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छात्र राजनीति को दिया जाना चाहिए बढ़ावा, इसके जरिये ही सीखते राजनीति का ककहरा

सरकार ने लिंगदोह कमेटी की कुछ सिफारिशों का पुनर्गठन किया है। छात्र नेताओं का कहना है कि एक तिथि को सभी कॉलेजों में चुनाव करवाना छात्र राजनीति को बढ़ावा देना नहीं माना जा सकता।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 03 Sep 2018 09:48 AM (IST)
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छात्र राजनीति को दिया जाना चाहिए बढ़ावा, इसके जरिये ही सीखते राजनीति का ककहरा
देहरादून, [जेएनएन]: राजनीति की पाठशाला 'छात्र संसद' का अवमूल्यन चिंता का कारण बनता जा रहा है। प्रदेश की छात्र राजनीति में अहम स्थान रखने वाले डीएवी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व छात्र नेता ऐसा ही मानते हैं।

उनका मानना है कि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें देश में कुछ सालों से पूरी तरह प्रभावी हैं। प्रदेश सरकार ने इस वर्ष कुछ सिफारिशों का पुनर्गठन किया है। छात्र नेताओं का कहना है कि एक तिथि को सभी कॉलेजों में चुनाव करवाना छात्र राजनीति को बढ़ावा देना नहीं माना जा सकता है। एक बार चुनाव हारने वाले को दोबारा मौका न मिलना भी छात्र राजनीति के लिए बेहतर नहीं कहा जा सकता है। कई मुद्दों पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) व भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) के वरिष्ठ नेताओं ने खुलकर अपने विचार रखे।

छात्र राजनीति मजबूत हो : श्याम सिंह

डीएवी महाविद्यालय की छात्र राजनीति में सक्रिय और वर्ष 2011 में अध्यक्ष पद के दावेदार रहे एनएसयूआइ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्याम सिंह चौहान का मानना है कि छात्र राजनीति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। क्योंकि सभी राजनैतिक दलों में मौजूद अग्रणी नेताओं ने छात्रसंघ के जरिये ही राजनीति का ककहरा सीखा था। लेकिन, अब छात्र राजनीति को सीमित किया जा है, जो भविष्य के लिए बेहतर संकेत नहीं हैं। छात्र संगठन भी ऐसे युवाओं को उम्मीदवार बना रहे हैं, जिन्हें उस कॉलेज एवं विवि के बारे में कोई जानकारी नहीं है। चुनाव जीतकर ऐसे नेता छात्र हितों के लिए आखिर क्या कर पाएंगे? मेधावी एवं विचारवान छात्र-छात्राओं को चुनाव में मौका दिया जाना चाहिए। अन्यथा छात्र राजनीति का ग्राफ साल-दर साल गिरता जाएगा और छात्रसंघ चुनाव एक औपचारिकता मात्र रह जाएंगे।

छात्र राजनीति हमारे लिए सेवा: राहुल

डीएवी महाविद्यालय में वर्ष 2017-18 में अध्यक्ष रहे राहुल कुमार ने कहा कि छात्र राजनीति केवल सेवा है। सेवा भी ऐसी, जिसमें दूरदराज के ग्रामीण इलाकों से बेहतर शिक्षा के सपने के लिए देहरादून आए छात्रों की मदद की जा सके। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से छात्र राजनीति में पहचान बनाने वाले राहुल कहते हैं कि वो छात्र राजनीति को बढ़ावा देने के पक्ष में हैं। महाविद्यालय और विवि परिसरों में बेहद कम उम्र के कई छात्र-छात्राओं में बेहतर समझ है। उन्हें मौका मिलना चाहिए। छात्र नेता लोकसभा, विधानसभा एवं स्थानीय निकाय चुनावों में बैनर पोस्टर लगाने तक ही सीमित नहीं होने चाहिए। 'युवा संसद' जब कॉलेज व विवि के मुद्दों पर चर्चा, मंथन एवं निर्णय लेगी तभी वह देश की राजनीति की ओर रुख कर पाएंगे।

