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उत्तराखंड के मदरसों में कुरान संग वेद भी पढ़ेंगे विद्यार्थी, मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष ने कही ये बात

उत्तराखंड में वर्तमान में मदरसा बोर्ड में 415 मदरसे पंजीकृत हैं जबकि 117 मदरसे उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के हैं। इसके अलावा निजी मदरसों की संख्या भी सौ के आसपास है। बदली परिस्थितियों में मदरसों के आधुनिकीकरण पर विशेष जोर दिया जा रहा है। मदरसों के आधुनिकीकरण समेत अन्य विषयों पर दैनिक जागरण से बातचीत में उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने बेबाकी से अपनी राय रखी।

By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Wed, 11 Oct 2023 08:41 PM (IST)
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तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। जागरण

 राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में संचालित मदरसों में आने वाले दिनों में विद्यार्थी कुरान के साथ योग और वेदों की शिक्षा भी ग्रहण करेंगे। मदरसा शिक्षा परिषद इसकी रूपरेखा तैयार करने में जुट गया है। परिषद के नवनियुक्त अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी के अनुसार, उत्तराखंड देवभूमि है और यहां के मदरसों में भी यह छवि परिलक्षित होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि पहला ज्ञान वेद हैं, जबकि अंतिम ईश्वरीय वाणी कुरान है। दोनों का सार प्रेम, मुहब्बत, त्याग व करुणा है। मदरसों के विद्यार्थी जब वेदों और कुरान की शिक्षा से लैस होंगे तो उनमें यह भावना भी आएगी कि हम सब एक हैं। हम सबका डीएनए एक है।

उत्तराखंड में वर्तमान में मदरसा बोर्ड में 415 मदरसे पंजीकृत हैं, जबकि 117 मदरसे उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के हैं। इसके अलावा निजी मदरसों की संख्या भी सौ के आसपास है। बदली परिस्थितियों में मदरसों के आधुनिकीकरण पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

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मदरसों के आधुनिकीकरण समेत अन्य विषयों पर 'दैनिक जागरण' से बातचीत में उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने बेबाकी से अपनी राय रखी। साथ ही परिषद की भावी कार्ययोजना के बारे में बताया।

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कासमी के अनुसार उनका प्रयास रहेगा कि उत्तराखंड का प्रत्येक मदरसा यहां के शिक्षा विभाग से संबद्ध हो। वहीं, जल्द ही वह गाय, गंगा और हिमालय के संरक्षण के लिए अभियान छेड़ने वाले हैं। उन्होंने कहा कि गाय को मां का दर्जा हासिल है, उसे राष्ट्रीय पशु या माता का दर्जा भी मिलना चाहिए। इसके साथ ही जीवनदायिनी गंगा और हिमालय के संरक्षण को प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।

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