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आईजी की गाड़ी में सवार पुलिसकर्मियों से लूट की रकम बरामद नहीं कर पाई एसटीएफ

आइजी बनकर प्रॉपर्टी डीलर से लूटी गई मोटी रकम का आठ दिन बाद भी पुलिस सुराग नहीं लगा पाई है। यह हाल तब है पीड़ित प्रॉपर्टी डीलर ने आरोपित पुलिस कर्मियों की पहचान कर ली है।

By Edited By: Updated: Sat, 13 Apr 2019 08:23 PM (IST)
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आईजी की गाड़ी में सवार पुलिसकर्मियों से लूट की रकम बरामद नहीं कर पाई एसटीएफ
देहरादून, जेएनएन। आइजी बनकर प्रॉपर्टी डीलर से लूटी गई मोटी रकम का आठ दिन बाद भी पुलिस सुराग नहीं लगा पाई है। यह हाल तब है जब अधिकारियों के समक्ष हुई शिनाख्त परेड में पीड़ित प्रॉपर्टी डीलर ने आरोपित पुलिस कर्मियों की न सिर्फ पहचान कर ली है, बल्कि सीसीटीवी फुटेज से भी यह बात सौ फीसद पुख्ता हो चुकी है कि वारदात में आइजी गढ़वाल की सरकारी स्कॉर्पियो का प्रयोग किया गया था। फिर भी रुपयों की बरामदगी न होना और वारदात में प्रयुक्त गाड़ी को केस प्रॉपर्टी के तौर पर कब्जे में न लेने पर एक साथ कई सवाल खड़े हो रहे हैं। 

फिलहाल अब इस हाई प्रोफाइल क्राइम की विवेचना उत्तराखंड एसटीएफ कर रही है। प्रॉपर्टी डीलर को लूट कर देहरादून में तैनात तीन पुलिस कर्मियों ने उत्तराखंड पुलिस के माथे पर जो कलंक लगाया है, उसे धुल पाना पुलिस के लिए आसान नहीं होगा। 

प्रारंभिक जांच में यह बात साबित हो चुकी है कि वारदात हुई और इसमें तीन पुलिसकर्मी शामिल हैं। इन तीनों को निलंबित भी कर दिया गया है, लेकिन जो सबसे बड़ा सवाल और एसटीएफ की सबसे बड़ी चुनौती साबित होने वाला है। वह लूट की रकम को बरामद करना है। अब तक इस बारे में कोई सुराग नहीं मिले हैं कि रकम कहां है और किसके पास है। इसका सवाल तलाशने में मामले में अभियोग पंजीकृत करने वाली डालनवाला कोतवाली पुलिस भी कोई ठोस जानकारी जुटाने नाकाम रही है। 

उसने आरोपितों के साथ-साथ तहरीर में बताए गए संदिग्ध अनुपम शर्मा से भी पूछताछ की थी। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी था और पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार को इस प्रकरण की विवेचना एसटीएफ को सौंपनी पड़ी। एसटीएफ के क्षेत्राधिकारी कैलाश पंवार को जांच अधिकारी नामित किया गया है, जबकि अपर पुलिस अधीक्षक स्वतंत्र कुमार विवेचना की निगरानी करेंगे। 

क्राइम सीन का होगा रीक्रिएशन 

एसटीएफ जल्द ही क्राइम सीन को रीक्रिएट कर रकम का पता लगाने की कोशिश करेगी। साथ ही यह भी पता लगाएगी कि तीनों पुलिसकर्मी डब्ल्यूआइसी तक कैसे और कब पहुंचे। वहां कितनी देर रहे। प्रापर्टी डीलर के वहां से निकलने के बाद पीछा कहां से करना शुरू किया गया। होटल मधुबन के सामने लूट की वारदात को अंजाम देने के बाद तीनों पुलिसकर्मी कहां गए। प्रापर्टी डीलर से लूटे गए रुपयों से भरे बैग को कहां छिपाया। 

एसटीएफ ने कब्जे में लिए दस्तावेज 

एसटीएफ ने मुकदमे से जुड़े सभी दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए। इसमें एफआइआर कॉपी के साथ डालनवाला कोतवाली पुलिस की ओर से अब तक की गई विवेचना और सीसीटीवी फुटेज आदि शामिल है। हालांकि एसटीएफ इस प्रकरण की जांच नए सिरे से अपनी तरह से करेगी। 

