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शासन के रवैये से राज्य कर्मचारी नाखुश, करेंगे चरणबद्ध आंदोलन

पिछले दिनों एक दिन के सामूहिक अवकाश से प्रदेश की पूरी व्यवस्था को हिला देने वाला कर्मचारी आंदोलन मंगलवार से फिर चरणबद्ध रूप में शुरू होने जा रहा है।

By BhanuEdited By: Updated: Mon, 11 Feb 2019 09:29 AM (IST)
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शासन के रवैये से राज्य कर्मचारी नाखुश, करेंगे चरणबद्ध आंदोलन
देहरादून, जेएनएन। पिछले दिनों एक दिन के सामूहिक अवकाश से प्रदेश की पूरी व्यवस्था को हिला देने वाला कर्मचारी आंदोलन मंगलवार से फिर चरणबद्ध रूप में शुरू होने जा रहा है। पहले चरण में बाहों में काली पट्टी बांधकर विरोध जताया जाएगा तो 24 फरवरी को डीएम के माध्यम से सीएम को ज्ञापन सौंपो कार्यक्रम होगा। 

कर्मचारियों ने साफ किया कि निर्धारित तिथि के भीतर यदि सरकार ने मांगों पर कार्रवाई नहीं की तो इसी दिन प्रदेशव्यापी महारैली की तिथि का भी एलान किया जाएगा। मांगों पर विचार नहीं होने से निराश उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति की ओर से चरणबद्ध आंदोलन की तिथियां निर्धारित की जा चुकी हैं।समिति के संयोजक ठाकुर प्रहलाद सिंह ने कहा कि कर्मचारी मुख्यमंत्री पर पूरा विश्वास करते हैं। मुख्यमंत्री पर विश्वास के कारण ही उन्होंने आंदोलन टालने का निर्णय लिया था। कहा कि शासन के अधिकारी मध्यस्तता में सकारात्मक भूमिका नहीं निभा रहे हैं और सीएम को सही जानकारी नहीं दे रहे हैं। इसीलिए कर्मचारी चाहते हैं कि मुख्यमंत्री उनके साथ सीधे संवाद करें, ताकि कोई भ्रम की स्थिति न रहे।

ये है आंदोलन की रूपरेखा

-12 व 13 फरवरी: दो दिन कर्मचारी बाहों में काली पïट्टी बांधकर सांकेतिक विरोध जताएंगे।

-15 फरवरी : सभी जनपद एवं शाखाओं में शाम साढ़े छह बजे कर्मचारी कैंडल मार्च निकालेंगे।

-24 फरवरी : सभी जनपद एवं शाखाओं में कर्मचारी जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे।

24 फरवरी : इसी दिन कोई ठोस आश्वासन न मिलने पर समिति के संयोजक मंडल द्वारा प्रदेशव्यापी महारैली की तिथि की घोषणा।

सात साल से पदोन्नति में आरक्षण का मामला लंबित

अनुसूचित जाति-जनजाति शिक्षक एसोसिएशन ने सात साल से लंबित पदोन्नति में आरक्षण का मामला उठाया। संगठन के प्रांतीय महामंत्री जीतेंद्र सिंह बुटोइया ने प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि वर्ष 2012 में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर इरशाद आयोग गठित किया गया था, जिसकी रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई।

उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट व केंद्र सरकार के निर्देश के बावजूद प्रदेश सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। जिससे इस वर्ग का प्रतिनिधित्व कम हो गया है। वर्तमान विस सत्र में इस बारे में सरकार निर्णय ले। उन्होंने प्रत्येक विकासखंड में अनुसूचित जाति व जनजाति की समस्याओं एवं विवादों के निराकरण के लिए समिति गठित करने का शासनादेश जारी करने पर मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। 

कहा कि उच्च शिक्षा में 13 बिंदुओं के रोस्टर का एसोसिएशन विरोध करती है और पूर्व की भांति 200 बिंदुओं पर वर्तमान सत्र में अध्यादेश पारित करने की मांग करती है। साथ ही प्रदेश के कनिष्ठ एवं वरिष्ठ शिक्षकों की वेतन विसंगति को दूर करने के सरकार आदेश जारी करे। ताकि वरिष्ठ शिक्षक को भी कनिष्ठ शिक्षक के बराबर वेतन मिल सके। 

कहा कि एसोसिएशन की ओर से पिछले वर्ष कई पत्र राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री व राज्यपाल को प्रेषित किए गए थे, लेकिन पदोन्नति में आरक्षण व बैकलॉग को भरने पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिससे आरक्षित वर्ग में रोष है। इस मौके पर संयुक्त मंत्री विजय बैरवाण, कार्यालय मंत्री राकेश कुमार, जिला अध्यक्ष शिवलाल रड़वाल, जिला महामंत्री वीरेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।

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