्साहित करें।

By Jagran NewsEdited By: Sunil NegiUpdated: Fri, 14 Oct 2022 09:35 PM (IST)
Hero Image
sanskaarshala दून इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य दिनेश बर्त्वाल।
देहरादून। वर्तमान समय में डिजिटल प्लेटफार्म का विस्तार हर उम्र और तबके में काफी तेजी से हो रहा है। इसमें बच्चों की मौजूदगी ज्यादा देखी जा रही है। बच्चे छोटी उम्र से ही स्मार्टफोन के आदी होते जा रहे हैं और अपना अधिक से अधिक समय बिना इसके अच्छे बुरे प्रभाव को जाने इसमें बिताना पसंद कर रहे हैं। जिसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।

अच्छे बुरे प्रभावों के बारे में बताएं

इसमें कोई दो राय नहीं है कि डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग एवं विस्तार आज के समय में तेजी से हो रहा है और कुछ मायने में यह उपयोगी भी है। ऐसे में माता पिता के साथ अध्यापकों की भूमिका अहम हो जाती है। यह जरूरी है कि वह बच्चों को डिजिटल प्लेटफार्म के अच्छे बुरे प्रभावों के बारे में बताएं।

मानसिक स्वास्थ्य पर डाल रहा असर

कोरोनाकाल के बाद हुए एक शोध के अनुसार डिजिटल प्लेटफार्म बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है। इससे न सिर्फ उनकी तर्क शक्ति कमजोर हो रही है, बल्कि वह डिप्रेशन और साइबर बुलिंग (इंटरनेट माध्यम के जरिए किसी को तंग करना) के शिकार भी हो रहे हैं।

इंटरनेट पर संयमित व अनुसाशित व्यवहार

यहां यह बात ध्यान रखने की है की अगर हम अपने डिजिटल व्यवहार में संयम, अनुसाशन बना कर इसका उपयोग करें तो इसके कई फायदे हो सकते हैं। इंटरनेट पर संयमित व अनुसाशित व्यवहार न केवल हमें असीमित सूचना का भंडार प्राप्त हो सकता है, बल्कि इसके माध्यम से बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों के बारे में भी ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

सामान्य ज्ञान, कम्युनिकेशन स्किल में हो सकती बढ़ोतरी

कोई बच्चा किसी कारणवश स्कूल नहीं जा पाता है और उसकी क्लास छूट जाती है, तो वह इंटरनेट मीडिया की मदद से भी कक्षा में सम्मलित हो सकता है। कोरोनाकाल को इसका अब तक का सबसे अच्छा उदाहरण मान जा सकता है। इसके अलावा सुडोको जैसे अन्य दिमाग वाले खेलों से दिमाग के साथ तार्किक शक्ति को मजबूत किया जा सकता है। इससे सामान्य ज्ञान, कम्युनिकेशन स्किल में बढ़ोतरी हो सकती है।

नकारात्मक प्रभाव भी आ सकते सामने

यह भी ध्यान रखना होगा कि बच्चों को डिजिटल प्लेटफार्म के भरोसे ही छोड़ दें, तो इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी सामने आ सकते हैं। इनमें मुख्यत: बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर, नींद में कमी, अवसाद, चिंता, पढ़ाई-लिखाई पर प्रभाव, इंटरनेट की लत, स्वजन से दूरी, समय की बर्बादी हिंसक प्रवृत्ति में बढ़ोतरी, एकाग्रता में कमी आदि शामिल है।

यह भी पढ़ें: Sanskaarshala: इंटरनेट मीडिया के लिए होनी चाहिए उम्र की बाध्यता, जन अभियान भी किए जाएं आयोजित

इंटरनेट मीडिया के सही उपयोग

इसलिए मेरा व्यक्तिगत मानना है कि एक जिम्मेदार माता-पिता, शिक्षक होने के नाते हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है कि हम बच्चों को इंटरनेट मीडिया के सही उपयोग करने को प्रोत्साहित करने के साथ बच्चों के लिए कुछ आवश्यक दिशा-निर्देश भी बनाएं। जैसे समय सीमा निर्धारित करें, बच्चों के सोशल एकाउंट्स की समय-समय पर निगरानी करें। बच्चों को बताएं क्या गलत है, दोस्तों के साथ आमने-सामने की बातचीत के लिए प्रोत्साहित करें।

-दिनेश बर्त्वाल, प्रधानाचार्य, दून इंटरनेशनल स्कूल

यह भी पढ़ें:- Sanskaarshala: गेमिंग और शराब की लत में अंतर नहीं, इससे युवाओं को बचाने के लिए उठाएं कदम

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।