आरोपितों के दर्ज किए बयान 

डीआइजी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल ने बताया कि मामले में जांच अधिकारी ने आरोपित पुलिस कर्मियों के बयान ले लिए हैं। हालांकि अभी लूटकांड के संदिग्ध अनुपम शर्मा से संपर्क नहीं हो पाया है। उसकी भी तलाश की जा रही है। वहीं, पुलिस ने रकम बरामदगी को लेकर कुछ स्थानों पर दबिश भी दी, लेकिन कोई खास सुराग नहीं मिला। 

तकनीकी साक्ष्य जुटाना प्राथमिकता 

डीआइजी ने बताया कि सबसे पहले क्राइम रूट पर डब्ल्यूआइसी से लेकर होटल मधुबन और मधुबन से लेकर स्कार्पियो के वापस रेंज कार्यालय पहुंचने तक के रास्ते पर सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकलवाई जा रही है। कुछ फुटेज कब्जे में ले भी लिए हैं, जिसमें स्कॉर्पियो में तीनों पुलिसकर्मी दिख रहे हैं। 

खुले घूम रहे 'ऊंची' पहुंच वाले आरोपित 

डीआइजी ने कहा कि आरोपित पुलिसकर्मी कितनी भी पहुंच वाले क्यों न हों, साक्ष्य मिलने के बाद उनकी गिरफ्तारी तय है। हालांकि प्रारंभिक जांच में बहुत कुछ कहानी साफ हो चुकी है, लेकिन बिना तकनीकी साक्ष्य जुटाए कार्रवाई करना जल्दबाजी होगी। बता दें कि आरोपित तीनों पुलिसकर्मी अघोषित तौर पर पुलिस की निगरानी में हैं। उन्हें पुलिस लाइन से बाहर जाने से लेकर सभी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। 

एक करोड़ थी लूट की रकम! 

चर्चाओं पर यकीन करें तो प्रॉपर्टी डीलर से लूटी गई रकम एक करोड़ रुपये है। वारदात की साजिश में शामिल में एक किरदार ने इसका खुलासा तो कर दिया है, लेकिन डीआइजी एसटीएफ ने बताया कि उनका अभी अनुपम शर्मा से संपर्क नहीं हो पाया है। डालनवाला कोतवाली से जानकारी मांगी है कि क्या उन्होंने अनुपम के बयान लिए हैं। यदि उसने कोई बयान दिया है तो उसका भी क्रॉस वेरीफिकेशन किया जाएगा। 

एनएच-74 के विवेचक रहे स्वतंत्र 

एएसपी स्वतंत्र कुमार करोड़ों के एनएच-74 घोटाले की जांच कर चुके हैं। इसी तरह सीओ कैलाश पंवार की छवि भी ईमानदार और निष्पक्ष जांच करने वाले अफसर की है। यही वजह है कि दोनों अफसरों को यह हाईप्रोफाइल केस सौंपा गया है। 

यह है घटनाक्रम 

मुकदमे के वादी अनुरोध पंवार देहरादून के जानेमाने प्रॉपर्टी डीलर हैं। उन्हें बीते चार अप्रैल की रात अनुपम शर्मा नाम के व्यक्ति ने राजपुर रोड स्थित डब्ल्यूआइसी में पेमेंट के लिए बुलाया। अनुरोध वहां पहुंचे और अनुपम और वहां के मैनेजर अर्जुन पंवार से मिले। इस बीच उनके परिचित अनुपम शर्मा रकम से भरा बैग उनके पास लेकर आ गए। अर्जुन बैग लेकर अनुरोध को पार्किंग में खड़ी उनकी कार तक छोड़ने गया। 

अनुरोध कार लेकर वहां से निकल पड़े। रात दस बजे के करीब होटल मधुवन के पास उन्हें सफेद रंग की स्कॉर्पियों से पीछा कर रहे पुलिसकर्मियों ने रोक लिया और चुनाव में चेकिंग का हवाला देकर रकम लूट ली। इसके बाद अनुरोध को डरा-धमका कर भगा दिया। 

अनुरोध ने अगले दिन यानी पांच अप्रैल को इसकी पुलिस के उच्चाधिकारियों से शिकायत की। पांच दिन की प्रारंभिक जांच के बाद मामले में डालनवाला कोतवाली में मुकदमा पंजीकृत किया गया।

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