वन भूमि हस्तांतरण मामले को लेकर केंद्र की शरण में उत्तराखंड
चारधाम को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी ऑल वेदर रोड परियोजना को लेकर वन भूमि हस्तांतरण के मामले में उत्तराखंड ने केंद्र की शरण ली है।
देहरादून, [केदार दत्त]: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार चारधाम को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी ऑल वेदर रोड परियोजना के लिए वन भूमि हस्तांतरण के मसले पर उत्तराखंड ने केंद्र की शरण ली है। परियोजना की जद में आ रहे पेड़ों के मद्देनजर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में चल रहे मामले को देखते हुए राज्य सरकार ने वन भूमि हस्तांतरण संबंधी चार प्रस्तावों पर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से राय मांगी है। बताया गया कि वहां से दिशा-निर्देश मिलने के बाद ही इस कड़ी में आगे कदम बढ़ाया जाएगा।
12 हजार करोड़ की लागत वाली करीब 900 किलोमीटर लंबी ऑल वेदर रोड परियोजना के लिए वन भूमि हस्तांतरण से जुड़े 30 प्रस्ताव आए थे। 26 प्रस्तावों को पूर्व में मंजूरी मिलने के साथ ही वहां सड़क के लिए कटान का कार्य भी प्रारंभ हो चुका है, लेकिन चार प्रस्ताव अभी लटके हुए हैं। इनमें इको सेंसेटिव जोन की जद में आ रहे गंगोत्री-धरासू क्षेत्र के अलावा श्यामपुर (ऋषिकेश), लामबगड़ और चिन्यालीसौड़ क्षेत्र सम्मिलित हैं।
इस बीच परियोजना की जद में आ रही वन भूमि में पेड़ कटान का मसला एनजीटी में पहुंचने के बाद अब राज्य सरकार फूंक -फूूंककर कदम बढ़ा रही है। परियोजना के लंबित चार प्रस्तावों को लेकर इको सेंसेटिव जोन, हाथी गलियारा, मलबा निस्तारण आदि से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी होनी हैं। बदली परिस्थितियों में इस सिलसिले में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एमओईएफ) से राय मांगी गई है।
भूमि संरक्षण निदेशालय, उत्तराखंड के नोडल अधिकारी एवं अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक अनूप मलिक के अनुसार एमओईएफ से इन प्रस्तावों पर गाइडलाइन मांगी गई है। क्योंकि, मामला एनजीटी में चल रहा है तो ऐसे में केंद्र की गाइडलाइन के आधार पर आगे बढ़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि वन भूमि हस्तांतरण से जुड़े चारों प्रस्तावों पर सैद्धांतिक स्वीकृति और फिर अंतिम मंजूरी मिलने के बाद एनपीवी (नेट प्रेजेंट वेल्यू) और सीए (क्षतिपूरक वनीकरण) की राशि जमा होने पर इनमें कार्य शुरू किया जा सकेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही एमओईएफ से गाइडलाइन आ जाएगी।
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