तीन साल बाद बस्तियों पर फिर तलवार
उत्तराखंड अध्यादेश-2018 को मंजूरी देकर मंत्रिमंडल ने मलिन बस्तियों को उजाड़े जाने के खतरे से तीन साल के लिए राहत तो दिला दी।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 27 Jul 2018 02:40 PM (IST)
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश की 582 मलिन बस्तियों को तीन साल के लिए उजड़ने से राहत भले ही दी गई हो, लेकिन इस अवधि में बस्तियों के समुचित विकास और अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण से निपटने की चुनौती सरकार के सामने है। इस चुनौती से जूझने में नाकामी हाथ लगी तो बस्तियों पर फिर उजाड़े जाने यानी अतिक्रमण हटाने की तलवार लटकना तय है। मलिन बस्तियों के लिए लाए जा रहे अध्यादेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि 11 मार्च, 2016 के बाद सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण अथवा किए गए या निर्माणाधीन अनधिकृत निर्माण कार्रवाई की जद में होंगे।
उत्तराखंड (नगर निकायों व प्राधिकरणों के लिए विशेष प्रावधान) अध्यादेश-2018 को मंजूरी देकर मंत्रिमंडल ने मलिन बस्तियों को उजाड़े जाने के खतरे से तीन साल के लिए राहत तो दिला दी, लेकिन यह राहत भी केवल 11 मार्च, 2016 तक अनधिकृत निर्माण, सार्वजनिक सड़कों, पैदल मार्गों, फुटपाथ एवं गलियों व पटरियों पर किए गए अतिक्रमण के मामलों में ही राहत देंगे। इसके बाद किए गए अवैध निर्माण और अतिक्रमण कार्रवाई के दायरे में होंगे। जाहिर है कि इस मसले पर विपक्षी दल कांग्रेस के लिए भी सरकार को घेरना आसान नहीं होगा। पिछली कांग्रेस सरकार ने खुद भी 2016 के एक्ट के जरिये सीमा रेखा तय कर दी थी।
पिछली सरकार के एक्ट में जहां सिर्फ नगर निकायों के अंतर्गत मलिन बस्तियों का प्रावधान है, वहीं लाए जा रहे नए अध्यादेश में प्राधिकरणों के तहत अनधिकृत निर्माणों को भी शामिल किया गया है। यानी अध्यादेश के जरिये भाजपा सरकार ने अतिक्रमण हटाओ अभियान की जद में आने वाले ज्यादा बस्तियों और लोगों को राहत देने की कोशिश की है। हालांकि, तीन साल की अवधि तय कर सरकार ने अपने हाथ भी बांध दिए हैं। इस अवधि में मलिन बस्तियों में सुधार के साथ ही वहां रहने वाले लोगों के लिए नई जगह पर आवासीय बंदोबस्त या पुनर्वास की व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी में शुमार हो गया है। ऐसा नहीं होने पर मलिन बस्तियों पर तीन साल बाद फिर से उजाड़े जाने की तलवार लटकना तय है।
अंतिम दिन 49 अतिक्रमण ध्वस्त, जारी रहेगा अभियान
शहर में मुख्य सड़कों व गलियों को अतिक्रमणमुक्त बनाने के लिए हाईकोर्ट की ओर से सरकार को दी 28 दिन की मियाद बुधवार को पूरी हो गई। अंतिम दिन प्रशासन की टीमों द्वारा जीएमएस रोड पर 49 अतिक्रमण को ध्वस्त किया गया व एक अवैध निर्माण को सील किया गया। टास्क फोर्स ने अतिक्रमण पर कार्रवाई के लिए शहर में बनाए चारों जोन में 188 नए अतिक्रमण भी चिह्नित किए। अब सरकार को अब तक हुई कार्रवाई पर हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखना है। प्रशासन के अनुसार 28 दिन में 5324 अतिक्रमणों को चिह्नित किया गया और इनमें 2887 ध्वस्त किए गए। इसके साथ 108 भवनों को सील किया गया। जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन ने बताया कि अभी सरकार की ओर से कोई नए निर्देश नहीं मिले हैं। ऐसे में अभियान लगातार जारी रहेगा। गुरूवार को मसूरी डायवर्जन और परेड ग्राउंड के पास अभियान चलेगा।
