उत्तराखंड में हुई रिकॉर्ड बर्फबारी बढ़ाएगी हर्षिल के सेब की 'लालिमा', पढ़िए पूरी खबर
सेब और नकदी फसलों के लिए इस बार हुई बर्फबारी संजीवनी साबित हो रही है। सेब बाहुल क्षेत्र हर्षिल मोरी सांकरी जोशीमठ आदि में इस बार एक से चार फीट तक बर्फ पड़ी है।
By Edited By: Updated: Sat, 11 Jan 2020 08:26 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। रिकॉर्ड बर्फबारी और बारिश ने भले ही दुश्वारियां बढ़ाई हो, लेकिन सेब और नकदी फसलों के लिए यह संजीवनी साबित हो रही है। सेब बाहुल क्षेत्र हर्षिल, मोरी, सांकरी, जोशीमठ आदि में इस बार एक से चार फीट तक बर्फ पड़ी है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि भारी बर्फबारी के बाद अब तेज धूप खिलने से सेब के बगीचों के लिए पर्याप्त चिलिंग ऑवर्स मिलेंगे, जो सेब की फसल के लिए बेहद जरूरी है। यही नहीं जनवरी में अभी तक करीब 42.3 मिलीमीटर बारिश से नकदी फसलों को लाभ मिलेगा।
जनवरी में करीब ढाई दशक बाद रिकॉर्ड बर्फबारी हुई है, जिससे स्नो लाइन इस बार तीन हजार फीट तक आ पहुंची है। ऊंची पहाड़ी इलाकों में बर्फ निचले क्षेत्रों तक भी गिरी है। प्रदेश के जोशीमठ, थराली, ऊखीमठ, चकराता, त्यूणी, कोसानी, मुक्तेश्वर, अल्मोड़ा, दिवालीखाल, मंडल, चिन्यालीसौड़, बड़कोट, नगथात आदि क्षेत्रों में पैदा किए जाने वाले शीतोष्ण फलों के लिए भी बर्फ बेहद लाभकारी मानी जा रही है।
आगे अगर पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय नहीं होता है और बारिश नहीं होती है, तो ऐसी स्थिति में भी करीब एक महीने तक चोटियों की बर्फ पिघलने से निचले इलाकों में स्थित फसलों और बगीचों में पर्याप्त नमी बनी रहेगी। सरसों, प्याज की पनीरी, हरी सब्जियों को मिलेगा लाभ पहाड़ी क्षेत्र ही नहीं प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में हुई मूसलाधार बारिश नकदी फसलों की पैदावार के लिए बेहद लाभकारी मानी जा रही है। सरसों, प्याज की पनीरी, हरी सब्जियां, मूली, आलू और गन्ने की फसल को लाभ मिलेगा। जनवरी में होने वाली पोस्ट मानसून की बारिश से खेतों में करीब एक से डेढ़ माह तक नमी का संचय रहता है। जो नकदी फसलों की बढ़वार के लिए लाभकारी है।
यह भी पढ़ें: गांव वाले उड़ाते थे मजाक, आज बन गई कीवी क्वीन; पढ़िए पूरी खबरकृषि निदेशक गौरीशंकर का कहना है कि प्रदेशभर में हुई बर्फबारी सेब और नकदी फसलों के लिए बेहद लाभकारी है। सेब के लिए पर्याप्त लिचिंग आवर्स मिलने के बाद सेब की फसल इस बार अच्छी होने की संभावना बढ़ गई है। सरसों व गेहूं की फसल के लिए भी बारिश लाभकारी है। पहाड़ से लेकर मैदान तक बारिश से लंबे समय तक मिट्टी में नमी का संचय बना रहेगा।
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