Move to Jagran APP

Uttarakhand: उत्तराखंड में पेड़ों पर बेरहमी से चल रही आरी, हर साल औसतन 1076 मामले

Uttarakhand जंगल में मोर नाचा किसने देखा वनों के अवैध कटान के सामने आ रहे प्रकरणों को देखते हुए उत्तराखंड वन विभाग पर यह कहावत एकदम सटीक बैठती है। आरक्षित व संरक्षित वन क्षेत्रों में घुसकर वन माफिया निरंतर अपनी कारगुजारियों को अंजाम दे रहा है लेकिन विभाग को इसकी भनक तक नहीं लग पाती। इसको लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Wed, 08 Nov 2023 02:42 PM (IST)
Hero Image
उत्तराखंड में पेड़ों पर बेरहमी से चल रही आरी
राज्य ब्यूरो, देहरादून। पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील 71.05 प्रतिशत वन भूभाग वाले उत्तराखंड के जंगलों में हरे पेड़ों पर आरी चलने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत विभाग से मिली जानकारी इसकी तस्दीक करती है। इसके मुताबिक वर्ष 2010-11 से वर्ष 2019-20 तक की अवधि में पेड़ों के अवैध कटान के 10762 मामले दर्ज किए गए। इस दृष्टि से देखें तो हर साल औसतन 1076 मामले आ रहे हैं। इस परिदृश्य के बीच विभाग की कार्यशैली भी प्रश्नों के घेरे में है।

'जंगल में मोर नाचा किसने देखा, वनों के अवैध कटान के सामने आ रहे प्रकरणों को देखते हुए वन विभाग पर यह कहावत एकदम सटीक बैठती है। आरक्षित व संरक्षित वन क्षेत्रों में घुसकर वन माफिया निरंतर अपनी कारगुजारियों को अंजाम दे रहा है, लेकिन विभाग को इसकी भनक तक नहीं लग पाती। राज्य के जंगलों में पेड़ कटान के मामले इसकी गवाही दे रहे हैं।

नहीं थमा अवैध कटान का क्रम

सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी पर गौर करें तो 2016-17 से 2019-20 की अवधि के दौरान मामले कुछ कम अवश्य हुए, लेकिन यह भी सही है कि अवैध कटान का क्रम थम नहीं पाया है। यद्यपि, वर्ष 2020-21 के बाद भी पेड़ कटान के मामले आए और इनमें कई चर्चित भी रहे। बावजूद इसके वन मुख्यालय ने वर्ष 2020-21 से अब तक आए मामलों की जानकारी देने में गुरेज किया है।

यह भी पढ़ें: Champawat Weather: चंपावत में पांच डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंचा पारा, गर्म कपड़ों का सजा बाजार

सबसे चर्चित रहा था कार्बेट का प्रकरण

राज्य में इस वर्ष टौंस व चकराता वन प्रभागों में बड़े पैमाने पर देवदार के पेड़ों के अवैध कटान के प्रकरण सामने आए। इनमें एक डीएफओ समेत वन विभाग व वन विकास निगम के कार्मिकों पर कार्रवाई भी हुई है। इन प्रकरणों की अब एसआईटी जांच कर रही है।

2021 के मामले की सीबीआई कर रही जांच

इससे पहले वर्ष 2021 में कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग में पाखरो टाइगर सफारी के लिए बड़े पैमाने पर हुए पेड़ कटान का प्रकरण सबसे अधिक चर्चित रहा था। हाईकोर्ट के आदेश पर कार्बेट के पेड़ कटान मामले की जांच सीबीआई कर रही है।

अवैध कटान के मामले

  •     वर्ष     -   संख्या
  • 2010-11 - 1282
  • 2011-12 - 1390
  • 2012-13 - 1726
  • 2013-14 - 1196
  • 2014-15 - 1066
  • 2015-16 - 1021
  • 2016-17 - 992
  • 2017-18 - 741
  • 2018-19 - 700
  • 2019-20 - 648

अधिकारियों ने कही ये बात

अवैध कटान के मामलों में अब कमी आई है। जहां भी कोई प्रकरण सामने आ रहा है, उसमें कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जा रही है। साथ ही सभी प्रभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वन क्षेत्रों में निगरानी तंत्र को सशक्त करने के साथ खुफिया तंत्र को भी मजबूत बनाया जाए। -अनूप मलिक, हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स

किसी भी वन प्रभाग अथवा संरक्षित क्षेत्र में अवैध कटान का मामला सामने आने पर संबंधित डीएफओ की जवाबदेही तय की गई है। इसके साथ ही यदि कहीं माफिया व वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आती है तो इसे सहन नहीं किया जाएगा। जांच में विभागीय संलिप्तता साबित होने पर सख्त से सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। -सुबोध उनियाल, वन मंत्री

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।