सभी चुनें-सही चुनें

  • डॉ.ओपी कुलश्रेष्ठ (सेवानिवृत्त, प्राचार्य, डीबीएस) का कहना है कि छात्र संघ एक प्रकार से छात्र संसद है। जिसमें छात्रों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि पहुंचते हैं। छात्र संसद में विचारवान एवं योग्य छात्र यदि चुनकर आएंगे तो वह छात्र हितों को बेहतर ढंग से कॉलेज एवं विवि के समक्ष उठाएंगे। इसलिए सभी छात्रों को मतदान करना चाहिए।
  • डॉ. सविता मोहन (सेवानिवृत्त, उच्च शिक्षा प्रभारी, निदेशक) का कहना है कि छात्र संघ चुनाव सकारात्मकता के लिए होने चाहिए। छात्र राजनीति में हिंसा की कोई जगह नहीं है। छात्र राजनीति का उद्देश्य छात्र हितों के मुद्दों को संबद्ध विवि एवं सरकार के समक्ष उठाना है। हड़ताल एवं विरोध रैली न केवल कॉलेज के वातावरण को खराब करती है, इससे मेधावी छात्रों के हित भी प्रभावित होते हैं।
  • डॉ.राकेश रयाल (पीआरओ, यूओयू) का कहना है कि उच्च शिक्षा में गुणवत्ता को लेकर महाविद्यालय से लेकर विवि स्तर पर समग्र प्रयास चल रहे हैं। यही गुणवत्ता छात्र संघ चुनाव में भी दिखाई देनी चाहिए तभी छात्रों की आवाज बुलंद हो पाएगी। छात्र नेता योग्य विद्यार्थी बनें। हड़ताल एवं रैली के विशेषज्ञ छात्र नेताओं को मौका नहीं मिलना चाहिए। छात्र अवश्य मतदान करें।
पुराने मुद्दों के साथ नए चेहरों की जोर-आजमाइश

छात्र संघ चुनाव का बिगुल बज चुका है और सियासत की वैतरणी पार करने के लिए दावेदार नए-नए हथकंडे अपनाने में जुट गए हैं। एमकेपी महाविद्यालय में भी छात्र संघ चुनाव के कुछ ऐसे ही रंग नजर आ रहे हैं, जहां नए चेहरे नए जोश के साथ जोर आजमाइश में जुटे हैं। लेकिन, एक चीज जो नहीं बदली है, वह है मुद्दे। मुद्दों की बात करें तो कॉलेज में उचित पार्किंग व्यवस्था से लेकर फैकल्टी और लाइब्रेरी में किताबों की कमी, कैंटीन की व्यवस्था आदि मुद्दे एक बार फिर हावी होते दिख रहे हैं।

सेमेस्टर प्रणाली छात्राओं के हित में नहीं: चीनू चौहान एबीवीपी की ओर से अध्यक्ष पद पर बीए तृतीय वर्ष की चीनू चौहान मैदान में हैं। चीनू सेमेस्टर प्रणाली के खिलाफ हैं और इसे बदलने की वकालत करती हैं। उनका कहना है कि सेमेस्टर प्रणाली के चलते कई छात्राएं प्रवेश लेने से वंचित रह जाती हैं। इसलिए इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। वहीं कॉलेज में पार्किंग और शिक्षकों की कमी भी उनका एक प्रमुख मुद्दा है। चीनू भविष्य में समाजसेवा के क्षेत्र में जाना चाहती हैं।

छात्र राजनीति के जरिये वह इसकी शुरुआत करने की कोशिश में हैं। छात्राओं को मिले आत्मरक्षा का प्रशिक्षण: निवेदिता एनएसयूआइ से अध्यक्ष पद की दावेदार निवेदिता राज बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं। चुनाव के मुद्दों के बारे में पूछने पर वो कई समस्याएं गिनाने लगती हैं। कहना है कि वह छात्राओं के अधिकारों के लिए हमेशा आगे रहेंगी। वह चाहती हैं कि ऐसी व्यवस्था बने कि छात्राओं को कॉलेज में आत्मरक्षा का प्रशिक्षण मिल सके। निवेदिता कहती हैं कि अगर वह अध्यक्ष पद पर चुनी जाती हैं तो वह शिक्षकों की कमी, पार्किंग, कैंटीन, लाइब्रेरी में पुस्तकों की कमी इन पर सबसे पहले काम करेंगी। कॉलेज परिसर की जर्जर इमारतों के पुनर्निमाण और फर्नीचर आदि की कमी को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। निवेदिता राजनीति में ही अपना भविष्य देखती हैं।

छात्र संघ प्रत्याशी घर-घर साध रहे संपर्क

छात्र संघ चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद प्रत्याशियों ने भी प्रचार अभियान को गति दे दी है। रविवार को राजकीय अवकाश होने के चलते अधिकांश प्रत्याशियों ने घर-घर संपर्क साध कर अपने पक्ष में वोट मांगे। इसके साथ ही प्रत्याशी सोशल मीडिया पर अपनी प्राथमिकताओं को गिनाने का अभियान भी चला रहे हैं। रविवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बागी गुट के प्रत्याशियों ने आधा दर्जन से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर अपने पक्ष में प्रचार किया। दरअसल, पछवादून के एकमात्र उच्च शिक्षा के केंद्र वीर शहीद केसरी चंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में जौनसार-बावर, पछवादून सहित हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले व उत्तर प्रदेश की बेहट तहसील के युवा शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। ऐसे में तीन हजार के करीब की छात्र संख्या वाले इस महाविद्यालय में हर वर्ष छात्र संघ चुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिलता है। यहां प्रमुख तौर पर हर वर्ष आर्यन छात्र संगठन व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बीच ही मुकाबला रहा है। लेकिन, इस बार अभाविप में चुनाव से ऐन पहले हुई बड़ी टूट व गत वर्ष के छात्र संघ चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन दमदार उपस्थिति से मुकाबले को त्रिकोणीय होने की संभावना बनी हुई है। इसके साथ ही गत वर्ष के छात्र संघ चुनाव में सामने आए सत्यम ग्रुप व हाल ही में गठित युवा केसरी छात्र संगठन भी प्रचार अभियान को धार देनी शुरु कर दी है। रविवार को अभाविप के बागी गुट ने ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर जनसंपर्क अभियान चलाकर ग्रामीण छात्रों को अपने पक्ष में जोड़ने की कोशिश की। अभियान में निवर्तमान छात्र संघ अध्यक्ष भाग्यश्री, पूर्व अध्यक्ष प्रेमचंद्र नौटियाल, शाहरूख, मोहित जैन, भजराम शर्मा आदि शामिल रहे।

