लाखों का पैकेज छोड़ इस युवक ने गरीबों के लिए खोला दवा बैंक
देहरादून निवासी सुमित कुमार ऐसे युवाओं के लिए मिसाल हैं। नौकरी ठुकराकर गरीबों की सेवा के लिए उन्होंने दून में दवा बैंक खोलकर अनूठी पहल की।
By BhanuEdited By: Updated: Wed, 02 Jan 2019 08:23 PM (IST)
देहरादून, सुकांत ममगाईं। भविष्य संवारने और पैसे कमाने की प्रतिस्पर्धा में युवा आजकल घर-परिवार ही नहीं, देश तक छोड़ देते हैं। वहीं, देहरादून निवासी सुमित कुमार ऐसे युवाओं के लिए मिसाल हैं। नौकरी ठुकराकर गरीबों की सेवा के लिए दून में दवा बैंक खोलकर अनूठी पहल की। उनके दवा बैंक से सैकड़ों गरीब और मजदूरों को न केवल दवाएं, बल्कि निश्शुल्क इलाज भी मिलता है। सुमित की इस मुहिम से जुड़कर कई चिकित्सक बिना शुल्क मरीज देखते हैं।
राजधानी के चंद्रबनी-भुत्तोवाला निवासी 23 वर्षीय सुमित कुमार ने हरियाणा स्थित गुरु ब्रह्मानंद कॉलेज से पॉलीटेक्निक किया। इसके बाद एमएससी फिजिक्स से की। शैक्षिक योग्यता के अनुरूप उन्हें फरीदाबाद में जीसीबी कंपनी से 16 लाख रुपये सालाना का पैकेज मिला, लेकिन सुमित के मन में कुछ और ही था। उनके पिता बृजपाल सिंह ट्रांसपोर्ट कारोबारी हैं। एक भाई यूरोप में हैं और दूसरे की देहरादून में ही कंपनी है। सुमित के अनुसार, करनाल में पढ़ाई के दौरान उनका कुष्ठ रोगियों के आश्रम में अधिकांश वक्त बीतता था। तभी से उन्होंने गरीबों, असहाय और बेसहारा लोगों की सेवा करने का मन बनाया।
दून लौटने पर परिवार वालों ने कारोबार में हाथ बंटाने और नौकरी का दबाव बनाया, लेकिन सुमित ने उनकी नहीं सुनी। उन्होंने गरीबों और असहायों की मदद के लिए 'अमूल्य जीवन विकास चेरिटेबल सोसायटी' बनाई। 25 जुलाई 2017 को घर पर ही सुमित ने दवा बैंक खोला और लोगों के घरों से बची दवाएं एकत्र करना शुरू किया। धीरे-धीरे कई लोग इस मुहिम से जुड़ते चले गए। जिसमें कई मेडिकल स्टोर, दवा कंपनियों के प्रतिनिधि और समाजसेवी शामिल थे। कुछ सैंपल तो कुछ उन्हें खरीदकर दवाएं देते। घरों से बची दवाओं को एकत्र करने में भी कई लोगों ने मदद की।
कई मेडिकल स्टोर और दुकानों में डिब्बे रखे गए, जिनमें लोग दवाएं डाल जाते। देखते ही देखते उनका घर ही मेडिकल स्टोर में तब्दील हो गया। सुमित का यह जज्बा देख परिवार वालों ने घर उन्हें दे दिया और खुद दूसरे घर में शिफ्ट हो गए। सुमित यह दवाएं जरूरतमंद मरीजों को उपलब्ध करा रहे हैं। वह कहते हैं कि असहाय मरीजों की मदद से उन्हें खुशी मिलती है। असहाय लोगों के बने सहाय
सुमित की संस्था नियमित रूप से जन स्वास्थ्य की मुहिम से जुड़ी है। सड़कों पर दुर्घटनाग्रस्त या अहसास मरीजों को अस्पताल पहुंचाने का कार्य ही नहीं, बल्कि रक्त आदि की व्यवस्था भी वह करते हैं। यही वजह है कि सुमित को उत्तराखंड रत्न, द रॉबिन हुड और भगत सिंह अवार्ड समेत कई पुरस्कार मिल चुके हैं। रोटी बैंक की भी की स्थापना
सुमित ने कोरोनेशन अस्पताल से रोटी बैंक की भी शुरुआत की है। जिसके माध्यम से वह पहाड़ के दुरुह क्षेत्र से आने वाले मरीजों व तीमारदारों को निश्शुल्क भोजन कराते हैं। दाल-चावल, रोटी व सब्जी उन्हें दी जाती है। इसके अलावा भर्ती मरीजों को सुबह की चाय दी जाती है। इस काम में भी कई लोग उनकी मदद कर रहे हैं।यह भी पढ़ें: शिक्षा से पहले शिष्यों में संस्कार गढ़ रहा है ये 'कुम्हार', जानिए इनकी कहानी
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