यूटीयू के पीएचडी ऑर्डिनेंस की अनदेखी करने वाले छात्र को नहीं मिलेगी डिग्री
उत्तराखंड तकनीकी विवि (यूटीयू) के पीएचडी ऑर्डिनेंस की अनदेखी करने वाले छात्र-छात्र को डिग्री नहीं मिलेगी। एसएसआइ के अनुरूप दो पेपर प्रकाशित करने अनिवार्य होंगे।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 22 Sep 2019 01:24 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड तकनीकी विवि (यूटीयू) के पीएचडी ऑर्डिनेंस की अनदेखी करने वाले छात्र-छात्र को डिग्री नहीं मिलेगी। साइंस साइंटिफिकेशन इंडेक्स (एसएसआइ) के अनुरूप दो पेपर प्रकाशित करने अनिवार्य होंगे।
करीब तीन साल बाद शनिवार को शुरू हुई रिसर्च डॉक्टरल कमेटी (आरडीसी) में 125 से अधिक शोद्यार्थी शामिल हुए। पहले दिन कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्रों के मौका दिया गया। आरडीसी टीम में कमेटी के चेयरमैन कुलपति प्रो. नरेंद्र एस चौधरी, पीएचडी समन्वयक प्रो. अंबरीश एस विद्यार्थी के अलावा प्रदेश के बाहर के विशेषज्ञ के रूप में आइआइटी इंदौर, वीएनआइटी नागपुर, बीटीयू दिल्ली व एमएएनआइसी भोपाल के विशेषज्ञ शामिल रहे। पीएचडी विशेषज्ञ टीम के सामने पीएचडी विद्यार्थियों ने अपनी समस्याएं रखीं। चेयरमैन के बताया कि पीएचडी में विषय की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
विवि का पीएचडी ऑर्डिनेंस के अनुरूप कार्य होगा। बताया गया कि आरडीसी ऑर्डिनेंस से ऊपर नहीं है। कई छात्रों ने अपनी समस्याओं से अवगत भी करवाया और पिछले तीन सालों से लटकी उनकी शोध रिपोर्ट का हवाला दिया। मौके पर करीब 15 से 16 शोद्यार्थी को पीएचडी के निर्धारित मापदंड पूरे नहीं करने पर उन्हें पीएचडी जारी रखने की अनुमति नहीं दी गई और पहले शोध कायरे में आवश्यक सुधार करने के निर्देश दिए गए। कुछ शोद्यार्थी इस बात को लेकर प्रसन्न दिखे कि कम से कम तीन साल बाद ही सही उनकी पीएचडी पूरी होने की संभावना बढ़ गई है। आरडीसी में वर्ष 2012 से लेकर 2019 के बीच पीएचडी में दाखिला लेने वाले छात्रों को शामिल किया गया है।
विदित रहे कि यूटीयू में 21 से 24 सितंबर के बीच पीएचडी आरडीसी के समक्ष शोद्यार्थी अपनी रिपोर्ट समिट करेंगे। विवि में पीएचडी भर्ती को लेकर धांधली के मामले सामने आने के बाद पिछले तीन साल से पीएचडी की रिसर्च डॉक्टरल कमेटी अटकी हुई थी। छात्र आरडीसी के लिए चक्कर काट रहे थे। जिन छात्रों के नाम आरडीसी में शामिल हैं उनके विवि में पीएचडी में 2012 से 2019 के बीच दाखिले हैं। केवल वर्ष 2017 में पीएचडी पंजीकृत छात्रों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। क्योंकि इस मामले में जांच राजभवन स्तर पर चल रही है। आरडीसी कमेटी के चैयरमेन कुलपति हैं, जबकि बतौर सदस्य पीएचडी समन्वयक व दो से चार विशेष विशेषज्ञ कमेटी में देशभर के टॉप संस्थानों से आमंत्रित किए गए हैं।
यह भी पढ़ें: नीट पीजी-2020 की अधिसूचना जारी, जानिए कब होगा परीक्षा का आयोजन
प्रो.अंबरीश एस विद्यार्थी (पीएचडी समन्वयक, यूटीयू) का कहना है कि यूटीयू में पीएचडी प्रारंभ कर दी गई है। शोद्यार्थियों को विवि के ऑर्डिनेंस के बारे में जानकारी दी जा रही है। नियम-कानूनों की अवहेलना करने वाले किसी भी छात्र का शोध कार्य जारी नहीं रखा जाएगा। गुणवत्ता और विवि के नियमों के अनुसार ही शोध रिपोर्ट को समीक्षा में शामिल किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के सभी निजी स्कूलों में संस्कृत की पढ़ाई अनिवार्य
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।