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सपा ने छोड़ा गठबंधन का शिगूफा, कांग्रेस और बसपा ने किया किनारा

समाजवादी पार्टी ने निकाय चुनावों में गठबंधन कर चुनाव लड़ने का शिगूफा छोड़ा है। सपा का कहना है कि मिलजुल कर चुनाव लड़ने से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।

By Edited By: Updated: Tue, 16 Oct 2018 11:26 AM (IST)
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सपा ने छोड़ा गठबंधन का शिगूफा, कांग्रेस और बसपा ने किया किनारा
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: समाजवादी पार्टी ने निकाय चुनावों में गठबंधन कर चुनाव लड़ने का शिगूफा छोड़ा है। सपा का कहना है कि मिलजुल कर चुनाव लड़ने से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। हालांकि, उनकी इस बात का समर्थन न तो कांग्रेस और न ही बसपा ने किया है। कांग्रेस पहले से ही निकाय चुनाव की तैयारी कर रही है तो वहीं बसपा ने अपने बूते ही निकाय चुनाव लड़ने की बात कही है। 

प्रदेश में निकाय चुनावों की रणभेरी बज चुकी है। राज्य निर्वाचन आयोग ने इसका कार्यक्रम तय कर दिया है। इसके साथ ही सभी राजनीतिक दलों ने चुनावों को लेकर रणनीति बनाने पर काम शुरू कर दिया है। भाजपा और कांग्रेस तो पहले से ही इन चुनावों की तैयारियां कर रहे हैं। 

अब अन्य दलों ने भी निकाय चुनावों को लेकर अपनी कसरत शुरू कर दी है। भाजपा और कांग्रेस के बाद बसपा तीसरा सबसे बड़ा राजनीतिक दल है। इसके बाद सपा, उक्रांद और कम्युनिस्ट पार्टियां प्रदेश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही हैं। 

फिलहाल, निकाय चुनावों की बात करें तो सपा ने गठबंधन का शिगूफा छोड़ा है। सपा उम्मीद कर रही है कि जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में लोकसभा उपचुनावों में गठबंधन कर चुनाव लड़ा गया था, उसी आजमाए गए फार्मूले पर यहां भी चुनाव लड़ कर जीत हासिल की जा सकती है। 

सपा प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप रावत का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में बसपा से बात की है और कांग्रेस तक अपना संदेश पहुंचाया है। उनका कहना है कि कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाते हुए मिल कर चुनाव लड़ना चाहिए। जहां कांग्रेस मजबूत है, वहां सपा उन्हें समर्थन करेगी और जहां सपा मजबूत है वहां कांग्रेस उन्हें समर्थन दे। 

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भी लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने तरह सहयोग दिया था। हालांकि, अभी उन्हें दोनों ओर से जवाब नहीं मिला है। वहीं, बसपा निकाय चुनावों को फिलहाल अपने बूते ही लड़ना चाहती है।

बसपा प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप बालियान का कहना है कि बसपा प्रदेश में अपने बूते ही चुनाव लड़ेगी। प्रत्याशियों के चयन के लिए जल्द प्रक्रिया शुरू की जाएगी। एक दो दिनों में गढ़वाल मंडल के प्रत्याशियों के संबंध में बैठक की जाएगी। 

उधर, प्रदेश में कभी एकमात्र क्षेत्रीय दल के रूप में पहचान रखने वाला उत्तराखंड क्रांति दल भी निकाय चुनाव में खम ठोकने की तैयारी कर रही है। पार्टी चुनाव वहीं लड़ेगी जहां उन्हें अपनी स्थिति थोड़ी मजबूत लगेगी। उक्रांद अध्यक्ष दिवाकर भट्ट का कहना है कि अब लोगों को भाजपा व कांग्रेस का साथ छोड़ना ही होगा। उक्रांद इनका बेहतर विकल्प बन सकती है।

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