सेल्फी का क्रेज आजकल के युवाओं में है हावी Dehradun News
सेल्फी का क्रेज तो आजकल के युवाओं में किस कदर हावी है सभी जानते हैं। ऐसे में फोन का कैमरा दमदार न हो तो सेल्फी का टशन भी कम हो जाता है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 17 Jan 2020 04:01 PM (IST)
देहरादून, विजय जोशी। इन दिनों मोबाइल फोन से ही आपका स्टेटस आंका जाता है। सेल्फी का क्रेज तो आजकल के युवाओं में किस कदर हावी है, सभी जानते हैं। ऐसे में फोन का कैमरा दमदार न हो तो सेल्फी का टशन भी कम हो जाता है। हालांकि, चाइनीज कंपनियों ने कम दाम में बेहतर फीचर वाले मोबाइल की अच्छी-खासी रेंज बाजारों में उतार रखी है, पर युवाओं को मोबाइल वहीं भाता है, जिसका कैमरा दमदार हो। अब सेल्फी भी तो दमदार चाहिए। सोशल मीडिया पर अपलोड जो करनी है। घूमने जाओ या कहीं मार्केट में ही खड़े हों, सेल्फी तो बनती है। यह सेल्फी सोशल मीडिया पर नहीं डाली तो क्या फायदा? वैसे तो अब मोबाइल फोन में फेस एप का भी ऑप्शन है, जिससे खूबसूरती और निखारा जा सकता है, लेकिन कैमरा क्वालिटी का कोई ऑप्शन नहीं। अच्छे फोन कैमरे से ही तो आती है बेस्ट सेल्फी। इसलिए फोन हो तो बढिय़ा कैमरे वाला।
इंटरनेट का फायदा ही क्या?
इंटरनेट के इस्तेमाल के मामले में इंडिया तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहां युवाओं संख्या भी अन्य देशों के मुकाबले काफी ज्यादा है, ऐसे में इंटरनेट से आज दूर कौन होगा। अब हम उत्तराखंड की बात करें तो यहां भी बड़ी तादात में युवा हैं और अधिकांश के पास स्मार्ट फोन हैं। इंटरनेट के बिना शायद ही कोई मोबाइल चलाता हो। अब बात करें इंटरनेट के इस्तेमाल की तो इसका फायदा तो तभी है जब मनरंजन के साथ ज्ञान भी मिले। हालांकि, युवाओं में मनरंजन के प्रति रुचि इतनी है कि नब्बे फीसद इंटरनेट डाटा इसी लिहाज से यूज किया जा रहा है। ऐसे में ज्ञान की किसे परवाह। पूरा टाइम और डाटा तो टिक-टॉक, फेसबुक, व्हाट्सएप या यूट्यूब पर बीत जाता है। इन्हें तो ये भी समझाए कि इंटरनेट मनोरंजन ही नहीं ज्ञान का भी भंडार है।
...तो नाम की है ऑनलाइन व्यवस्थापढऩा है तो कॉलेज में दाखिला लीजिए, आवेदन कीजिए ऑनलाइन। पर ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया पर गौर करें तो व्यवस्था गले नहीं उतरती। नाम के लिए लिए तो तमाम शिक्षण संस्थान दाखिले के लिए ऑनलाइन आवेदन करवा रहे हैं, पर काम सारे ऑफलाइन हो रहे हैं। अब कोई इनसे पूछे जब अधिकांश कार्य ऑफलाइन ही करने हैं तो काहे की ऑनलाइन व्यवस्था। इस झंझट में तो युवाओं की मुसीबत भी तय है। ऑनलाइन आवेदन में युवाओं से फॉर्म भराने के साथ ही दस्तावेजों को स्कैन कर अपलोड किया जा रहा है। इसमें अभ्यर्थी के हस्ताक्षर और पासपोर्ट साइज फोटो भी अपलोड करने हैं। यही नहीं फीस भी ऑनलाइन ही ली जा रही है। यहां तक तो ठीक है, पर पूरी औपचारिकता के बाद छात्र को आवदेन फॉर्म का प्रिंट निकालकर कॉलेज में जमा कराना होता है। छात्रों के लिए यह भी किसी सिरदर्द से कम नहीं है।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड की शिक्षण संस्थाओं में मोबाइल फोन पर सियासतयुवा भी जानना चाहते हैं इतिहासहाल ही में रिलीज हुई हिंदी फिल्म तान्हाजी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा-खासा बिजनेस कर रही है। फिल्म को युवा वर्ग भी खासा पसंद कर रहा है। करे भी क्यों न, फिल्म मनोरंजन के साथ इतिहास के अनसुने किस्से जो दर्शा रही है। शानदार अभिनय और रोमांच का तो युवा वर्ग फैन है ही, लेकिन बात हो हमारे इतिहास के उन पन्नों की, जिन्हें बेहद कम लोग ही पढ़ सके। अब हमारा युवा आखिर इस इतिहास को क्यों नहीं जानना चाहेगा। यही वजह भी है कि फिल्म को खूब पसंद किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में हैरान और परेशान करती है शिक्षा व्यवस्था, जानिए इसकी वजहवैसे भी एपिक वार मूवी का क्रेज तो युवाओं में होता ही है और बात हो देश के अनसंग हीरो की तो कहने ही क्या। ये तो हम भी मानते हैं कि युवाओं को इतिहास और देश के हीरो का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। इसलिए यह फिल्म दून के यूथ के बीच खूब पसंद की जा रही है। मल्टीप्लेक्स में तो इसे देखने के लिए लाइन लग रही है, मगर बुधवार को भीड़ ज्यादा है। क्योंकि इस दिन टिकट सस्ता होता है।
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