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एससी-एसटी वर्ग के कार्मिकों ने दी आंदोलन की चेतावनी, पढ़िए पूरी खबर

एससी-एसटी वर्ग के कार्मिकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। निर्णय वापस लेने के साथ ही अन्य मांगों को लेकर सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 21 Mar 2020 12:45 PM (IST)
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एससी-एसटी वर्ग के कार्मिकों ने दी आंदोलन की चेतावनी, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून, जेएनएन। पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करने के विरोध में एससी-एसटी वर्ग के कार्मिकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। निर्णय वापस लेने के साथ ही अन्य मांगों को लेकर सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी है।

लैंसडौन चौक के निकट एक रेस्टोरेंट में उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें फेडरेशन के अध्यक्ष करमराम ने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार एकतरफा करवाई कर रही है। उनके हकों पर सरकार ने कुठाराघात किया है। कहा कि पदोन्नति में आरक्षण बहाल किया जाए, नहीं तो आंदोलन किया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने सीधी भर्ती के रोस्टर में पहला पद आरक्षित रख बैकलॉग के पदों पर तत्काल भर्ती शुरू करने की मांग की है। 

करमराम ने कहा कि सफाई कर्मचारियों के प्रति सरकार कभी गंभीर नहीं रही है। कहा कि स्वछकारों को स्थायी किया जाए और उनकी सुरक्षा के भी पुख्ता बंदोबस्त किए जाएं। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी वर्ग के कार्मिकों को सरकार कमतर न आंके। उन्हें अनदेखा करने का खामियाजा सरकार को आगामी चुनाव में भुगतना होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि 15 अप्रैल तक उनकी मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई तो प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा। जिसमें सफाई कर्मी से लेकर वर्ग के अन्य कर्मी पूर्ण रूप से कार्य बहिष्कार करेंगे। पत्रकार वार्ता में फेडरेशन के तमाम पदाधिकारी उपस्थित थे।

दलित होने के कारण दौलत कुंवर पर कार्रवाई

करमराम ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि समस्याओं को लेकर प्रदर्शन कर रहे दलित नेता दौलत कुंवर और उनके साथियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जबकि, कुछ दिन पूर्व परेड मैदान में प्रदर्शन कर रहे जनरल-ओबीसी कर्मचारियों को पुलिस ने नहीं उठाया। यह सरकार की मानसिकता का परिचायक है।

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मूल ओबीसी वर्ग हमारे साथ

करमराम ने कहा कि ओबीसी वर्ग भी शोषित और उपेक्षित महसूस कर रहा है। मूल ओबीसी वर्ग तो एससी-एसटी वर्ग के कार्मिकों के साथ खड़ा है। हम मिलकर अपने हक की लड़ाई लड़ेंगे।

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