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Uttarakhand: उद्यान विभाग में हुआ था करोड़ों का घोटाला, अब हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी सरकार

Uttarakhand उत्तराखंड के उद्यान विभाग में करोड़ों का घोटाला हुआ था। इसको लेकर हाई कोर्ट में याचिका डाली गई थी। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। अब उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का मन बना लिया है। सूत्रों के अनुसार न्याय विभाग से इसकी अनुमति मिलने के बाद अब अधिवक्ता भी नियुक्त कर दिया गया है।

By Jagran News Edited By: Swati Singh Updated: Wed, 27 Dec 2023 01:51 PM (IST)
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अब हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी उत्तराखंड सरकार
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उद्यान विभाग में विभिन्न योजनाओं में हुए घपले के प्रकरण की सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश को सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रही है। सूत्रों के अनुसार न्याय विभाग से इसकी अनुमति मिलने के बाद अब अधिवक्ता भी नियुक्त कर दिया गया है।

उद्यान विभाग में डा एसएच बवेजा के निदेशक रहने के कार्यकाल के दौरान विभिन्न योजनाओं में वित्तीय अनियमितता की बात सामने आई थी। इस मामले में शासन ने डा बवेजा को निलंबित कर दिया था। साथ ही एसआईटी को जांच सौंप दी थी।

हाईकोर्ट ने दिए थे सीबीआई जांच के आदेश

इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती ने घपले के प्रकरण को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यही नहीं, एसआईटी ने प्रकरण में डा बवेजा के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने की अनुमति भी मांगी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने के आदेश दिए थे।

हुआ करोड़ों का घोटाला

दरअसल उत्तराखंड के उद्यान विभाग में करोड़ों का घोटाला हुआ था। इसको लेकर हाई कोर्ट में याचिका डाली गई थी। याचिकाओं में कहा गया था कि उद्यान विभाग में करोड़ों का घोटाला किया गया है। फलदार पौधों की खरीद में गड़बड़ियां की गई हैं।

करोड़ों का बिल लगाया ठिकाने

दरअसल जब उत्तरकाशी के किसानों ने इस घपले को जोरशोर से उठाया तो अनिका ट्रेडर्स के आवंटन को रद्द करने का पत्र जारी कर दिया गया। फिर भी पौधे अनिका ट्रेडर्स के ही बांटे गए। इसके अलावा मुख्य उद्यान अधिकारी के साथ मिलकर निदेशक ने एक फर्जी आवंटन जम्मू कश्मीर की नर्सरी बरकत एग्रो फार्म को कर दिया। बरकत एग्रो को इनवाइस बिल आने से पहले ही भुगतान कर दिया गया। यही नहीं, बिना लेखाकार के हस्ताक्षर के करोड़ों के बिल ठिकाने लगा दिए गए।

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