उत्तराखंड में संक्रामक रोगों के खिलाफ लड़ाई में स्कूली बच्चों से ली जाएगी मदद
बरसात का मौसम मेंं डेंगू व विभिन्न संक्रामक रोग की रोकथाम व नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य महकमे ने कमर कस ली है। इसके तहत इन बीमारियों से लड़ने को स्कूली बच्चों की मदद भी ली जाएगी।
By BhanuEdited By: Updated: Thu, 27 Jun 2019 09:35 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। बरसात का मौसम शुरू होते ही डेंगू व विभिन्न संक्रामक रोग फैलने का भय बना रहता है। ऐसे में इन बीमारियों की रोकथाम व नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य महकमे ने कमर कस ली है। इसके तहत इन बीमारियों से लड़ने को स्कूली बच्चों की मदद भी ली जाएगी।
इसी परिपेक्ष्य में अपर सचिव स्वास्थ्य व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक युगल किशोर पंत ने संबंधित विभागों के साथ समन्वय बैठक की। इन बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्ययोजना बनाने पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने स्वास्थ्य समेत अन्य विभागों को समन्वय स्थापित कर डेंगू के प्रति जन जागरुकता के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किए जाने, डेंगू मच्छर के लार्वा को नष्ट करने, घर व घरों के आसपास स्वच्छता बनाए रखने, पानी जमा नहीं होने देने व जनसहभागिता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि डेंगू की रोकथाम, मच्छरों के पनपने के स्रोत समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सहयोगी विभागों और स्वैच्छिक संस्थाओं का सहयोग प्राप्त किया जाए।
राज्य नोडल अधिकारी डॉ. पंकज कुमार सिंह ने बताया कि नगर निगम, शिक्षा विभाग, सूचना विभाग, लोक निर्माण विभाग, जल संस्थान, जल निगम, पंचायती राज, जिला परिषद आदि विभाग डेंगू की रोकथाम में महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान कर सकते हैं। इसके लिए इन विभागों के साथ नियमित तौर पर बैठक की जाए और आपसी सहयोग के साथ डेंगू के खतरे को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि इस वर्ष डेंगू से बचाव के लिए व्यापक जन जागरुकता के लिए विभिन्न नए माध्यम उपयोग में लाए जाएंगे। डेंगू की रोकथाम व नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ शिक्षा विभाग की भी भागीदारी महत्वपूर्ण है।
स्कूली बच्चों एवं उनके अभिभावकों को डेंगू के प्रति जागरूक किए जाने के लिए शिक्षा विभाग के सहयोग से भारत सरकार द्वारा निर्मित एनिमेटेड फिल्म 'एडीज रानी बड़ी सयानी, ढूंढे घर-घर पानी' सभी राजकीय और निजी स्कूलों में प्रदर्शित की जाएगी। साथ ही शिक्षा विभाग के सहयोग से विद्यालयों में डेंगू रोकथाम व नियंत्रण विषय पर डेंगू, चिकनगुनिया जागरुकता संदेश व गृह कार्य कार्ड द्वारा प्ले प्रोजेक्ट के तहत प्रतिभाग किया जाना, चित्रकला प्रतियोगिता, निबंध लेखन आदि का आयोजन भी किया जाएगा। मोबाइल एप व एसएमएस के द्वारा भी अभिभावकों को डेंगू की रोकथाम के लिए जागरूक किया जाएगा। बैठक में महिला एवं बाल विकास, पंचायती राज, तकनीकी शिक्षा, स्वजल आदि विभागों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
बच्चे को नौ अगस्त को जरूर भेजें स्कूलबच्चों में कृमि संक्रमण से बचाव व नियंत्रण के लिए उत्तराखंड में आगामी नौ अगस्त को कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाएगा। इस दिन 42.77 लाख बच्चों को कृमिनाशक दवा यानी एल्बेंडाजोल खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें 5883 निजी स्कूल भी शामिल हैं। इससे पहले बीती फरवरी में प्रथम चरण में 32.44 लाख बच्चों को कृमिनाशक दवा खिलाई गई थी।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कंसल्टेंट डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का उद्देश्य एक से 19 साल तक के सभी बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी स्थिति व जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए उन्हें कृमि मुक्त करना है। देश-प्रदेश में कृमि संक्रमण जनस्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में कृमि संक्रमित बच्चों की दर 68 प्रतिशत है। डॉ. पंकज ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग व समेकित बाल विकास सेवाएं के सहयोग से सभी जिलों में आयोजित किया जाएगा। सभी स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों में आठ अगस्त को बच्चों को एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी। इस दिन यदि कोई बच्चा दवा खाने से छूट जाता है तो छूटे हुए बच्चों को 16 अगस्त को मॉपअप दिवस पर दवा खिलाई जाएगी।
स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा कृमिमुक्ति के लिए प्रेरित किया जाएगा। इन बच्चों को भी आंगनबाड़ी केंद्रों पर दवा खिलाई जाएगी। उन्होंने बताया कि बच्चों में कृमि नियंत्रण की दवा से बहुत कम साइड इफेक्ट होते हैं। जिन बच्चों को तीव्र संक्रमण होता है, उन्हें हल्की दिक्कत हो सकती है। जैसे जी मिचलाना, पेट में हल्का दर्द, उल्टी, दस्त और थकान आदि। कृमि संक्रमण से बच्चों में कुपोषण व खून की कमी होती है और शारीरिक व मानसिक विकास में रुकावट आती है।यह भी पढ़ें: गर्भवती महिलाओं के लिए दून अस्पताल में बढ़ेंगे गाइनी के बेड
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