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उत्तराखंड में बलूनी को टिकट से भाजपा की नई रणनीति के संकेत

राज्यसभा सीट के लिए भाजपा में कई दिग्गजों को दरकिनार करते हुए केंद्रीय नेतृत्व ने युवा नेता अनिल बलूनी पर भरोसा जताया। इस फैसले ने उत्तराखंड में नई रणनीति के भी संकेत दे दिए हैं।

By BhanuEdited By: Updated: Mon, 12 Mar 2018 11:41 AM (IST)
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उत्तराखंड में बलूनी को टिकट से भाजपा की नई रणनीति के संकेत

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड की एक राज्यसभा सीट के प्रत्याशी के पद में भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया समन्वयक व राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी ने पार्टी के कई दिग्गजों की दावेदारी को पीछे छोड़ते हुए बाजी मारी। हालांकि मार्च 2016 में कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में आए पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के साथ ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को भी टिकट का प्रबल दावेदार समझा जा रहा था, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने युवा नेता अनिल बलूनी पर भरोसा जताया। भाजपा आलाकमान के इस फैसले ने उत्तराखंड में भाजपा की भविष्य की रणनीति के भी संकेत दे दिए हैं।

राजनैतिक हलकों में माना जा रहा था कि विजय बहुगुणा को भाजपा मार्च 2016 के सियासी घटनाक्रम का सूत्रधार होने के नाते उन्हें राज्यसभा भेज सकती है। बहुगुणा ने पिछले साल विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ा, हालांकि पार्टी ने उनके पुत्र को विधायक बनाया। 

प्रदेश के तीन पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी, भगत सिंह कोश्यारी और डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक लोकसभा सांसद हैं। केवल बहुगुणा ही पार्टी में एकमात्र पूर्व मुख्यमंत्री हैं जो न सांसद हैं और न विधायक। 

इस लिहाज से उनका राज्यसभा टिकट पर दावा मजबूत नजर आ रहा था लेकिन अब साफ हो गया है कि उन्हें कम से कम अगले लोकसभा चुनाव तक इंतजार करना पड़ेगा।

राज्यसभा टिकट के दूसरे मजबूत दावेदार प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट थे। भट्ट पिछली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष का भी दोहरा दायित्व संभाल रहे थे। बतौर प्रदेश अध्यक्ष भट्ट के ही कार्यकाल में विधानसभा चुनाव में भाजपा भारी भरकम बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई। 

यह बात दीगर है कि भाजपा की ऐतिहासिक जीत का एकमात्र कारण नमो लहर को ही माना गया। भाजपा तो सत्ता तक पहुंच गई मगर स्वयं भट्ट अपनी रानीखेत की सीट नहीं बचा पाए। भट्ट के राजनैतिक पुनर्वास के लिए उन्हें राज्यसभा भेजे जाने की चर्चाएं तो रहीं, मगर अंत में ऐसा हुआ नहीं।

ऐसे में उन्हें अब आगामी लोकसभा चुनाव तक तो इंतजार करना ही पड़ेगा। बहुगुणा और भट्ट के अलावा केंद्रीय संगठन के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों को भी उत्तराखंड से राज्यसभा सीट का दावेदार समझा जा रहा था। 

इनमें प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू व राष्ट्रीय सह महामंत्री संगठन शिवप्रकाश के नाम मुख्य थे लेकिन इन सब पर तरजीह मिली पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया समन्वयक व राष्ट्रीय प्रवक्ता युवा अनिल बलूनी को। 

महत्वपूर्ण बात यह कि भाजपा आलाकमान ने इस फैसले से यह संकेत भी साफ कर दिए हैं कि अब उसकी रणनीति उत्तराखंड में बिल्कुल बदली हुई नजर आएगी। राज्य गठन के बाद शुरुआती डेढ़ दशक में उत्तराखंड में भाजपा की सियासत खंडूड़ी, कोश्यारी व निशंक के इर्द-गिर्द ही केंद्रित रही। पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना और अब अनिल बलूनी को राज्यसभा टिकट देकर पार्टी ने साफ कर दिया कि भविष्य में पार्टी युवा नेताओं को तवज्जो देने जा रही है।

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