Snow Leopard: उत्तराखंड में बेपर्दा होगा हिम तेंदुओं से जुड़ा राज, जानिए क्या है योजना
उच्च हिमालयी क्षेत्रों की शान कहे जाने वाले हिम तेंदुओं (स्नो लेपर्ड) की संख्या से जुड़ा राज अगले साल बेपर्दा हो जाएगा। राज्य में पहली बार होने जा रही हिम तेंदुओं की गणना का कार्यक्रम निर्धारित कर दिया गया है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Thu, 22 Oct 2020 10:23 PM (IST)
देहरादून, केदार दत्त। उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों की शान कहे जाने वाले हिम तेंदुओं (स्नो लेपर्ड) की संख्या से जुड़ा राज अगले साल बेपर्दा हो जाएगा। राज्य में पहली बार होने जा रही हिम तेंदुओं की गणना का कार्यक्रम निर्धारित कर दिया गया है। सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत उच्च हिमालयी क्षेत्र के 10 वन प्रभागों में यह गणना नवंबर पहले हफ्ते से शुरू होगी, जिसकी तैयारियों में वन महकमा जुटा है। इन प्रभागों के 12800 वर्ग किलोमीटर के दुरूह क्षेत्र को 80 ग्रिड में बांटा गया है, जिनमें 80 टीमें गणना में जुटेंगी। चार चरणों की इस गणना के नतीजे अगले साल नवंबर तक घोषित किए जाएंगे। इससे साफ हो सकेगा कि यहां हिम तेंदुओं की वास्तव में संख्या है कितनी। फिर इसके आधार पर वासस्थल विकास, सुरक्षा समेत अन्य बिंदुओं पर फोकस किया जाएगा।
उच्च हिमालयी क्षेत्र के अंतर्गत उत्तरकाशी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, बागेश्वर, बदरीनाथ, केदारनाथ वन प्रभागों के साथ ही नंदादेवी बायोस्फीयर रिजर्व, गंगोत्री नेशनल पार्क, गोविंद वन्यजीव विहार में हिम तेंदुओं की मौजूदगी है। इन वन प्रभागों में लगे कैमरा ट्रैप में अक्सर कैद होने वाली तस्वीरें इसकी तस्दीक करती हैं। हालांकि, अभी तक गणना न होने के कारण इनकी वास्तविक संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं है। राज्य में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के तहत सिक्योर हिमालय परियोजना शुरू होने पर हिम तेंदुओं की गणना का निर्णय लिया गया।
परियोजना में हिम तेंदुओं का संरक्षण -संवद्र्धन व वासस्थल विकास सबसे अहम बिंदु है। पहले हिम तेंदुओं की गणना इस वर्ष फरवरी से होनी थी, मगर तब मौसम ने साथ नहीं दिया। इसके बाद कोरोना संकट ने मुश्किलें खड़ी कर दीं।अब परिस्थितियां सामान्य होने पर हिम तेंदुओं की गणना की तैयारी शुरू कर दी गई हैं। राज्य में सिक्योर हिमालय परियोजना के नोडल अधिकारी आरके मिश्र के अनुसार गणना के लिए कार्मिकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। गणना चार चरणों में होगी। नवंबर के पहले हफ्ते से सर्वे कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
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इस तरह होगी गणनाप्रथम चरण: नवंबर पहले सप्ताह से निर्धारित ग्रिड में फील्ड सर्वे। हिम तेंदुओं के फुटमार्क, मल के नमूने लेने के साथ ही उन्हें प्रत्यक्ष भी देखा जाएगा। साथ ही स्थानीय निवासियों, सेना और आइटीबीपी के कैंपों में रहने वाले सैन्यकर्मियों, चरवाहों से संपर्क कर हिम तेंदुआ संभावित स्थलों की जानकारी लेकर इन्हें चिह्नित किया जाएगा।
द्वितीय चरण: अगले वर्ष मार्च-अप्रैल में पहले चरण में छूटे ग्रिड का होगा सर्वे।तृतीय चरण: मई में संभावित स्थलों में करीब 150 कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे, ताकि इनमें हिम तेंदुओं की तस्वीरें कैद हो सकें।चतुर्थ चरण: अक्टूबर में फील्ड सर्वे और कैमरा ट्रैप से मिले चित्रों के आधार पर आंकड़ों का होगा विश्लेषण। नवंबर तक हिम तेंदुओं के आंकड़े सार्वजनिक होंगे।
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