Rishikesh स्थित महादेव का यह धाम दुनिया में प्रसिद्ध, सावन पर भारी भीड़; दो दिन में पहुंचे सवा दो लाख भक्त
Sawan 2024 ऋषिकेश स्थित पौराणिक श्री नीलकंठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने वाले कांवड़ यात्रियों की संख्या में लगातार बढ़ रही है। आसपास जनपद और राज्यों से बड़ी संख्या में शिवभक्त यहां पहुंच रहे हैं। हर साल सावन के महीने में यहां लाखों भक्त जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। श्रावण मास में अब तक सवा दो लाख श्रद्धालु यहां जलाभिषेक कर चुके हैं।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश । Sawan 2024: श्री नीलकंठ महादेव मंदिर से जुड़ी कांवड़ यात्रा धीरे-धीरे गति पकड़ रही है। आसपास जनपद और राज्यों से बड़ी संख्या में शिवभक्त यहां पहुंच रहे हैं।
ऋषिकेश स्थित पौराणिक श्री नीलकंठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने वाले कांवड़ यात्रियों की संख्या में लगातार बढ़ रही है। हर साल सावन के महीने में यहां लाखों भक्त जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं।
अचानक बढ़ गई श्रद्धालुओं की संख्या
सोमवार की तुलना में मंगलवार को क्षेत्र में कांवड़ यात्रियों की ज्यादा भीड़ नजर आई। दोपहर बाद नीलकंठ महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या अचानक बढ़ गई।मंगलवार को रात्रि नौ बजे 1.22 लाख श्रद्धालुओं ने नीलकंठ में जलाभिषेक किया। श्रावण मास में अब तक सवा दो लाख श्रद्धालु यहां जलाभिषेक कर चुके हैं। आइए जानते हैं भोले भंडारी के इस धाम का इतिहास:-
मंंदिर का इतिहास
- धार्मिक मान्यता के अनुसार, नीलकंठ महादेव मंदिर की जगह पर भगवान शिव ने समुद्र मंथन के विष का पान किया था, तो माता पार्वती ने शिव जी का गला दबाया, जिसकी वजह से विष अंदर नहीं जा पाया।
- इस प्रकार से विष शिव जी के गले में ही रहा। विष के असर से उनका कंठ नीला हो गया।
- इसलिए उन्हें नीलकंठ नाम से जाना गया और इस मंदिर को नीलकंठ महादेव मंदिर के नाम से।
- मान्यता है कि भगवान शिव ने इस स्थान पर साठ हजार वर्षों तक समाधिस्थ रहकर विष की ऊष्णता को शांत किया था।
- मंदिर में स्थित शिवलिंग पर नीला निशान दिखाई देता है।
- यह मंदिर ऋषिकेश करीब 26 किमी की दूरी पर स्थित है।
ऐसे पहुंचें
- ऋषिकेश तक ट्रेन और बस से पहुंचें।
- हवाई सेवा देहरादून स्थित एयरपोर्ट पर उपलब्ध है।
- ऋषिकेश से चार किमी की दूरी पर स्थित रामझूला तक आप ऑटो से जा सकते हैं।
- रामझूला पुल को पार करते हुए स्वार्गाश्रम होते हुए 12 किमी की पैदल चलकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
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