Uttarakhand News: 64 हजार करोड़ से सुधारा जा रहा देश का स्वास्थ्य ढांचा- मनसुख मांडविया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद की 15वीं वार्षिक बैठक स्वास्थ्य चिंतन शिविर के रूप में उत्तराखंड में शुक्रवार से शुरू हो गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा मनसुख मांडविया का कहना है कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए 64 हजार करोड़ की लागत से आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन शुरू किया गया है।
By Vikas gusainEdited By: Nirmala BohraUpdated: Fri, 14 Jul 2023 07:32 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद की 15वीं वार्षिक बैठक स्वास्थ्य चिंतन शिविर के रूप में उत्तराखंड में शुक्रवार से शुरू हो गई।
दो दिवसीय इस शिविर का शुभारंभ केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा मनसुख मांडविया ने किया।उनके साथ शिविर में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री डा भारती पवार व सांसद प्रो एसपीएस बघेल भी देहरादून आए हैं। इसके अलावा विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के देहरादून पहुंचने का सिलसिला जारी है।
उत्तराखंड में पहली बार केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद की वार्षिक बैठक देहरादून में हो रही है। इसमें भाग लेने के लिए देश के विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री देहरादून पहुंच रहे हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा मनसुख मांडविया का कहना है कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए 64 हजार करोड़ की लागत से आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन शुरू किया गया है। इसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर प्रमुख अस्पतालों के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि देश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य शिक्षा में स्नातक (यूजी) व परास्तनक (पीजी) की सीटों की संख्या को अगले तीन साल में बराबर कर दिया जाएगा। इससे जितने छात्र एमबीबीएस करेंगे उतने ही, छात्र पास आउट होकर विशेषज्ञ कोर्स भी कर सकेंगे। डिप्लोमेट नेशनल बोर्ड (डीएनबी) कोर्स को सरकारी के साथ ही निजी अस्पतालों में भी शुरू किया जाएगा।
शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा देहरादून में आयोजित स्वास्थ्य चिंतन शिविर में पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा मांडविया ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हिमालयन रेंज के पहाड़ी राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए बड़ी चुनौती है। इसके लिए इन राज्यों में डिजिटल व ड्रोन तकनीक का प्रयोग आवश्यक है। एम्स ऋषिकेश ने टेलीमेडिसिन सेवाएं ओर ड्रोन के जरिये मरीज का सैंपल व दवा पहुंचाने का पहला प्रयोग किया है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के स्वास्थ्य का माडल उत्तराखंड में लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि यहां की भौगोलिक परिस्थितियां काफी भिन्न हैं। यहां एक ही दिन में किसी क्षेत्र में कहीं बाढ़ है, कहीं बर्फबारी है तो कहीं बेहद गर्मी है। जरूरी है कि इसके लिए खुद का माडल बनाया जाए, जो हम बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीते नौ वर्षों में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में काफी बदलाव हुए हैं। जहां पहले 54 हजार एमबीबीएस की सीट थीं, अब 1.07 लाख हो गई हैं। पहले 350 मेडिकल कालेज थे, अब इनकी संख्या 700 हो गई है।
नेशनल मेडिकल कमीशन ने 54 नए हास्पिटल को मान्यता दी है। निस्वार्थ सेवा भाव से चलने वाले अस्पतालों को मेडिकल कालेज के रूप में बदल रहे हैं। देश में अभी 70 हजार से अधिक युवा अन्य देशों में चिकित्सा की पढ़ाई करने जा रहे हैं। यदि देश में ही सुविधाएं विकसित की जाएं तो युवा बाहर क्यों जाएंगे। इसलिए यहां मेडिकल कालेजों की संख्या बढ़ाई जा रही है। अभी विशेषज्ञों की जो कमी है, वह धीरे-धीरे पूरी हो जाएगी।
उत्तराखंड के संबंध में उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 400 करोड़ रुपये दिए गए हैं। चारधाम यात्रा पर जितने लोग आए, उससे उत्तराखंड की आर्थिकी बढ़ाने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि समेकित स्वास्थ्य ढांचा खड़ा करने में जितनी आवश्यकता होगी, उतना सहयोग किया जाएगा।
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