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Uttarakhand Forest Fire: तो बदलेंगे जंगलों को आग से होने वाली क्षति के मानक

Uttarakhand Forest Fire पर्यावरणीय लिहाज से संवेदनशील उत्तराखंड में जंगलों को आग से होने वाले नुकसान के आकलन के मानक चौंकाने वाले हैं। इस वर्ष की ही तस्वीर देखें तो अब तक आग से 1359 हेक्टेयर जंगल झुलसा है और क्षति आंकी गई है महज 39.46 लाख रुपये।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 05 Apr 2021 07:30 AM (IST)
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तो बदलेंगे जंगलों को आग से होने वाली क्षति के मानक।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Forest Fire पर्यावरणीय लिहाज से संवेदनशील उत्तराखंड में जंगलों को आग से होने वाले नुकसान के आकलन के मानक चौंकाने वाले हैं। इस वर्ष की ही तस्वीर देखें तो अब तक आग से 1359 हेक्टेयर जंगल झुलसा है और क्षति आंकी गई है महज 39.46 लाख रुपये। यानी औसतन प्रति हेक्टेयर 2904 रुपये की क्षति। जाहिर है कि क्षति आकलन के सतही मानकों से सवाल तो उठेंगे। इसे देखते हुए अब वन महकमा नए सिरे से मानकों की कवायद भी शुरू करने जा रहा है।

विषम भूगोल और 71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में हर साल ही आग से वन संपदा को भारी नुकसान पहुंच रहा है, मगर क्षति के आकलन का पैमाना हर किसी को सोचने पर विवश करता है। मानकों पर गौर करें तो एक वर्ष के पौधे के आग में नष्ट होने पर उसकी क्षति महज 20 रुपये आंकी जाती है। इसी तरह दो साल के पौधे के लिए 22.40 रुपये, तीन साल के लिए 24.96 रुपये, चार साल के लिए 28 रुपये और पांच साल के पौधे के लिए 32 रुपये प्रति पौधा क्षति का आकलन किया जाता है। इसके अलावा चीड़ वनों में तीन हजार रुपये प्रति हेक्टेयर, साल वनों में दो हजार और मिश्रित वनों में एक हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से क्षति आंकी जा रही है।

साफ है कि क्षति का सतही आकलन ही हो रहा है। आग से केवल झाडिय़ां, घास व पौधे ही नष्ट नहीं होते, बल्कि आग और धुएं से पर्यावरण व मृदा पर पडऩे वाले दुष्प्रभाव, भूजल को पहुंचने वाली क्षति, प्राकृतिक पुनरोत्पादन, जैवविविधता के संरक्षण में योगदान देने वाले छोटे जीवों समेत अन्य प्रकार की क्षति का आकलन नहीं किया जा रहा।

विभागीय मानकों को लेकर सवाल उठाते हुए सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने कहा कि यह जंगलों के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि एक हेक्टेयर वन क्षेत्र का अर्थ है 15 बीघा का क्षेत्र। ऐसा कैसे संभव है कि एक हेक्टेयर में आग से सिर्फ तीन हजार रुपये का ही नुकसान हो। विभागीय आंकड़ों को देखें तो वर्तमान में भी प्रति हेक्टेयर क्षति यही बैठ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में गंभीरता से अध्ययन कराकर जंगलों को आग से क्षति के वास्तविक मानकों का निर्धारण करना चाहिए।

उधर, वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी ने कहा कि वनों को आग से नुकसान के मानकों के नए सिरे से निर्धारण को कसरत चल रही है। सभी पहलुओं पर गंभीरता से विमर्श के बाद नए मानक निर्धारित किए जाएंगे। फिलवक्त विभाग का पूरा फोकस वनों को आग से बुझाने पर है।

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