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साइबेरियन पक्षियों की सैरगाह दून की आसन झील, इतनी प्रजातियों का कर सकेंगे दीदार

पांवटा साहिब से मात्र छह किमी की दूरी पर स्थित उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को आपस में जोड़ने वाली आसन झील (आसन कंजरवेशन रिजर्व) का अलग ही इतिहास है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 05 Aug 2019 08:55 PM (IST)
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साइबेरियन पक्षियों की सैरगाह दून की आसन झील, इतनी प्रजातियों का कर सकेंगे दीदार
देहरादून, दिनेश कुकरेती। देहरादून से 42 और पांवटा साहिब से मात्र छह किमी की दूरी पर स्थित उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को आपस में जोड़ने वाली आसन झील (आसन कंजरवेशन रिजर्व) का अलग ही इतिहास है। आसन नदी और पूर्वी यमुना नहर के संगम पर बनी यह कृत्रिम झील (बैराज) देहरादून शहर के उत्तर-पश्चिम में ढालीपुर पावर प्लांट (डाकपत्थर) के पास स्थित है। इसलिए इसे ढालीपुर झील के रूप में भी जाना जाता है।

देश के पहले कंजर्वेशन रिजर्व के 444 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली 25 हजार क्यूसेक जल क्षमता वाली आसन झील साइबेरियन पक्षियों के ठहराव स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इन विदेशी मेहमानों के दीदार को हर साल हजारों की तादाद में पर्यटक आसन बैराज का रुख करते हैं। यहां पर दिखने वाले पक्षियों को आइयूसीएन की रेड डाटा बुक (प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ) में लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। वर्ष 1967 में बनी यह झील पक्षी प्रेमियों, ऑर्निथोलॉजिस्ट और प्रकृतिविदों के लिए एक आदर्श स्थान मानी गई है। 

खिंचे चले आते हैं पक्षी प्रेमी 

287.5 मीटर लंबे आसन जलाशय का नदी तल समुद्रतल से 389.4 मीटर की ऊंचाई तक चार वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका अधिकतम जल स्तर 403.3 मीटर है। जलाशय के आसपास का क्षेत्र मटमैला है और यहां एविफौनल प्रजातियां प्रचुर मात्रा में हैं जो पक्षी प्रमियों को यहां आने के लिए प्रेरित करती हैं। 

 

2005 में किया था राष्ट्र को समर्पित 

विकासनगर से छह किमी के फासले पर यमुना नदी के तट से लगे आसन नमभूमि क्षेत्र के आसपास खूबसूरत हरे-भरे पहाड़, झरने और झील में बने टापू पर घास व झाडिय़ों के झुरमुट व यहां का शांत वातावरण परिंदों की पहली पसंद है। इसी के मद्देनजर इस क्षेत्र को देश का पहला कंजरवेशन रिजर्व घोषित किया गया। 14 अगस्त 2005 को तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया था। 

ये परिंदे बढ़ाते हैं आसन नमभूमि की शान 

आसन नमभूमि क्षेत्र में हर साल दो हजार किमी से भी अधिक की दूरी तय कर सैकड़ों की तादाद में विदेशी पङ्क्षरदे प्रवास पर पहुंचते हैं। आप यहां लगभग 80 जल पक्षियों सहित 250 से अधिक पक्षी प्रजातियों का दीदार कर सकते हैं। इनमें वूली नेक्टड, पेंटेड स्टार्क, रुडी शेलडक, ब्लैक आइबीज (रेड कैप्ट आइबीज), पलास फिश ईगल, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रेब, ग्रे लेग गूज, रुडी शेलडक, गैडवाल, इरोशियन विजन, मैलार्ड, स्पाट बिल्ड डक, कामन पोचार्ड, टफ्ड डक, पर्पल स्वेप हेन, कामन मोरहेन, कामन कूट, ब्लैक विंग्ड स्किल्ड, रीवर लोपविंग, ब्लैक हेडेड गल, पलास फिश ईगल, इरोशियन मार्क हेरियर, लिटिल ग्रेब, डारटर, लिटिल कोरमोरेंट, लिटिल इ ग्रेट, ग्रेट इ ग्रेट, ग्रे हेरोन, पर्पल हेरोन, कामन किंगफिशर, व्हाइट थ्रोटेड किंगफिशर, पाच्र्ड किंगफिशर आदि परिंदे शामिल हैं। अक्टूबर के मध्य से लेकर मार्च के मध्य तक आसन झील ही इन परिदों का आशियाना होती है। इनमें सर्वाधिक प्रवासी साइबेरिया, चीन, नेपाल, भूटान, थाईलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि देशों से यहां पहुंचते हैं। 

साहसी पर्यटक ले सकते हैं वॉटर स्की का प्रशिक्षण 

जीएमवीएन आसन रिजर्व में उन पर्यटकों को पैडल बोट की सुविधा उपलब्ध कराता है, जो यहां आए देशी-विदेशी मेहमानों को करीब से देखना चाहते हैं। जो पर्यटक यहां नाइट स्टे करना चाहते हैं, उनके लिए उचित दामों पर एसी और डीलक्स हट की सुविधा भी उपलब्ध है। रोमांच पसंद पर्यटकों के लिए यह एक अतिरिक्त आकर्षण कि तरह है। अप्रैल से जून और सितंबर से अक्टूबर के मध्य यहां साहसी पर्यटकों को वॉटर स्की का प्रशिक्षण दिया जाता है। 

वाटर स्पोर्ट्स का मजा 

आसन बैराज में गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की ओर से वाटर स्पोर्ट्स गतिविधियां संचालित की जाती हैं। जीएमवीएन ने वर्ष 1994 में इस जल क्रीड़ा स्थल की स्थापना की थी। यहां वाटर स्कीइंग, पैडल बोटिंग, रोइंग, कयाकिंग, मोटर बोटिंग और कैनोइंग की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो साहसिक पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। 

आर्दभूमि की अनूठी जैवविविधता 

पानी से संतृप्त (तर-बतर) भू-भाग को आर्दभूमि (वेटलैंड) कहते हैं। कई भू-भाग वर्षभर आर्द रहते हैं और कई विशेष मौसम में। जैवविविधता की दृष्टि से आर्दभूमि अत्यंत संवेदनशील होती है। विशेष प्रकार की वनस्पतियां ही आर्दभूमि पर उगने और फूलने-फलने के लिए अनुकूलित होती हैं। ईरान के रामसर शहर में 1971 में पारित एक अभिसमय (कन्वेंशन) के अनुसार आर्दभूमि ऐसा स्थान है, जहां वर्ष में कम से कम आठ माह पानी भरा रहता है। प्राकृतिक अथवा कृत्रिम, स्थायी या अस्थायी, पूर्णकालीन आद्र्र अथवा अल्पकालीन, स्थिर जल अथवा अस्थिर जल, स्वच्छ जल अथवा अस्वच्छ, लवणीय और मटमैले जल वाले स्थल वेटलैंड के अंतर्गत आते हैं। प्रत्येक वेटलैंड का अपना पर्यातंत्र (पारिस्थितिक तंत्र) होता है, जैव विविधता होती है और वानस्पतिक विविधता होती है। ये वेटलैंड जलजीवों, पक्षियों, आदि प्राणियों के आवास होते हैं। 

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