Move to Jagran APP

उत्तराखंड समेत 5 राज्यों में बड़ा खतरा, ग्लेशियर झीलों का आकार 40 फीसदी तक बढ़ा, फटने पर मच सकती तबाही

उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में बड़ा खतरा मंडरा रहा है। यहां जलवायु परिवर्तन का असर देखने को मिल रहा है। तेजी से हिमालय के ग्लेशियर पिघल रहे हैं। इस वजह से ग्लेशियर झीलों का दायरा बढ़ने लगा है। अगर यह झीलें फटीं तो निचले इलाकों में तबाही मच सकती है। यह खुलासा केंद्रीय जल आयोग (डीडब्ल्यूसी) की ताजा रिपोर्ट में हुआ है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 05 Nov 2024 07:52 AM (IST)
Hero Image
तेजी से बढ़ रहा ग्लेशियर झीलों का आकार। ( सांकेतिक फोटो)
सुमन सेमवाल, जागरण देहरादून। जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। इस वजह से ग्लेशियर झीलों का दायरा निरंतर खतरनाक स्थिति की तरफ बढ़ रहा है। हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियर झीलों में 13 साल के अंतराल में 33.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है। उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में हालात और चिंताजनक नजर आ रहे हैं। यहां ग्लेशियर झीलों का आकार 40 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है।

डीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

ग्लेशियर झीलों के आकार में आ रहे बदलाव की जानकारी केंद्रीय जल आयोग (डीडब्ल्यूसी) की ताजा रिपोर्ट में सामने आई है। केंद्रीय जल आयोग ने हिमालयी ग्लेशियर झीलों के क्षेत्रफल में बदलाव के आकलन के लिए वर्ष 2011 से सितंबर 2024 तक की स्थिति का अध्ययन किया। जिसमें पता चला कि भारत में ग्लेशियर झीलों का क्षेत्रफल 1,962 हेक्टेयर था, जो सितंबर 2024 में बढ़कर 2,623 हेक्टेयर हो गया है। यह बढ़ोतरी 33.7 प्रतिशत दर्ज की गई।

बाढ़ का खतरा बढ़ा

रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्लेशियर झीलों का दायरा बढ़ने के साथ ही दूसरे जल निकायों में भी पानी की मात्रा बढ़ रही है। वर्ष 2011 में ग्लेशियर झीलों समेत अन्य जल निकायों का कुल क्षेत्रफल 4.33 लाख हेक्टेयर था, जो अब बढ़कर 10.81 प्रतिशत बढ़कर 5.91 लाख हेक्टेयर हो गया है। उच्च जोखिम वाली ग्लेशियर झीलों से निचले क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। बाढ़ का खतरा सीमा पार भूटान, नेपाल और चीन जैसे पड़ोसी देशों में भी नजर आता है।

इन राज्यों में स्थिति चिंताजनक

केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 67 ऐसी झीलों की पहचान की गई है, जिनके सतही क्षेत्रफल में 40 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी देखी गई है। ऐसी स्थिति उत्तराखंड समेत लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में सर्वाधिक है। ऐसी झील से ग्लेशियल लेक आउटब‌र्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) का खतरा सर्वाधिक है और इनकी गहन निगरानी की संस्तुति की गई है।

चिंताजनक: तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर

पिछले साल इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) ने अपनी एक रिपोर्ट में अहम खुलासा किया था। इसमें यह सामने आया कि 2011 से 2020 तक ग्लेशियर पिघलने की रफ्तार 2000 से 2010 की तुलना में 65% अधिक रही है। ग्लेशियर पिघलने की यह रफ्तार बेहद चिंताजनक है। इसकी वजह यह है कि हिमालय लगभग 165 करोड़ लोगों के लिए अहम जल स्रोत है। अगर यही रफ्तार रही तो सदी के अंत तक ग्लेशियर 80 प्रतिशत तक खत्म हो सकते हैं।

यह भी पढ़ें: अल्मोड़ा में ओवरलोड बस खाई में गिरी, 36 की मौत; हादसे में मरने वाले अधिकतर युवा

यह भी पढ़ें: जोर की आवाज हुई और पलक झपकते ही गहरी खाई में गिरी यात्रियों से भरी बस, मची चीख पुकार

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।