उत्तराखंड विधानसभा सत्र: अपनों के ही बीच घिर गए मंत्री, दागे गए तीखे सवाल
उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सदन की कार्यवाही रोक चर्चा कराने की मांग की।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 25 Jun 2019 08:46 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान सरकार के मंत्रियों को विपक्ष के साथ ही अपनों के भी तीखे सवालों से दो-चार होना पड़ा। समाज कल्याण की विभिन्न योजनाओं में पेंशन पा रहे पति-पत्नी में से एक की पेंशन बंद कर दिए जाने पर सदस्यों ने कड़ा ऐतराज जताया। सदस्यों की ओर से दोनों की पेंशन बरकरार रखने की उठाई गई मांग पर समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य को कहना पड़ा कि सरकार इस पर विचार करेगी। उधर, प्रदेश में हाल में चारधाम यात्रा समेत अन्य मार्गों पर जाम के मद्देनजर वैकल्पिक मार्गों को लेकर उठाए गए सदस्यों के सवाल पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के जवाब से भी सदस्य संतुष्ट नहीं दिखे।
प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक ममता राकेश के प्रश्न पर समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने बताया कि विभिन्न पेंशन योजनाओं में बीपीएल श्रेणी के उन लोगों को पेंशन के लिए पात्र माना गया है, जिनकी मासिक आय चार हजार है। 15900 लोगों को पेंशन दी जा रही है। पेंशन योजना के मानकों को राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना के अनुरूप करने और नंदा-गौरा योजना योजना में छह हजार रुपये मासिक पेंशन करने का मसला वित्तीय संसाधनों पर निर्भर करेगा।
भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना ने अनुपूरक प्रश्न उठाते हुए कहा कि समाज कल्याण की पेंशन योजनाओं को पूर्व में सार्वभौम कर दिया गया था। इसके तहत पात्र पति-पत्नी पेंशन पा रहे थे, मगर सरकार ने पति की पेंशन बंद कर दी। उन्होंने दोनों की पेंशन यथावत रखने की मांग की। शक्तिलाल शाह ने जीना के सुर में सुर मिलाया। विभागीय मंत्री ने बताया कि पेंशन में पत्नी को प्राथमिकता दी गई है और पति की पेंशन बंद करने का निर्णय लिया गया है। तभी भाजपा विधायक विनोद चमोली ने जानना चाहा कि यह निर्णय किस स्तर पर लिया गया, क्या मंत्रिमंडल के फैसले को विभाग पलट सकता है।
बचाव में उतरे कार्यकारी संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने बताया कि 2010 में शासनादेश के तहत पात्र पति-पत्नी दोनों को पेंशन देने का निर्णय हुआ। 17 जून 2016 को तत्कालीन सरकार ने निर्णय लिया कि दोनों में से एक को ही पेंशन दी जाए। इस पर विभाग ने वसूली की, जिस पर वर्तमान सरकार ने रोक लगाई है। सदस्यों के रुख को देखते हुए समाज कल्याण मंत्री ने कहा कि पति-पत्नी दोनों को पेंशन देने पर विचार किया जाएगा।
वर्षों बाद भी नहीं मिल रही अनुमति
परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के प्रश्न पर बताया कि राज्य में 1089 सड़कों में से 1028 का संयुक्त सर्वेक्षण हुआ। 61 का सर्वेक्षण होना बाकी है। विधायक जीना ने जाना चाहा कि ये सड़कें कब से लंबित थीं और 61 का सर्वे कब तक होगा। मंत्री ने जल्द सर्वे की बात कही। इसी दौरान विधायक राम सिंह कैड़ा, मुकेश कोली, गोपाल रावत व महेंद्र भट्ट ने अनुपूरक प्रश्न उठाए। उन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों के उदाहरण देते हुए कहा कि वर्षों पहले मार्ग बनने के बाद भी वाहन संचालन की अनुमति नहीं दी जा रही। अनुमति न होने का पता भी तब चल रहा, जब संबंधित सड़क पर हादसे होते हैं। उन्होंने आरटीए की बैठकों के औचित्य पर भी सवाल उठाए। हालांकि, मंत्री ने कहा कि मार्गों का सर्वेक्षण निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। जल्द ही अनुमति की कार्रवाई होगी, मगर सदस्य संतुष्ट नहीं दिखे।
श्राइन बोर्ड की तर्ज पर सुविधाओं का प्रस्ताव नहींपर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने विधायक प्रीतम सिंह पंवार के सवाल पर बताया कि चारधाम व हेमकुंड साहिब में जम्मू-कश्मीर के श्राइन बोर्ड की तर्ज पर पैदल पथ व अवस्थापना सुविधाएं विकसित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां श्राइन बोर्ड की तरह ट्रस्ट गठित नहीं हैं। यहां विभिन्न विभाग सुविधाएं मुहैया कराते हैं। उन्होंने बताया कि केदारनाथ के पैदल पथ के चौड़ीकरण एवं उस पर मल्टीपरपज व्हीकिल चलाने का प्रस्ताव है। विधायक प्रीतम सिंह ने जानना चाहा कि अवस्थापना सुविधाओं पर कितनी राशि खर्च हुई। इस पर मंत्री ने कहा कि ब्योरा उपलब्ध करा दिया जाएगा। विधायक मनोज रावत के अनुपूरक प्रश्न पर उन्होंने बताया कि केदारनाथ के लिए सड़क का प्रस्ताव था, मगर सेंचुरी क्षेत्र होने के कारण बात आगे नहीं बढ़ पाई।
पहाड़ में जाम का मुद्दा भी उठाविधायक महेश नेगी ने चारधाम मार्गों से लेकर राज्यभर में जाम का मसला उठाते हुए यात्रा का संचालन कुमाऊं से होते हुए कराने पर जोर दिया। सुरेश राठौर ने हरिद्वार में कांवड़ पटरी के निर्माण के बारे में जानना चाहा। पर्यटन मंत्री महाराज ने कहा कि उनका निजी मत है कि यात्रा वामवर्ती होनी चाहिए। हाल में जब यात्रियों व सैलानियों का दबाव बढ़ा तो पुलिस ने व्यवस्था दुरुस्त की। वैकल्पिक मार्गों से यात्रियों को भेजा गया।
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