उत्तराखंड में स्पोर्ट्स कोड होगा लागू, अब खुली हवा में सांस ले सकेंगे खेल संघ
अब प्रदेश सरकार ने भी उत्तराखंड राज्य में गठित खेल संघों के लिए स्पोर्ट्स कोड तैयार कर इसे लागू कर दिया है। जिससे खेल संघ अब खुली हवा में सांस ले सकेंगे।
By Edited By: Updated: Wed, 29 Aug 2018 08:44 AM (IST)
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश में वर्षों से चुनिंदा पदाधिकारियों के चुंगल में कैद खेल संघ अब खुली हवा में सांस ले सकेंगे। इनमें वर्षों से काबिज पदाधिकारियों को बाहर जाना ही होगा। प्रदेश सरकार ने खेलों में पारदर्शिता लाने के लिए राष्ट्रीय खेल विकास संहिता (नेशनल स्पोर्ट्स कोड) को मंजूरी प्रदान कर दी है। अब जल्द ही इसे प्रदेश में भी लागू कर दिया जाएगा। इस कोड में खेल संघों की पंजीकरण, इनकी मान्यता, पदाधिकारियों का कार्यकाल और मान्यता समाप्त करने संबंधी मानक तय किए गए हैं।
दरअसल, खेलों में पारदर्शिता लाने और वर्षों से खेल संघों पर काबिज पदाधिकारियों के एक छत्र राज को समाप्त करने के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय ने नेशनल स्पोर्ट्स कोड लागू किया था। राष्ट्रीय खेल संघों पर स्पोर्ट्स कोड लागू करने के बाद केंद्र ने सभी प्रदेश सरकारों को भी इसे लागू करने के निर्देश दिए थे। अब प्रदेश सरकार ने भी उत्तराखंड राज्य में गठित खेल संघों के लिए स्पोर्ट्स कोड तैयार कर इसे लागू कर दिया है।
इस स्पोर्ट्स कोड में खेल संघ के कार्य, किसी भी खेल संघ में पदाधिकारियों की तैनाती और उनका कार्यकाल निर्धारित किया गया है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि कोई भी व्यक्ति राज्य ओलंपिक संघ अथवा राज्य ओलंपिक संघ को छोड़ कर एक समय में अन्य किसी राज्य खेल संघ का पदाधिकारी नहीं रह सकता। कोई भी व्यक्ति टुकड़ों में अथवा लगातार तीन बार अध्यक्ष बन सकता है। सचिव और कोषाध्यक्ष लगातार कार्यकाल के लिए पद धारण कर सकता है। इसके बाद फिर से निर्वाचित होने के लिए उसे चार वर्ष का इंतजार करना पड़ेगा।
कोई भी सरकारी कर्मचारी बिना अनुमति के खेल संघ में निर्वाचित पद नहीं धारण करेगा। उसका कार्यकाल अधिकतम चार वर्ष का रहेगा। कार्यकाल की गणना खेल संघ में पूर्व में निर्वाचित पद के कार्यकाल को भी जोड़ा जाएगा। खेल विभाग और इसके नियंत्रणाधीन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी इन खेल संघों में पदाधिकारी नहीं बन सकेंगे। अध्यक्ष, महासचिव और कोषाध्यक्ष 70 साल का होने के बाद इन पदों पर नहीं बने रह सकेंगे। इसके अलावा स्पोर्ट्स कोड में राज्य में संघों की मान्यता के मानक भी तैयार किए गए हैं। राज्य में कुछ मसलों पर स्थिति नहीं की गई स्पष्ट प्रदेश के स्पोर्ट्स कोड में नेशनल कोड से कुछ भिन्नता है।
दरअसल, नेशनल कोड के मुताबिक खेल संघ में अध्यक्ष अधिकतम 12 वर्ष तक ही पदासीन रह सकता है। जबकि यहां तीन कार्यकाल का जिक्र है। प्रदेश के स्पोर्ट्स कोड में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि संघ का एक कार्यकाल कितने वर्ष का होगा। इसके अलावा केंद्र के स्पोर्ट्स कोड में यह स्पष्ट है कि किसी संघ में पदाधिकारी कार्यकाल पूरा होने के बाद दूसरे संघ में पदाधिकारी नहीं बन सकता। वहीं, राज्य के स्पोर्ट्स कोड में इस मसले पर चुप्पी साधी गई है।
एक होंगे खेल व युवा
कल्याण विभाग प्रदेश सरकार ने खेल एवं युवा कल्याण विभाग के एकीकरण पर हामी भर दी है। इस विभाग का नाम अब खेल तथा युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल विभाग होगा। दोनों विभागों के एक होने से केंद्रीय योजनाएं अब गति पकड़ सकेंगी। इसके लिए शीघ्र ही नया ढांचा बनाया जाएगा। इस बात का विशेष ख्याल रखा जाएगा कि दोनों विभागों को एक करने से किसी भी कर्मचारी को कोई नुकसान न हो। खेल मंत्री अरविंद पांडे का कहना है कि इससे शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में एक समान रूप से खेल के विकास में तेजी से कार्य किया जा सकेगा।यह भी पढ़ें: साउथ एशियन गेम्स में ऋषिकेश के अभिषेक रांगड़ को मिला बेस्ट फेयर प्ले अवार्ड
यह भी पढ़ें: एशियन गेम्स में देश को मेडल दिलाने में ओएनजीसी का भी योगदान
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।