एम्स ऋषिकेश में स्पेशल लंग क्लीनिक शुरू, हर शुक्रवार होगा संचालन; उत्तराखंड में बढ़ रहे लंग कैंसर के मरीज
एम्स ऋषिकेश में स्पेशल लंग क्लीनिक (Special Lung Clinic)शुरू किया गया है। इस क्लीनिक का संचालन प्रत्येक शुक्रवार को किया जाएगा। फेफड़े के कैंसर में फेफड़ों के किसी भाग में कोशिकाओं की अनियंत्रित और असामान्य वृद्धि होने लगती है।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Fri, 03 Sep 2021 09:30 PM (IST)
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में स्पेशल लंग क्लीनिक (Special Lung Clinic) शुरू किया गया है। इस क्लीनिक का संचालन प्रत्येक शुक्रवार को किया जाएगा। फेफड़े के कैंसर में फेफड़ों के किसी भाग में कोशिकाओं की अनियंत्रित और असामान्य वृद्धि होने लगती है। चिकित्सकों के अनुसार कई दफा फेफड़े के कैंसर का शुरुआती दौर में पता नहीं चल पाता है और यह अंदर ही अंदर बढ़ता जाता है। लिहाजा इसके लक्षण अक्सर विलंब से पता चलते हैं।
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि फेफड़े का कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन आधुनिक मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब कैंसर (Cancer) से छुटकारा संभव है। लक्षणों के आधार पर समय पर उपचार किए जाने से कैंसर की गंभीर स्थिति से बचाव किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश (AIIMS Rishikesh) में लंग कैंसर के लिए स्पेशल क्लीनिक संचालित किया जा रहा है।
इस बीमारी के समुचित इलाज के लिए एम्स में सभी तरह की आधुनिक मेडिकल सुविधाएं और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम उपलब्ध है। पल्मोनरी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डा. मयंक मिश्रा ने बताया कि बीड़ी-सिगरेट आदि धूम्रपान का सेवन करना फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के तंबाकू उत्पाद, खैनी, गुटखा, सिगार का सेवन करने, धुएं के संपर्क में रहने, घर या कार्य स्थल पर एस्बेस्टस या रेडान जैसे पदार्थों के संपर्क में आने और पारिवारिक इतिहास होने के कारण भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।
उत्तराखंड में हो रही लंग कैंसर के मरीजों में वृद्धि आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में लंग कैंसर के मरीजों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में एम्स ऋषिकेश में इस बीमारी से ग्रसित औसतन 40 से 50 मरीज प्रति माह आ रहे हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर एम्स के पल्मोनरी विभाग में अलग से लंग क्लीनिक संचालित किया जा रहा है। इस क्लीनिक में केवल लंग कैंसर से ग्रसित मरीज ही देखे जाएंगे।
यह भी पढ़ें- ग्राफिक एरा के वैज्ञानिक ने दिया एक नायाब तोहफा, गन्ने के रस से तैयार की एक खास मेंबरेनफेफड़ों के कैंसर के लक्षण लंबे समय से खांसी-बलगम की शिकायत, खांसी में खून आना, सांस फूलना, सीने में दर्द, वजन का कम होना, चेहरे या गले में सूजन, आवाज बदल जाना, भूख कम लगना, लगातार थकान महसूस होना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।
शुक्रवार को संचालित होगा लंग क्लीनिक पल्मोनरी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डा. मयंक मिश्रा ने बताया कि लंग क्लीनिक प्रत्येक शुक्रवार को अपराह्न दो से चार बजे तक संचालित होगा। इस क्लीनिक में केवल वही मरीज देखे जाएंगे, जिन्हें पल्मोनरी विभाग की जनरल ओपीडी से रेफर किया गया हो। लिहाजा जरूरी है कि मरीज पहले पल्मोनरी की ओपीडी में अपना परीक्षण करा लें। क्लीनिक में पल्मोनरी विभाग के अलावा, मेडिकल आन्कोलाजी, सर्जिकल आन्कोलाजी और रेडिएशन आन्कोलाजी के विशेषज्ञ चिकित्सक भी मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण करेंगे।
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