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दारोगा के बाद लटक गए सिपाहियों के प्रमोशन, पढ़िए पूरी खबर

पुलिस में आधी-अधूरी नियमावली से दारोगाओं के बाद सिपाहियों के प्रमोशन भी लटकते नजर आ रहे हैं। पीएसी की नियमावली में अभी संशोधन होना बाकी है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 19 Aug 2019 01:02 PM (IST)
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दारोगा के बाद लटक गए सिपाहियों के प्रमोशन, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून, जेएनएन। पुलिस में आधी-अधूरी नियमावली से दारोगाओं के बाद सिपाहियों के प्रमोशन भी लटकते नजर आ रहे हैं। पीएसी की नियमावली में अभी संशोधन होना बाकी है। ऐसे में सिविल, इंटेलीजेंस और आर्म्‍ड पुलिस के सिपाहियों से आवेदन मांगने के बाद परीक्षा तिथि पर निर्णय नहीं हो पाया है। इस बीच आइजी कार्मिक भी रिटायर होने जा रहे हैं। जिससे नए आइजी के आने तक प्रक्रिया ठंडे बस्ते में जा सकती है। 

राज्य में एक हजार से ज्यादा सिपाहियों का हवलदार पद पर प्रमोशन होना है। इसके लिए पुलिस मुख्यालय की तरफ से जनपदवार सिविल, इंटेलीजेंस और आम्र्ड पुलिस से आवेदन मांगे जा चुके हैं। आवेदनों का सत्यापन जारी है। इसकी कार्रवाई पूरी होने के बाद लिखित और मौखिक परीक्षा होगी। इसके लिए उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग से परीक्षा तिथि पर निर्णय लेने को कहा गया है।

पहले चार और 11 अगस्त को परीक्षा के लिए तिथि संभावित रखी गई थी। मगर, बारिश और 15 अगस्त की तैयारियों के चलते इस पर निर्णय नहीं हो पाया। अब 31 अगस्त को आइजी कार्मिक जीएस मार्तोलिया रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में प्रमोशन प्रक्रिया नए आइजी के आने तक प्रभावित हो सकती है। जिससे हवलदार बनने के लिए सिपाहियों को कुछ माह और इंतजार करना पड़ सकता है। इधर, सूत्रों का कहना है कि अगली कैबिनेट में पीएसी की नियमावली में संशोधन कराने की योजना है। इसके बाद पीएसी में भी प्रमोशन के लिए आवेदन मांगे जाएंगे। जिससे भर्ती को अलग-अलग किए जाने के बजाय एक साथ किया जा सकता है।

पदोन्नति को लेकर दारोगाओं का इंतजार और लंबा

प्रदेश में निरीक्षक व उप निरीक्षक पदों की सेवा नियमावली पर संशोधन को लेकर पुलिस मुख्यालय ने अभी तक कोई प्रस्ताव तैयार कर शासन को नहीं भेजा है। नतीजतन, निरीक्षक पद पर पदोन्नति की राह देख रहे उप निरीक्षकों का इंतजार और लंबा होता जा रहा है। सबसे अधिक परेशान वे उप निरीक्षक हैं जिनकी सेवानिवृत्ति का समय अब नजदीक आ रहा है। प्रदेश में इसी वर्ष जनवरी में शासन ने उप निरीक्षक व निरीक्षक के लिए सेवा नियमावली तैयार की थी। इस सेवा नियमावली में पदोन्नति के लिए मानक तय किए गए थे।

इन मानकों के तहत सीधी भर्ती से आए और बेहतर कार्य करने वाले उप निरीक्षक को भी सेवा के दौरान किए गए प्रशिक्षण में मिले अंक और इस अवधि में मिले दंड के अंकों को जोड़कर वरिष्ठता तय करने का प्रावधान किया गया है। 

मकसद यह था कि बेहतर कार्य करने वाले युवा उप निरीक्षक भी कार्य के आधार पर निरीक्षक बन सकें। वहीं, पुराने उप निरीक्षक पूर्व में चली आ रही व्यवस्था के अनुसार ही वरिष्ठता क्रम के आधार पर निरीक्षक बनाने की पैरवी कर रहे थे। उनका तर्क यह था कि इस नई व्यवस्था से नए उप निरीक्षक उनसे पहले निरीक्षक बन सकते हैं। इससे कई पुराने उपनिरीक्षक इसी पद पर सेवानिवृत्त हो जाएंगे। पुलिस मुख्यालय ने पुराने उप निरीक्षकों की पैरवी का संज्ञान लिया और अपनी आपत्ति से शासन को अवगत कराया। इस दौरान शासन ने नियमावली का हवाला देते हुए इसी आधार पर पदोन्नति प्रक्रिया चलाने को कहा। इस तकरार के चलते मामला मुख्यमंत्री दरबार तक पहुंचा। 

बीते माह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस संबंध में विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा कि लेकर एक बार फिर नए सिरे से चर्चा कर ली जाए। सरकार किसी पुलिस कर्मी का मनोबल कम नहीं करना चाहती। उस समय पुलिस से संशोधित नियमावली का प्रस्ताव शासन को भेजने को कहा। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक को तकरीबन एक माह हो चुका है लेकिन पुलिस मुख्यालय द्वारा कोई प्रस्ताव फिलहाल शासन को नहीं भेजा गया है। सूत्रों की मानें तो संशोधित प्रस्ताव को लेकर अगले सप्ताह पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी की अध्यक्षता में बैठक प्रस्तावित है। इसके बाद ही संशोधित प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा।

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