गंगा की तरह ही स्वच्छ और निर्मल होगी मंदाकिनी, मांगा गया इतना बजट; जानिए
राष्ट्रीय नदी गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने की कोशिशों में जुटी सरकार ने अब गंगा की सहायक नदियों पर भी ध्यान केंद्रित किया है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 21 Oct 2019 08:17 PM (IST)
देहरादून, केदार दत्त। देवभूमि में राष्ट्रीय नदी गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने की कोशिशों में जुटी सरकार ने अब गंगा की सहायक नदियों पर भी ध्यान केंद्रित किया है। इस कड़ी में गंगा की मुख्य धाराओं में से एक मंदाकिनी नदी को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में कसरत शुरू की गई है। इसके लिए मंदाकिनी के किनारे स्थित केदारनाथ, गौरीकुंड और अगस्त्यमुनि में सीवरेज के निस्तारण को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के निर्माण के साथ ही गंदे नालों को टैप करने की योजना है। इस सिलसिले में सरकार ने नमामि गंगे परियोजना के तहत 113 करोड़ का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है।
केंद्र की मदद से राज्य में चल रही नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा को उसके उद्गम स्थल गोमुख से लेकर हरिद्वार तक स्वच्छ निर्मल बनाने को एसटीपी निर्माण व नालों की टैपिंग की जा रही है। इन प्रयासों के बेहतर नतीजे सामने आए हैं। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर ही गौर करें तो गोमुख से लेकर ऋषिकेश तक गंगा का जल उत्तम गुणवत्ता का है। केवल ऋषिकेश से लेकर हरिद्वार तक स्थिति कुछ खराब है, मगर 2020 तक इसे भी दुरुस्त करा लेेने का दावा है।
इससे उत्साहित राज्य सरकार ने अब गंगा की सहायक नदियों को भी साफ-सुथरा बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। अपर सचिव और कार्यक्रम निदेशक (नमामि गंगे) उदयराज सिंह के मुताबिक इस कड़ी में मंदाकिनी नदी के लिए प्रस्ताव नमामि गंगे के तहत केंद्र सरकार को भेजा गया है। इसके तहत केदारनाथधाम, गौरीकुंड और अगस्त्यमुनि में एसटीपी के निर्माण के साथ ही नालों की टैपिंग की जाएगी, जिससे गंदगी मंदाकिनी नदी में जाने से रोकी जा सके। इन कार्यों के लिए 113 करोड़ के प्रस्ताव केंद्र को भेजे गए हैं। केदारनाथ और अगस्त्यमुनि की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी भेजी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद मंदाकिनी नदी के किनारे के इन तीनों स्थानों पर कार्य शुरू कराए जाएंगे।
ये मांगा है बजट स्थान, राशि (करोड़ रुपये में)
केदारनाथ, 61 गौरीकुंड, 25 अगस्त्यमुनि, 27 यह भी पढ़ें: शीशमबाड़ा कूड़ा निस्तारण प्लांट के गंदे पानी से दूषित हो रही यमुना नदी
गौरीकुंड में बायोगैस प्लांट केदारनाथ यात्रा के पहले पड़ाव गौरीकुंड में यात्रा काल के दौरान घोड़ा पड़ाव में बायोगैस संयंत्र भी प्रस्तावित है। इस संयंत्र में घोड़ों की लीद का उपयोग बायोगैस बनाने में किया जाएगा। नमामि गंगे परियोजना में राज्य सरकार ने गौरीकुंड का जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें पांच करोड़ की राशि इस प्लांट के लिए प्रस्तावित की गई है। यह भी पढ़ें: रिस्पना के पुनर्जीवीकरण पर सवाल, गंदा पानी सीवर लाइन में डालेंगे और लाइन नदी में
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