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अब पता चलेगी हिम तेंदुओं की संख्या, 12 देशों में होगी गणना

हिंदूकुश रीजन के अंतर्गत आने वाले भारत समेत 12 देशों के हिमालयी क्षेत्रों की शान कहे जाने वाले हिम तेंदुओं की सही संख्या का अब पता चल सकेगा।

By Edited By: Updated: Tue, 03 Jul 2018 05:10 PM (IST)
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अब पता चलेगी हिम तेंदुओं की संख्या, 12 देशों में होगी गणना
देहरादून, [केदार दत्त]: हिंदूकुश रीजन के अंतर्गत आने वाले भारत समेत 12 देशों के हिमालयी क्षेत्रों की शान कहे जाने वाले हिम तेंदुओं की सही संख्या का अब पता चल सकेगा। ग्लोबल स्नोलेपर्ड एंड इको सिस्टम प्रोटेक्शन प्रोग्राम की स्टीयरिंग कमेटी की किर्गिस्तान में हुई बैठक में इन सभी देशों में हिम तेंदुओं का आकलन कराने का निश्चय किया गया। इसके तहत उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी हिम तेंदुओं की गणना का कार्यक्रम तय किया जाएगा। 

दुर्गम और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में वास करने वाले हिम तेंदुओं की वास्तविक संख्या का सवाल अभी तक अनुत्तरित है। जगह-जगह कैमरा ट्रैप में कैद होने वाली तस्वीरों के आधार पर ही इनकी संख्या का अनुमान लगाया जाता रहा है। 

इस सबको देखते हुए पूर्व में विश्व स्तर पर हिम तेंदुओं के संरक्षण के लिए भी घोषणा पत्र जारी हुआ था। साथ ही इसके लिए बाकायदा प्रोटोकॉल तैयार करने पर जोर दिया गया। अब इस दिशा में गंभीरता से पहल की जा रही है। 

ग्लोबल स्नोलेपर्ड एंड इको सिस्टम प्रोग्राम की हाल में किर्गिस्तान में हुई स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि हिंदूकुश रीजन के अंतर्गत आने वाले देशों में हिम तेंदुओं का आकलन कराया जाए। 

इस बैठक से भाग लेकर लौटे उत्तराखंड के अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक डॉ.धनंजय मोहन के मुताबिक अब इसी प्रोटोकॉल के तहत भारत, नेपाल, चीन, पाकिस्तान, भूटान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, रूस व मंगोलिया में हिम तेंदुओं का आकलन किया जाएगा। 

यही नहीं, हिम तेंदुओं के संरक्षण के लिए विश्व के विभिन्न देशों में हुई बेस्ट प्रैक्टिसेज का आदान-प्रदान भी किया जाएगा। डॉ.धनंजय के अनुसार इस क्रम में अब उत्तराखंड में भी हिम तेंदुओं के आकलन को कार्यक्रम तय किया जाएगा। 

राज्य के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुओं की मौजूदगी के पुख्ता प्रमाण हैं। वहां लगे कैमरा ट्रैप में लगातार ही इनकी तस्वीरें कैद हो रही हैं, लेकिन इनकी सही संख्या का अभी पता नहीं है। नई पहल के परवान चढ़ने से यहां भी इनका सही आंकड़ा मिल सकेगा। इससे हिम तेंदुओं के संरक्षण को ठोस एवं प्रभावी कार्ययोजना बनाने में मदद मिलेगी।

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