वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी विमला पंत का निधन, हरिद्वार में हुआ अंतिम संस्कार
उत्तराखंड निर्माण आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाने वाली वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी विमला पंत का गुरुवार सुबह निधन हो गया।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sat, 29 Aug 2020 07:32 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। राज्य निर्माण आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाने वाली वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी विमला पंत का निधन हो गया। आंदोलनकारियों ने उनके निधन पर शोक जताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। उनका अंतिम संस्कार हरिद्वार में किया गया।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी रहे रामकृष्ण पंत की पत्नी विमला पंत (75) ने अपने केदारपुरम स्थित निवास पर अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार हरिद्वार में किया गया। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने बताया कि विमला देवी उत्तराखंड क्रांति दल से भी जुड़ी रहीं। उनके पति का आठ साल पहले मसूरी में निधन हो गया था। इसके बाद विमला पंत परिवार के साथ देहरादून आ गई थीं।वे अपने पीछे तीन बच्चों को छोड़ गईं। उन्होंने राज्य सरकार से उनके परिवार से किसी एक को नौकरी देने की मांग की है। वहीं, राज्य आंदोलनकारियों ने वेबिनार के माध्यम से विमला पंत को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर ओमी उनियाल, जगमोहन सिंह नेगी, रामलाल खंडूड़ी, शिवानंद चमोली, वेद कोठारी, मोहन खत्री, सतेंद्र भंडारी, प्रभात डंडरियाल, सुदेश सिंह, भानु रावत, कैलाश बिष्ट, जीतपाल आदि मौजूद रहे।
शहीद स्मारक का खाका खींचने से पहले आंदोलनकारियों से भी हो रायशुमारीऊधमसिंह नगर जिले के खटीमा में शहीद स्मारक स्थल के भावनात्मक मुद्दे पर राज्य आंदोलनकारियों की निगाहें प्रशासन की कार्रवाई पर टिक चुकी हैं। इस मुद्दे को लेकर विधायक पुष्कर सिंह धामी भी देहरादून में डटे हुए हैं। इधर, आंदोलनकारियों का कहना है कि स्मारक का खाका खींचने से पहले प्रमुख राज्य आंदोलनकारियों से रायशुमारी जरूर कर लें। दरअसल, 26 साल पूर्व राज्य आंदोलन के लिए संग्राम का बिगुल जो सीमांत से बजा था उसका लंबा स्वर्णिम इतिहास रहा।
यह भी पढ़ें: राज्य आंदोलनकारी त्रेपन सिंह चौहान का निधन, लंबे समय से थे बीमारअब वह समय नजदीक आ गया है जब आंदोलनकारियों और शहीद परिवारों की मांग पूरी होती दिख रही है। भले ही इससे पहले की सरकारों ने आश्वासन का झुनझुना थमाया था, लेकिन अब लोगों की उम्मीद जग गई है। क्योंकि क्षेत्रीय विधायक धामी इस मुद्दे पर गंभीर बने हुए हैं। दून में रहकर पूरी पैरवी में लगे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से सीमांत की भावनाओं की लंबी बात करने के बाद मुख्य सचिव से भी मिले। जिसके तत्काल बाद मामले में जिलाधिकारी को निर्देशित कर दिया।
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