विद्यार्थी परिषद की जीत तो भाजयुमो ने कसी कमर

भाजपा युवा मोर्चा छात्रसंघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की मदद करेगा। इसके लिए युवा मोर्चा के पदाधिकारियों को परिषद की जीत दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

भाजपा महानगर कार्यालय में रविवार को हुई बैठक में राज्य आंदोलन के दौरान मसूरी गोलीकांड को याद कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर भाजपा युवा मोर्चा ने डीएवी, डीबीएस समेत महानगर के अन्य कॉलेजों में होने वाले छात्रसंघ चुनाव पर चर्चा की। महानगर अध्यक्ष विनय गोयल ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को चुनाव में मार्गदर्शन कराने की जिम्मेदारी युवा मोर्चा की है। ऐसे में मोर्चा परिषद के उम्मीदवारों को जीत दिलाने का भरसक प्रयास करें। इसके लिए युवा मोर्चा के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई। बैठक में प्रदेश मंत्री सुनील उनियाल गामा, अनिल नंदा, हरीश डोरा, श्याम पंत, राजेश रावत, अनमोल डोभाल, प्रशांत डोभाल आदि मौजूद रहे। 

कांग्रेस का एनएसयूआइ नेताओं के साथ मंथन

छात्र संघ चुनाव को लेकर एनएसयूआइ नेताओं ने रविवार को कांग्रेस भवन में वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना की अध्यक्षता में चुनावी रणनीति पर मंथन किया। धस्माना ने एनएसयूआइ पदाधिकारियों को कहा कि संगठन को चुनाव छात्रों, विवि और महाविद्यालय में शैक्षणिक मुद्दों पर लडऩा चाहिए। कहा कि छात्र राजनीति को रचनात्मक मुद्दों पर केंद्रित कर अगर चुनाव लड़ा जाएगा तो सफलता अवश्य मिलेगी।

एनएसयूआइ के राष्ट्रीय सचिव और उत्तराखंड प्रभारी निखिल काम्बले ने कहा कि इस वर्ष छात्रसंघ चुनावों में एनएसयूआइ डीएवी महाविद्यालय समेत सभी परिसरों में संगठित रूप से चुनाव में उतर रही है। प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी ने कहा कि एनएसयूआइ प्रदेशभर में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए मुस्तैद है। बैठक में महानगर कांग्रेस अध्यक्ष लालचंद शर्मा, त्रिलोक सिंह सजवाण, महेश जोशी, एनएसयूआइ के जिलाध्यक्ष सौरभ ममगाईं, ललित भद्री आदि उपस्थित रहे।

डीएवी में दाखिले का अंतिम दिन

डीएवी महाविद्यालय जन्माष्टमी के अवकाश के दौरान सोमवार को भी खुला रहेगा। क्योंकि छात्र संघ चुनाव से पूर्व दाखिले का अंतिम दिन है। मुख्य चुनाव अधिकारी डॉ. डीके त्यागी ने बताया कि सोमवार को बीए, बीएससी एवं बीकॉम तृतीय एवं पांचवें सेमेस्टर के दाखिले होंगे, जबकि एमए, एमएससी एवं एमकॉम में तृतीय सेमेस्टर के दाखिले लिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि महाविद्यालय में करीब 12550 छात्र-छात्राएं हैं। जिनमें से करीब आठ हजार छात्रों की दाखिला प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। यह छात्र मतदान कर सकेंगे। कुछ कक्षाओं के परीक्षा परिणाम अभी तक घोषित नहीं हुए हैं।

डीबीएस में सुधांशु अध्यक्ष पद के दावेदार

एनएसयूआइ ने डीबीएस महाविद्यालय में सुधांशु जोशी को अध्यक्ष पद का दावेदार घोषित किया है। प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी एवं जिलाध्यक्ष सौरभ ममगाईं ने कहा कि इस बार संगठन पूरी ताकत के साथ छात्रसंघ चुनाव लड़ने जा रहा है।

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