उत्तराखंड में कौशल विकास से पैदा होंगे रोजगार के अधिक अवसर
उत्तराखंड के उच्च शिक्षा संस्थान व विश्वविद्यालयों में कौशल विकास (स्किल्ड डेवलपमेंट) केंद्र खोलने के प्रति सरकार गंभीर है ताकि हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकें।
By BhanuEdited By: Updated: Mon, 19 Aug 2019 09:09 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थान व विश्वविद्यालयों में कौशल विकास (स्किल्ड डेवलपमेंट) केंद्र खोलने के प्रति सरकार गंभीर है, ताकि हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकें। केंद्र सरकार ने कौशल विकास के लिए अलग मंत्रालय खोला है, जिसका उत्तराखंड अधिक से अधिक लाभ अर्जित करेगा। यह बात उन्होंने उत्तराखंड तकनीकी विवि (यूटीयू) में कौशल विकास पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर कही।
यूटीयू में टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम (टीईक्यूआइपी-3) के अंतर्गत देश के युवाओं के कौशल को रणनीति एवं अभ्यास से बदलना विषय पर यह राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है। राज्य के युवाओं को मिलेगा लाभ
डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश और देश ही नहीं वैश्विक स्तर पर कौशल विकास कितना महत्वपूर्ण है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में केंद्र में कौशल विकास मंत्रालय का गठन किया। इसका लाभ देशभर के राज्यों के लाखों युवाओं को मिल रहा है। कौशल विकास विवि, डिग्री कॉलेज, पॉलीटेक्निक, आइटीआइ, जिला व ब्लॉक स्तर पर गठित कौशल विकास केंद्र पर संचालित किया जा रहा है। जिसमें दर्जनों तकनीकी विषयों में युवाओं को पुस्तक अध्ययन के अलावा ट्रेनिंग भी दी जा रही है। इसके बाद हजारों युवा सरकारी एवं निजी क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
कहा कि किसी भी देश व प्रदेश की रीढ़ वहां की युवा शक्ति होती है। युवाओं को रोजगार से जोडऩे के लिए प्रदेश सरकार कई कार्यक्रम संचालित कर रही है जिसमें कौशल विकास भी शामिल है। उन्होंने कहा कि विकास के लिए लगातार प्रयास करते रहने चाहिए।
इंग्लैंड में पढ़ाई जा रही श्रीधर की बुक
विषय विशेषज्ञ श्रीधर जोशी ने बताया कि उन्होंने टाटा मोटर्स में 42 साल तक अपनी सेवाएं दी। टाटा मोटर्स में आज भी आइटीआइ ट्रेड के छात्र आकर इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग लेते हैं। वह अपने संस्थान में पढ़ाई करने के बाद हाफ टाइम में कंपनी की वर्कशाप में ट्रेनिंग लेते हैं, जिससे वह आगे भविष्य में एक दक्ष मैकेनिक से लेकर इंजीनियर तक बनकर विभिन्न कंपनियों में सेवाएं दे रहे हैं।
उन्होंने कंपनी के कौशल अनुभव के संग्रह की एक बुक ऑटो कंपानेंट फीचर एनालिसिस के बारे में बताया कि यह हैंडबुक इंग्लैंड सहित यूरोपियन देशों में तकनीकी शिक्षा में शामिल है। अमेरिका से बायोटेक्नोलॉजी की पढ़ाई करने वाले डॉ. राजस वारके ने बताया कि उन्होंने बायोटेक्नोलॉजी के आधुनिक तकनीकी कौशल का संग्रह हाइपरटीचिंग किट्स हैंडबुक में किया है, जिसको अमेरिका, यूरोप जैसे देशों में भी उपयुक्त पाया गया है।
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इन विशषज्ञों ने किया प्रतिभाग
दिल्ली स्थित मिंडा ग्रुप के पर्ना घोष, हिमीडिया मुंबई के अध्यक्ष राजन विष्णु, जेनपेक्ट कंपनी के एचआर मंदीप शर्मा, यूजेवीएनएल देहरादून के एचआर डॉ. अविनाश चंद जोशी ने व्याख्यान प्रस्तुत किए। संगोष्ठी में यूटीयू से जेपीआर तोमर, डॉ. एचएस भदोरिया, डॉ. अमित अग्रवाल, प्रो. संदीप विजय, डॉ. निशांत सक्सेना, मनोज चौधरी, नेहा थापा, कुलदीप रावत आदि मौजूद रहे।
यह भी पढ़ें: पहली काउंसलिंग में भरी 93 आइटीआइ की 7904 सीटें, पढ़िए पूरी खबर Dehradun Newsसंचालित किए जा रहे ट्रेनिंग प्रोग्राम यूटीयू के कुलपति प्रो. नरेंद्र एस चौधरी के मुताबिक, विवि में कौशल विकास पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने अपने अनुभव छात्रों के साथ साझा किए। विवि की ओर से भी कौशल विकास पर कई प्रकार के ट्रेनिंग प्रोग्राम संचालित किए जा रहे हैं। इस प्रकार की संगोष्ठी से युवाओं को जरूरी लाभ मिलेगा।साबित हो रहा उपयोगी यूटीयू की कुलसचिव डॉ. अनीता रावत का कहना है कि यूटीयू में टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम (टीईक्यूआइपी-3) के तहत कौशल विकास पर जोर दिया जाता है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में प्रदेश में कौशल विकास कार्यक्रम शिक्षा संस्थानों में उपयोगी साबित हो रहे हैं।यह भी पढ़ें: आइटीआइ काउंसलिंग को दो दिन में 7400 पंजीकरण, पढ़िए पूरी खबर
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