उत्तराखंड: नौ जिलों में राजस्व क्षेत्र में खुलेंगे छह नए थाने और 20 चौकियां, कैबिनेट में पास किया प्रस्ताव
प्रदेश के राजस्व क्षेत्रों में अंग्रेजों के समय से पटवारी पुलिस की व्यवस्था चली आ रही है। वर्तमान में उत्तराखंड देश का इकलौता राज्य हैं जहां यह व्यवस्था जीवित है। राज्य के 7500 गांव पटवारी पुलिस के दायरे में हैं।
By Soban singhEdited By: Sumit KumarUpdated: Thu, 13 Oct 2022 03:08 PM (IST)
सोबन सिंह गुसांई, देहरादून: सरकार ने प्रदेश के राजस्व क्षेत्रों में सिविल पुलिस की तैनाती की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। इस कड़ी में बुधवार को कैबिनेट में राजस्व क्षेत्रों में छह पुलिस थाने और 20 चौकी खोलने का प्रस्ताव पास हो गया। ये थाना-चौकी राज्य के नौ जिलों में उन राजस्व क्षेत्र में खोले जाएंगे, जहां पिछले कुछ वर्षों में आपराधिक घटनाएं बढ़ी हैं।
गंभीर अपराध फाइलों में दबे नहीं रहेंगे
सरकार के इस निर्णय से इन थानों और चौकियों के अधीन आने वाले राजस्व क्षेत्र में ग्रामीणों को अब समय पर न्याय मिलने की आस बंधी है। उम्मीद है कि अब इन क्षेत्रों में हत्या जैसे गंभीर अपराध फाइलों में दबे नहीं रहेंगे। गंभीर अपराध के मामले पुलिस के पास जाएंगे तो उनका शीघ्रता के साथ निदान हो सकेगा।
राज्य के 7500 गांव पटवारी पुलिस के दायरे में
प्रदेश के राजस्व क्षेत्रों में अंग्रेजों के समय से पटवारी पुलिस की व्यवस्था चली आ रही है। वर्तमान में उत्तराखंड देश का इकलौता राज्य हैं, जहां यह व्यवस्था जीवित है। राज्य के 7500 गांव पटवारी पुलिस के दायरे में हैं। पहले प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में सिविल पुलिस की आवश्यकता थी भी नहीं। क्योंकि, यहां कभी बड़े स्तर के आपराधिक मामले सामने नहीं आते थे।प्रदेश में पारंपरिक पुलिस की छवि भी अच्छी नहीं
छोटे-मोटे मामलों का पटवारी पुलिस ही निपटारा कर देती थी। इसके अलावा प्रदेश में पारंपरिक पुलिस की छवि भी अच्छी नहीं थी। इसके चलते सरकारों ने यदा-कदा राजस्व क्षेत्रों में थाना-चौकी खोलने का प्रयास किया भी तो ग्रामीण विरोध में आ गए। अब यहां पर्यटन तेजी से बढ़ रहा है। इसी क्रम में अपराध में भी बढ़ोतरी हुई है।पटवारी पुलिस की व्यवस्था को खत्म करने की मांग
इसको देखते हुए लंबे समय से पर्वतीय क्षेत्रों में पटवारी पुलिस की व्यवस्था को खत्म करने की मांग हो रही है। हाल ही में प्रकाश में आए वनन्तरा रिसार्ट प्रकरण के बाद इस मांग ने जोर पकड़ा तो सरकार को भी राजस्व क्षेत्रों में सिविल पुलिस की तैनाती की आवश्यकता महसूस हुई।
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इसको लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया था कि राजस्व क्षेत्रों को चरणबद्ध तरीके से सिविल पुलिस के दायरे में लिया जाएगा। इसी कड़ी में कैबिनेट में राजस्व क्षेत्रों में छह पुलिस थाने और 20 चौकी खोलने को हरी झंडी दी गई।तीन साल में हत्या के 16 मामले सिर्फ डायरी में
पटवारी पुलिस के पास उतने संसाधन नहीं हैं कि वह बड़े अपराधों की पुख्ता छानबीन कर पाए। इसके चलते भी कई बार पटवारी पुलिस की असफलता सामने आ चुकी है। इसके अलावा पारंपरिक पुलिसिंग का अभ्यास नहीं होने के कारण भी पटवारी पुलिस अक्सर मामलों में अपेक्षित संजीदगी नहीं दिखाती। जब तक ये मामले सिविल पुलिस के पास पहुंचते हैं, साक्ष्य नष्ट हो चुके होते हैं। हत्या जैसे संगीन अपराधों में यह लापरवाही सबसे ज्यादा भारी पड़ती है।पटवारी पुलिस सिर्फ केस डायरी में दर्ज कर चुपचाप
वर्ष 2019 से 2021 के बीच ही प्रदेश के राजस्व क्षेत्रों में हत्या के 16 मामले सामने आए। संगीन अपराध के इन मामलों को भी पटवारी पुलिस सिर्फ केस डायरी में दर्ज कर चुपचाप बैठ गई। जब तक ये केस सिविल पुलिस को सुपुर्द किए गए, तब तक हत्यारे या तो साक्ष्य मिटा चुके थे या पुलिस की पहुंच से दूर जा चुके थे। परिणाम यह हुआ कि साक्ष्यों के अभाव में सभी मामलों में पुलिस को फाइनल रिपोर्ट लगानी पड़ी। हत्या का एक मामला ऐसा भी था, जो पटवारी पुलिस ने 15 माह बाद केस सिविल पुलिस को हस्तांतरित किया।राजस्व क्षेत्रों में यहां खुलेंगे थाना व चौकी
- जिला-थाना-चौकी
- देहरादून-कोई नहीं-लाखामंडल
- पौड़ी-यमकेश्वर-बीरोंखाल
- टिहरी-छाम-गजा, कांडीखाल व चमियाला
- चमोली-घाट-नौटी, नारायणबगड़ व उर्गम
- रुद्रप्रयाग-कोई नहीं-चोपता व दुर्गाधार
- उत्तरकाशी-कोई नहीं-सांकरी व धौंतरी
- नैनीताल-खनस्यूं-ओखलकांडा, धानाचूली, हेडाखान, धारी
- अल्मोड़ा-देघाट व धौलझीना-मजखाली, जागेश्वर व भौनखाना
- चंपावत-कोई नहीं-बाराकोट