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Uttarakhand Election 2022: तो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का कांग्रेस से हो गया है मोह भंग

Uttarakhand Vidhan Sabha Election 2022 लगता है कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मंत्री किशोर उपाध्याय का अब अपनी पार्टी से पूरी तरह मोहभंग हो गया है। शुक्रवार को वह फिर भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी व केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी से मुलाकात करने पहुंच गए।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 15 Jan 2022 06:05 AM (IST)
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लगता है कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का अब अपनी पार्टी से पूरी तरह मोहभंग हो गया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। लगता है कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मंत्री किशोर उपाध्याय का अब अपनी पार्टी से पूरी तरह मोहभंग हो गया है। दो दिन पहले ही गंभीर आरोप लगा कांग्रेस ने किशोर को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया था, लेकिन शुक्रवार को वह फिर भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी व केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी से मुलाकात करने पहुंच गए। यद्यपि किशोर का कहना है कि वह भाजपा में शामिल नहीं हो रहे हैं, बल्कि प्रल्हाद जोशी से उन्होंने वनाधिकार आंदोलन के सिलसिले में बातचीत की।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के समय किशोर उपाध्याय कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे, लेकिन तब भी वह अपनी परंपरागत सीट टिहरी से चुनाव नहीं लड़ पाए। कांग्रेस ने तब टिहरी सीट हरीश रावत सरकार में मंत्री रहे दिनेश धनै के लिए छोड़ दी थी। धनै ने निर्दलीय के रूप में 2012 का विधानसभा चुनाव भी इसी सीट से जीता था। एक तरह से प्रदेश अध्यक्ष होने के बावजूद उन्हें धनै के लिए अपनी सीट छोड़नी पड़ी। वह देहरादून की सहसपुर सीट से चुनाव मैदान में उतारे गए, लेकिन भाजपा प्रत्याशी ने उन्हें पराजित कर दिया। पिछली बार कांग्रेस को केवल 11 सीटों पर जीत मिली। पार्टी के इस कमजोर प्रदर्शन की कीमत किशोर को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी गंवाकर चुकानी पड़ी।

पिछले कुछ समय से किशोर राजनीति से अधिक उत्तराखंड के सरोकार से जुड़े वनाधिकार आंदोलन के अपने एजेंडे को लेकर सक्रिय रहे हैं। पिछले कुछ महीनों के दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश व दिल्ली के मुख्यमंत्रियों समेत विभिन्न दलों के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। कुछ दिन पहले किशोर उपाध्याय देहरादून में केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी से रात में जाकर मिले। मीडिया तक जानकारी पहुंचने पर उन्होंने मुलाकात का उद्देश्य अपना वनाधिकार आंदोलन का एजेंडा ही बताया, लेकिन इसके साथ ही उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलों ने जोर पकड़ लिया।

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले किशोर का यह कदम कांग्रेस को रास नहीं आया, जिसकी परिणति उनकी पार्टी के सभी पदों से छुट्टी के रूप में हुई। किशोर ने इसके बाद अपने पत्ते तो नहीं खोले, लेकिन इतना जरूर कहा कि वह कांग्रेस में ही हैं। पार्टी के इस कड़े कदम के दो दिन बाद ही किशोर ने शुक्रवार दोपहर एक बार फिर केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी से भेंट की तो उनके जल्द भाजपा में शामिल होने की चर्चा शुरू हो गई। कांग्रेस नेतृत्व के सख्त रुख के बाद भी जिस तरह किशोर उसके निर्देशों को दरकिनार करते नजर आए, उन परिस्थितियों में तय माना जा रहा है कि जल्द वह कोई निर्णय ले सकते हैं।

-किशोर उपाध्याय (पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस) का कहना है कि मैं वनाधिकार के मामले में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं, सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों, विधायकों, मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्रियों से लगातार मिल रहा हूं। मैंने शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी से भी इस सिलसिले में मुलाकात की। वनाधिकार आंदोलन को लेकर मेरी इन मुलाकातों को राजनीतिक रंग दिया जाना ठीक नहीं है।

सपा में जाने की इंटरनेट मीडिया में चर्चा

एक ओर दिनभर किशोर के जल्द भाजपा में जाने की चर्चा रही, तो दूसरी तरफ इंटरनेट मीडिया में उनके सपा में शामिल होने की पोस्ट भी वायरल होती रही। इसमें कहा गया कि किशोर लखनऊ जाकर अखिलेश यादव से मुलाकात करने वाले हैं और सपा उन्हें उत्तराखंड में मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने को तैयार है। यद्यपि, किशोर के नजदीकी व्यक्तियों ने इससे इन्कार किया और कहा कि कांग्रेस में उनके विरोधी इस तरह का प्रचार कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद से अब तक सपा चार विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई है।

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