नैनीताल हाईकोर्ट ने 18 जून को एक जनहित याचिका पर दून को अतिक्रमण से मुक्त करने के आदेश दिए थे। सड़कों और गलियों के लिए 28 दिन का वक्त दिया था जबकि अवैध मलिन बस्तियों के लिए 90 दिन का वक्त दिया गया। प्रशासन ने संयुक्त टीमें बनाकर 28 जून से कार्रवाई शुरू की थी। बाद में कुछ लोग कार्रवाई के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट ने चार जुलाई को नया आदेश दिया, जिसमें मुख्य सड़कों से अतिक्रमण हटाने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया गया।
साथ ही बस्तियों से अतिक्रमण हटाने के लिए सात हफ्ते का समय दिया गया। बस्तियों को लेकर अभी नोटिस की कसरत पूरी हुई है और सुनवाई शुरू होनी है। उसके बाद ध्वस्तीकरण का नंबर आएगा, लेकिन बुधवार को सड़कों व गली से अतिक्रमण हटाने की 28 दिन की समय-सीमा पूरी हो गई।बुधवार को टास्क फोर्स ने जीएमएस रोड पर बल्लीवाला फ्लाइओवर से बल्लूपुर की तरफ 49 अतिक्रमणों को जेसीबी से ध्वस्त किया। इस दौरान सड़क के किनारे लगने वाली रेहड़ी-फड़ के अस्थायी अतिक्रमण को भी हटाया गया। बसंत विहार पुलिस ने सड़क किनारे खड़ी फूडवैन को सील कर दिया। इसी क्रम में एमएम टावर, ओफिर टावर, रिलाएबल टावर समेत के साथ ही अन्य कांप्लेक्सों की बाउंड्रीवाल व पुश्ते प्रशासन की जेसीबी से ध्वस्त कर दिए गए। अतिक्रमण हटाओ अभियान में अब तक शहर में चिह्नित अतिक्रमण की संख्या 5324 हो चुकी है। जबकि इनमें से 2887 अतिक्रमण ध्वस्त किए जा चुके हैं। जबकि 108 भवनों के खिलाफ सीलिंग की कार्रवाई की गई है। डीएम एसए मुरूगेशन ने कहा कि प्रेमनगर, पलटन बाजार और राजपुर रोड में चिह्नित अतिक्रमणों पर भी जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए प्रशासन रणनीति बना रहा हैं।
सहस्रधारा रोड के व्यापारियों ने बाजार किया बंदपलटन बाजार और प्रेमनगर बाजार के व्यापारियों के बाद अतिक्रमण हटाओ अभियान के विरोध में अब सहस्रधारा रोड के व्यापारी भी उतर आए हैं। व्यापारियों ने अतिक्रमण हटाने पहुंचे दस्ते पर उत्पीडऩ और एमडीडीए पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए बाजार बंद रखा। साथ ही प्रशासन के खिलाफ जमकर नारे लगाए।
सहस्रधारा रोड के व्यापारियों ने बुधवार को सहस्रधारा क्रासिंग से लेकर डांडा लखौंड तक बाजार बंद कर प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद व्यापारियों ने बैठक की। बैठक में दुकानदारों ने कहा कि एमडीडीए मनमानी तरीके से सीलिंग की कार्रवाई कर रहा है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन के अधिकारी दुकानदारों को धमका रहे हैं कि या तो प्रतिष्ठान खाली करें नहीं तो उन्हें तोड़ दिया जाएगा। जबकि उनके पास दुकान और मकानों की रजिस्ट्री हैं। उन्होंने सरकारी जमीन में कोई अतिक्रमण नहीं किया है। दुकानें भी सड़क से काफी पीछे हटकर बनी हैं फिर भी अतिक्रमण हटाओ दस्ते ने उनकी दुकानें तोड़ दीं।अभिषेक पंत बने अध्यक्ष
बुधवार को सहस्रधारा रोड व्यापार समिति का गठन भी किया गया। जिसमें ग्राम प्रधान डांडा लखौंड अभिषेक पंत को अध्यक्ष चुना गया। सुमित नेगी को उपाध्यक्ष, ईश्वर सिंह ठाकुर को सचिव, अवनीश कोठारी को उपसचिव, सुरेश नेगी, अजय उनियाल और अनुज कौशल को सदस्य नामित किया गया। बैठक में संदीप शर्मा, सुमित शर्मा, प्रवीण फरासी, कुलदीप सहदेव, मदन ठाकुर, दिनेश पंत समेत अन्य मौजूद रहे।यह भी पढ़ें: अतिक्रमण के खिलाफ अभियान जारी, सड़कें संवारने को 55 करोड़ की योजनायह भी पढ़ें: नगर निगम पर गरजे मलिन बस्तीवासी, किया हंगामायह भी पढ़ें: राजधानी देहरादून में जारी है अतिक्रमण हटाओ अभियान, यहां हुर्इ कार्रवार्इ
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