Upper Kosi Forest Area Encroachments कुमाऊं मंडल में रामनगर वन प्रभाग से सटे तराई पश्चिमी वन प्रभाग के अपर कोसी वन क्षेत्र में सरकारी भूमि पर हुए कब्जों के प्रकरण को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गंभीरता से लिया है। कोसी नदी के किनारे की यह सरकारी भूमि लगभग 30 साल से कब्जे की जद में है। यहां एक हजार के लगभग परिवारों के कच्चे-पक्के मकान बने हैं।
राज्य ब्यूरो, जागरण
देहरादून। Upper Kosi Forest Area Encroachments: कुमाऊं मंडल में रामनगर वन प्रभाग से सटे तराई पश्चिमी वन प्रभाग के अपर कोसी वन क्षेत्र में सरकारी भूमि पर हुए कब्जों के प्रकरण को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने पूरे प्रकरण की एसआइटी जांच के निर्देश दिए हैं। इस वन क्षेत्र में वन एवं राजस्व विभाग की सौ हेक्टेयर भूमि पर लगभग एक हजार परिवारों का कब्जा है।
यही नहीं, उत्तर प्रदेश, बिहार समेत अन्य राज्यों से आए व्यक्तियों को यहां स्टांप पेपर पर सरकारी भूमि बेचे जाने की प्रारंभिक जांच में पुष्टि हुई है। जिन्हें यह भूमि बेची गई है, उनमें बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग हैं।
कोसी नदी के किनारे की यह सरकारी भूमि लगभग 30 साल से कब्जे की जद में है। यहां एक हजार के लगभग परिवारों के कच्चे-पक्के मकान बने हैं।
साथ ही पानी, बिजली समेत अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराई गई हैं। यहां निवासरत लोगों के राशनकार्ड व आधारकार्ड भी बने हैं। वन एवं राजस्व विभाग की इस भूमि से कब्जे हटाने के लिए लंबे समय से कसरत चल रही है, लेकिन यह परवान नहीं चढ़ पाई है। हाल में वन विभाग की ओर से यहां के 140 परिवारों को बेदखली के नोटिस जारी किए गए थे।
यह मामला वन संरक्षक के यहां अपील में है, जिस पर निर्णय आना बाकी है।
इस बीच यह बात सामने आई कि बाहर से आए व्यक्तियों को स्टांप पेपर पर यह भूमि बेची जा रही है। इस संबंध में शिकायतें मिलने के बाद नैनीताल के जिलाधिकारी ने रामनगर के एसडीएम से प्रारंभिक जांच कराई।
जांच रिपोर्ट में वन व राजस्व भूमि पर कब्जा किए जाने, स्टांप पेपर के माध्यम से सरकारी भूमि क्रय-विक्रय करने की पुष्टि हुई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस पूरे मामले में रिपोर्ट तलब की थी। अब उन्होंने पूरे प्रकरण की गहन जांच एसआइटी से कराने के निर्देश दिए हैं। एसआइटी की रिपोर्ट के बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में आसानी रहेगी।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।