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उत्तराखंड में इसबार तबादलों का शून्य सत्र होने की संभावना प्रबल, जानिए वजह

इस वर्ष तबादलों के लिहाज से शून्य सत्र घोषित होने के पूरे आसार बन गए हैं। कार्मिक विभाग ने मौजूदा परिस्थितियों का हवाला देते हुए इसे शून्य सत्र घोषित करने की सिफारिश की है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 13 May 2020 01:47 PM (IST)
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उत्तराखंड में इसबार तबादलों का शून्य सत्र होने की संभावना प्रबल, जानिए वजह
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में इस वर्ष तबादलों के लिहाज से शून्य सत्र घोषित होने के पूरे आसार बन गए हैं। इस संबंध में कार्मिक विभाग ने मौजूदा परिस्थितियों का हवाला देते हुए इसे शून्य सत्र घोषित करने की सिफारिश की है। संबंधित पत्रावली मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच गई हैं। अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ही इस पर अंतिम निर्णय लेंगे।

उत्तराखंड में तबादलों के लिए प्रक्रिया नियमानुसार मार्च माह में शुरू हो जाती है। 31 मार्च तक विभागीय स्तर पर कार्मिकों का चिह्नीकरण करना होता है। एक अप्रैल को शासन, विभाग, मंडल और जिला स्तर पर स्थानांतरण समितियों का गठन हो जाता है। 15 अप्रैल तक प्रत्येक संवर्ग के सुगम व दुर्गम क्षेत्र के कार्यस्थल, पात्र कर्मचारियों व उपलब्ध एवं संभावित रिक्तियों की सूची वेबसाइट पर डाल दी जाती है।

20 अप्रैल तक अनिवार्य स्थानांतरण के लिए पात्र कार्मिकों से विकल्प ले लिए जाते हैं। अनुरोध के आधार पर स्थानांतरण के लिए आवेदन को 30 अप्रैल तक की तिथि तय है। सभी आवेदन पत्र 15 मई तक जमा हो जाते हैं। 25 मई से पांच जून तक स्थानांतरण समिति की बैठक होती है और 10 जून तक तबादला आदेश जारी हो जाते हैं। इस वर्ष मई माह लगभग आधा गुजर चुका है और तबादला प्रक्रिया अभी शुरू भी नहीं हो पाई है। 

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तबादलों का समय भी अब निकलता जा रहा है। इतना ही नहीं प्रदेश में अभी कोरोना से जंग भी चल रही है। 17 मई तक लॉकडाउन है। 50 फीसद स्टाफ पर काम चल रहा है और स्कूल बंद हैं। ऐसे में प्रक्रिया शुरू होने में ही काफी वक्त लग जाएगा। इतना ही नहीं कोरोना महामारी की रोकथाम को जूझ रहे सरकारी काॢमकों का तबादला करने से व्यवस्थाएं गड़बड़ा सकती हैं। ऐेसे में अब कार्मिक विभाग ने इस सत्र को शून्य सत्र घोषित करने के संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय को प्रस्ताव भेज दिया है।

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