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Sawan 2022 : द्रोणनगरी के इस शिव मंदिर में जल चढ़ाने से पूरी होती है मन्नत, महाभारत काल में भोले ने दिए थे दर्शन

Sawan 2022 ऐतिहासिक श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर में महाभारत काल से पहले गुरु द्रोणाचार्य के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दर्शन दिए थे। विशेष बात ये है कि देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी शिवभक्त और पर्यटक भगवान के दर्शन को यहां आते हैं।

By Nirmala BohraEdited By: Updated: Sun, 24 Jul 2022 10:36 AM (IST)
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Sawan 2022 : ऐतिहासिक श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर

जागरण संवाददाता, देहरादून : Sawan 2022 : द्रोणनगरी के नाम से प्रसिद्ध देहरादून शहर से करीब छह किलोमीटर दूर गढ़ी कैंट छावनी क्षेत्र में तमसा नदी के तट पर ऐतिहासिक श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि महाभारत काल से पहले गुरु द्रोणाचार्य के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दर्शन दिए। गुरु द्रोण के अनुरोध पर ही भगवान शिव जगत कल्याण को लिंग के रूप में स्थापित हो गए।

इसके बाद द्रोणाचार्य ने शिव की पूजा की और अश्वत्थामा का जन्म हुआ। मंदिर में सावन महीने में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। विशेष बात ये है कि देश ही नहीं, बल्कि विदेश से भी शिवभक्त और पर्यटक भगवान के दर्शन को यहां आते हैं। पूरे सावन के महीने यहां मेले का माहौल बना रहता है और दर्शन के लिए लंबी लाइन लगानी पड़ती है।

मंदिर का इतिहास :

टपकेश्वर महादेव मंदिर के बारे में मान्यता है कि अश्वत्थामा ने मंदिर की गुफा में छह माह एक पांव पर खड़े होकर भगवान शिव की तपस्या की और जब भगवान प्रकट हुए तो उनसे दूध मांगा। इस पर प्रभु ने शिवलिंग के ऊपर स्थित चट्टान में गऊ थन बना दिए और दूध की धारा बहने लगी। इसी कारण से भगवान शिव का नाम दूधेश्वर पड़ गया। कलयुग में दूध की धारा जल में परिवर्तित हो गई, जो आज भी निरंतर शिवलिंग पर गिर रही है। इस कारण इस स्थान का नाम टपकेश्वर पड़ गया।

मंदिर की विशेषता:

  • महादेव ने यहीं पर देवताओं को देवेश्वर के रूप में दर्शन दिए थे।
  • यहां दर्शन के लिए काफी भीड़ उमड़ी रहती है।
  • नित्य शाम को छह बजे आरती और विशेष श्रृंगार किया जाता है।
  • मंदिर पहाड़ी गुफा में स्थित है। यहां जाकर मन को शांति की अनुभूति मिलती है।
  • मंदिर के नीचे सीढ़ी से उतरते ही तमसा नदी है।
  • यहां पर श्रद्धालुओं के साथ पर्यटक भी काफी संख्या में पहुंचते हैं।

भगवान शिव यहां साक्षात प्रकट हुए थे। श्री टपकेश्वर महादेव भक्तों की मनोकामना को पूरी करते हैं। सावन के महीने में यहां मात्र जल चढ़ाने से भक्तों की मन्नत पूरी होती है। 12 महीने देश-विदेश से श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते रहते हैं।

-श्री 108 महंत कृष्णा गिरी महाराज, श्री जंगमेश्वर व टपकेश्वर महादेव मंदिर

पूर्णिमा के दिन महादेव का दूधेश्वर के रूप में शृंगार किया जाता है, क्योंकि इसी दिन अश्वत्थामा को महादेव ने दर्शन दिए थे। प्रदोष में भगवान शंकर का रुद्र रूप में 5151 दानों से बना रुद्राक्ष का रुद्र स्वरूप से बना दिव्य श्रृंगार दर्शन होते हैं। महादेव की महिमा टपकेश्वर रूप में अपरंपार है। यहां जो भी भक्त सच्चे मन से आता है, शिव उसकी मनोकामना पूरी करते हैं।

- दिगंबर भरत गिरी महाराज, श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर

डिसक्लेमर :

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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